कुल्लू: 'दिल में हौसला हो और कुछ कर गुजरने का जुनून हो' इस कहावत को पूरी तरह चरितार्थ किया है जिला कुल्लू के एक छोटे से गांव सोलंग के निवासी हेमराज ने. उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि एक दिन उनका नाम अंतरराष्ट्रीय पटल पर इस तरह चमकेगा.
बचपन से था पर्वतारोहण का शौक
10 मई 2021 को दोपहर के 2:35 बजे हेमराज ने नेपाल के माउंट पुमरी को फतह किया. इस पर्वत को एवरेस्ट को फतह करने से काफी मुश्किल मना जाता है. किसान परिवार में पले बढ़े हेमराज को पर्वतारोहण का शौक बचपन से ही था और युवावस्था तक पहुंचते-पहुंचते उन्होंने शौक-शौक में ही कुल्लू, मनाली और लाहौल स्पीति के लगभग सभी पहाड़ों को लांघ लिया. कॉलेज की पढ़ाई तक उन्होंने अपने इस शौक को कभी अपना करियर बनाने के बारे में सोचा भी नहीं था.
पर्वतारोहण की कला में दक्षता हासिल
चंडीगढ़ में अपनी पढ़ाई के दौरान उन्होंने कंप्यूटर की पढ़ाई में डिग्री हासिल की. हेमराज के परिवार में मां, बाप, भाई तथा उनकी धर्मपत्नी हैं. अपनी पढ़ाई के दौरान उन्होंने पर्वतारोहण के इस शौक को प्रोफेशनल तरीके से करने के लिए मनाली में ही स्थित पर्वतारोहण संस्थान में बेसिक और एडवांस कोर्स को पूरा कर अपनी पर्वतारोहण की कला में और अधिक दक्षता हासिल की.
इंडियन माउंटेनरिंग इंस्टीट्यूट के जरिए हासिल किया लक्ष्य
अपनी पढ़ाई के दौरान उन्होंने पर्वतारोहण के इस शौक को प्रोफेशनल तरीके से करने के लिए मनाली में ही स्थित पर्वतारोहण संस्थान में बेसिक-एडवांस कोर्स को पूरा कर अपनी पर्वतारोहण की कला में और अधिक दक्षता हासिल की. इसी दौरान इंडियन माउंटेनरिंग इंस्टीट्यूट द्वारा पूरे भारतवर्ष में एक अभियान चलाया गया, जिनमें संस्थान ने पूरे भारतवर्ष से 350 लड़कों को पर्वतारोहण के लिए चुना. बाद में पूरे देश से चुने गए 350 लड़कों में से केवल 100 लड़कों को शॉर्टलिस्ट किया गया. जिनमें कुल्लू-मनाली से हेमराज, राजेश ठाकुर तथा चमन भी शामिल थे.
30 लड़कों का था दल
इन सभी लड़कों की ट्रेनिंग नवंबर 2020 में उत्तराखंड में हुई थी. जिसमें आखिरकार 30 लड़कों को शॉर्ट लिस्ट किया गया. जिसके बाद सभी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऐसी चुनौतियों के लिए तैयार किया गया. जिसे इससे पहले किसी ने पार नहीं किया था. आखिरी 30 लड़कों में कुल्लू-मनाली से सिर्फ हेम राज अकेले चुने गए. उसके बाद एक जबरदस्त ट्रेनिंग का दौर चला और इस ट्रेनिंग में भी हेमराज खरे उतरे. अपने पूरे दल के साथ यह लोग इसके बाद नेपाल गए और अपने लक्ष्य हासिल किया.
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