कुल्लू: अगर किसी के सिर में दर्द हो तो उसका इलाज किया जाना चाहिए, न की उसके बदले सिर को काटा जाना चाहिए. यह बात पूर्व शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने प्रदेश की कांग्रेस सरकार द्वारा हमीरपुर कर्मचारी चयन आयोग को बंद करने पर कही है. उन्होंने कहा कि प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद जब से सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी है तब से प्रदेश में बंद करने की प्रथा शुरू हो गई है. वहीं, सरकारी स्कूलों में पहले तो वार्षिक समारोह न मनाने को लेकर निर्णय लिया गया. लेकिन बाद में सरकार अपने इस निर्णय से मुकर गई. इससे पता चलता है कि सुक्खू सरकार पहले जो बात करती है, उसी बात को लेकर बाद में वह पलट भी जाती है.
पूर्व शिक्षा मंत्री ने कहा कि हमीरपुर कर्मचारी चयन आयोग को बंद करने से समस्या का समाधान नहीं होगा. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में 1998 में यह आवश्यकता महसूस की गई थी की प्रदेश में अपना अधीनस्थ सेवाएं चयन बोर्ड होना चाहिए. जबकि उससे पूर्व कांग्रेस की सरकार के दौरान ग्रेड 3 और ग्रेड 4 की भर्तियां चिट के माध्यम से की जाती थी और उनमें भारी घालमेल किया जाता था. इन्हीं सब कारणों के चलते तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने हमीरपुर में हिमाचल प्रदेश अधीनस्थ सेवाएं चयन बोर्ड प्रारंभ किया था और उसके बाद 2016 में इसका नाम बदलकर कर्मचारी चयन आयोग रखा गया.
उन्होंने कहा कि JOA IT पेपर लीक का मामला जब बाहर आया तो निश्चित रूप से उस पर कार्रवाई होनी चाहिए थी. पेपर लीक मामले में जो भी कर्मचारी-अधिकारी दोषी हैं, उन पर सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए. लेकिन प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कर्मचारी चयन आयोग को निलंबित कर भंग करना उचित समझा. पूर्व शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू पर निशाना साधते हुए कहा कि कर्मचारी चयन आयोग को पूरी तरह से बंद करना समस्या का समाधान नहीं है. परंतु दोषियों के विरुद्ध कड़ी से कड़ी कार्रवाई करना यह आवश्यक है.
उन्होंने कहा कि कर्मचारी चयन आयोग में काम करने वाले सभी कर्मचारी और अधिकारी भ्रष्ट नहीं होंगे. लेकिन जिन्होंने गलत काम किया है, उन पर कार्रवाई होनी चाहिए. उन्होंने प्रदेश सरकार से कर्मचारी चयन आयोग को पुनः बहाल करने की मांग की है और कमियों को दूर करने का आह्वान किया है. उन्होंने कहा कि चयन आयोग में 39 कोड के अंतर्गत लगभग 4,000 नौजवानों की भर्ती प्रक्रिया में विलंब हो रहा है. उनके भविष्य को ध्यान में रखना चाहिए और जल्द से जल्द एक अल्टरनेटिव मैकेनिज्म सरकार को धरातल पर लेकर आना चाहिए. जैसे-जैसे भर्ती प्रक्रिया में विलंब हो रहा है, युवाओं की उम्र भी बढ़ रही है और कहीं लोग एग्जाम देने में पात्रता मापदंड से बाहर हो रहे हैं. यह चिंता का विषय है.
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