मनाली: जिला कुल्लू में शुरू होने जा रहे दशहरा उत्सव के लिए देवी देवता रथ और पालकियों में विराजमान होकर स्थायी मंदिरों से ढालपुर के लिए रवाना हो गऐ हैं. मंगलवार से कुल्लू के ढालपुर मैदान में अगले सात दिनों तक देवी देवताओं का महाकुंभ देखने को मिलेगा.
हिमाचल को देवभूमि के नाम से जाना जाता है. इसका प्रत्यक्ष प्रमाण कुल्लू दशहरे में देखने को मिलता है जहां सैकड़ों की संख्या में देवी देवता एक जगह पर आ कर भक्तों को दर्शन देते हैं. कुल्लू घाटी में दशहरे के पर्व का ऐतिहासिक महत्व है. जब पूरे भारत में दशहरे का समापन रावण, मेघनाथ और कुंभकर्ण के पुतले जलाकर किया जाता है तब कुल्लू दशहरा शुरू होता है.
दशहरे में घाटी के सभी देवी देवता सैकड़ों की संख्या में भाग लेते हैं. सभी देवी देवताओं की इस महाकुंभ में अहम भूमिका रहती हैं. इन्ही में से पर्यटन नगरी मनाली की आराध्य देवी माता हिडिंबा भी एक हैं. माता हिडिंबा को राजघराने की दादी भी कहा जाता है. कुल्लू दशहरा देवी हिडिंबा के आगमन से शुरू होता है. पहले दिन देवी हिडिंबा का रथ कुल्लू के राजमहल में प्रवेश करता है. यहां माता की पूजा अर्चना के बाद रघुनाथ भगवान को भी ढालपुर में लाया जाता है, जहां से सात दिवसीय दशहरा उत्सव शुरू हो जाता है. अगले सात दिनों तक माता अपने अस्थायी शिविर में ही रहती हैं.
मंगलवार से शुरू होने वाले देव महाकुंभ के लिए आज देवी हिडिंबा अपने कारकूनों और हरियानों के साथ दशहरे में भाग लेने के लिए अपने स्थान मनाली से निकल पड़ी है. देवी हिडिंबा के कुल्लू पंहुचने पर देवी का स्वागत किया जायेगा. इसके बाद भगवान रघुनाथ जी की छड़ी माता को लेने के लिए रामशिला नाम की जगह पर लाई जायेगी. इसके बाद ही भगवान रघुनाथ अपने मंदिर से बाहर आएगें और फिर सभी देवी देवताओं के साथ रथ मैदान के लिए रवाना होंगे.
पुजारी रद्युवीर ने बताया कि आज मनाली से माता दशहरे के लिए रवाना हो गई है. कल सुबह माता दशहरा उत्सव में भाग लेगी और अगले सात दिनों तक कुल्लू के ढालपुर में अपने अस्थायी शिविर में रहेंगी. उन्होंने कहा कि दशहरे के संपन्न होने के बाद ही माता अपने स्थायी शिविर में वापस आयेंगी.
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