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हिमाचल में भूमिहीन परिवारों को जमीन देना आसान नहीं, कुल्लू में अभी तक 28 लोगों को मिली भूमि, 600 परिवार बाकि - हिमाचल में वन भूमि

हिमाचल सरकार ने भूमिहीनों को जमीन देने की योजना बनाई है, लेकिन सरकार के पास अपनी भूमि ही नहीं है. कहीं आप भ्रमित तो नहीं हो गए तो बता दें कि हिमाचल में जमीन तो बहुत है, लेकिन वन भूमि है जो किसी व्यक्ति तो नहीं दी जा सकती. पढ़ें पूरी खबर...

landless in kullu
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Dec 7, 2023, 3:57 PM IST

कुल्लू: हिमाचल प्रदेश में सरकार के द्वारा भूमिहीनों को दो या तीन बिस्वा भूमि उपलब्ध करवाने की योजना तो बनाई है, लेकिन वह योजना धरातल पर साकार होती नजर नहीं आ रही है. हिमाचल प्रदेश में हजारों भूमिहीनों के द्वारा इस भूमि के लिए आवेदन किया गया है, लेकिन सरकार के पास भूमि उपलब्ध न होने के चलते उन्हें भूमि नहीं मिल पा रही है. ऐसे में यह योजना अब सरकार के गले की फांस बनती जा रही है.

3900 लोगों ने किया था आवेदन, 3300 पाए गए अपात्र: जिला कुल्लू की अगर बात करें तो यहां पर भी 600 लोगों ने इस योजना का फायदा उठाने के लिए आवेदन किया है. सरकार के द्वारा जब उन लोगों के दस्तावेजों की जांच की गई तो वह सभी इस योजना के लिए पात्र पाए गए. ऐसे में अब सरकार के लिए यह मुश्किल पेश आ रही है कि शहर में दो और ग्रामीण क्षेत्रों में तीन विस्वा भूमि देने के लिए जिन लोगों ने आवेदन किया है. उन्हें आखिर कहां से भूमि उपलब्ध करवाई जाएगी. कुल्लू जिले में 3900 लोगों ने आवेदन किया था. जिनमें से 3300 लोग इस योजना में अपात्र पाए गए हैं.

जमीन तो बहुत है, लेकिन सरकार के पास अपनी भूमि काफी कम है: गौर रहे कि हिमाचल प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह की सरकार के द्वारा यह फैसला लिया गया था कि प्रदेश में जो लोग भूमिहीन हैं. उन्हें सरकार के द्वारा भूमि उपलब्ध करवाई जाएगी. ऐसे में जिला कुल्लू में अब तक 28 लोगों को ही भूमि उपलब्ध हो पाई है. राजस्व विभाग और प्रशासन के द्वारा जिला कुल्लू में 34 लोगों की सूची तैयार की गई है जो भूमि लेने के हकदार हैं, लेकिन कई सालों से उन्हें नहीं मिल पा रही है. इसका सबसे बड़ा कारण है कि हिमाचल प्रदेश में वन भूमि ज्यादा है और प्रशासन, विभाग और सरकार के पास अपनी भूमि काफी कम है. वन भूमि को किसी निजी व्यक्ति को नहीं दिया जा सकता है. जिसके चलते भूमिहीनों को भूमि देने की योजना सरकार के गले की फांस बन रही है.

जिला कुल्लू आवास एवं भूमिहीन संघ के अध्यक्ष ओम प्रकाश शर्मा ने बताया कि हिमाचल प्रदेश में 40 हजार से अधिक परिवार ऐसे हैं जो भूमिहीन आवासहीन हैं. ऐसे में हिमाचल प्रदेश में इन सभी परिवारों के लिए भूमि उपलब्ध करवाना भी सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है. हिमाचल प्रदेश में वन भूमि अधिक है. इसके लिए सरकार को चाहिए कि वह केंद्र सरकार के समक्ष इस मुद्दे को उठाए, ताकि ग्रामीण इलाकों के साथ लगती वन भूमि भूमिहीनों को दी जा सके और भूमिहीन वहां पर अपने लिए आवास भी तैयार कर सके. इसके लिए सरकार को केंद्र सरकार के साथ चर्चा करनी होगी.

जिला कुल्लू राजस्व अधिकारी डॉक्टर गणेश ठाकुर ने बताया कि जिला कुल्लू में 3900 लोगों ने अब तक दो और तीन विस्वा भूमि के लिए आवेदन किया है. जिनमें से 3300 के करीब आवेदन अपात्र पाए गए हैं. अब तक जिला कुल्लू में 28 लोगों को भूमि उपलब्ध करवाई गई है. जबकि 34 पात्र लोगों के साथ 600 ऐसे लोग हैं जिनके दस्तावेजों की जांच की जा रही है. जो जमीन लेने के पात्र हैं. जिला कुल्लू में वन भूमि होने के कारण उन्हें भूमि उपलब्ध नहीं हो पा रही है. अब केंद्र सरकार को स्पेशल केस भेजा गया है और केंद्र सरकार की स्वीकृति आने के बाद ही इस मामले में नई कार्रवाई की जा सकती है.

ये भी पढ़ें- मैं सबसे बड़ा हिंदू, हिमाचल में नहीं चलेगा BJP का हिंदू कार्ड, किसी से सर्टिफिकेट की नहीं जरूरत- विक्रमादित्य सिंह

कुल्लू: हिमाचल प्रदेश में सरकार के द्वारा भूमिहीनों को दो या तीन बिस्वा भूमि उपलब्ध करवाने की योजना तो बनाई है, लेकिन वह योजना धरातल पर साकार होती नजर नहीं आ रही है. हिमाचल प्रदेश में हजारों भूमिहीनों के द्वारा इस भूमि के लिए आवेदन किया गया है, लेकिन सरकार के पास भूमि उपलब्ध न होने के चलते उन्हें भूमि नहीं मिल पा रही है. ऐसे में यह योजना अब सरकार के गले की फांस बनती जा रही है.

3900 लोगों ने किया था आवेदन, 3300 पाए गए अपात्र: जिला कुल्लू की अगर बात करें तो यहां पर भी 600 लोगों ने इस योजना का फायदा उठाने के लिए आवेदन किया है. सरकार के द्वारा जब उन लोगों के दस्तावेजों की जांच की गई तो वह सभी इस योजना के लिए पात्र पाए गए. ऐसे में अब सरकार के लिए यह मुश्किल पेश आ रही है कि शहर में दो और ग्रामीण क्षेत्रों में तीन विस्वा भूमि देने के लिए जिन लोगों ने आवेदन किया है. उन्हें आखिर कहां से भूमि उपलब्ध करवाई जाएगी. कुल्लू जिले में 3900 लोगों ने आवेदन किया था. जिनमें से 3300 लोग इस योजना में अपात्र पाए गए हैं.

जमीन तो बहुत है, लेकिन सरकार के पास अपनी भूमि काफी कम है: गौर रहे कि हिमाचल प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह की सरकार के द्वारा यह फैसला लिया गया था कि प्रदेश में जो लोग भूमिहीन हैं. उन्हें सरकार के द्वारा भूमि उपलब्ध करवाई जाएगी. ऐसे में जिला कुल्लू में अब तक 28 लोगों को ही भूमि उपलब्ध हो पाई है. राजस्व विभाग और प्रशासन के द्वारा जिला कुल्लू में 34 लोगों की सूची तैयार की गई है जो भूमि लेने के हकदार हैं, लेकिन कई सालों से उन्हें नहीं मिल पा रही है. इसका सबसे बड़ा कारण है कि हिमाचल प्रदेश में वन भूमि ज्यादा है और प्रशासन, विभाग और सरकार के पास अपनी भूमि काफी कम है. वन भूमि को किसी निजी व्यक्ति को नहीं दिया जा सकता है. जिसके चलते भूमिहीनों को भूमि देने की योजना सरकार के गले की फांस बन रही है.

जिला कुल्लू आवास एवं भूमिहीन संघ के अध्यक्ष ओम प्रकाश शर्मा ने बताया कि हिमाचल प्रदेश में 40 हजार से अधिक परिवार ऐसे हैं जो भूमिहीन आवासहीन हैं. ऐसे में हिमाचल प्रदेश में इन सभी परिवारों के लिए भूमि उपलब्ध करवाना भी सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है. हिमाचल प्रदेश में वन भूमि अधिक है. इसके लिए सरकार को चाहिए कि वह केंद्र सरकार के समक्ष इस मुद्दे को उठाए, ताकि ग्रामीण इलाकों के साथ लगती वन भूमि भूमिहीनों को दी जा सके और भूमिहीन वहां पर अपने लिए आवास भी तैयार कर सके. इसके लिए सरकार को केंद्र सरकार के साथ चर्चा करनी होगी.

जिला कुल्लू राजस्व अधिकारी डॉक्टर गणेश ठाकुर ने बताया कि जिला कुल्लू में 3900 लोगों ने अब तक दो और तीन विस्वा भूमि के लिए आवेदन किया है. जिनमें से 3300 के करीब आवेदन अपात्र पाए गए हैं. अब तक जिला कुल्लू में 28 लोगों को भूमि उपलब्ध करवाई गई है. जबकि 34 पात्र लोगों के साथ 600 ऐसे लोग हैं जिनके दस्तावेजों की जांच की जा रही है. जो जमीन लेने के पात्र हैं. जिला कुल्लू में वन भूमि होने के कारण उन्हें भूमि उपलब्ध नहीं हो पा रही है. अब केंद्र सरकार को स्पेशल केस भेजा गया है और केंद्र सरकार की स्वीकृति आने के बाद ही इस मामले में नई कार्रवाई की जा सकती है.

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