कुल्लू: जिला कुल्लू में सर्दियों के मौसम में आग लगने की घटनाओं के चलते जहां करोड़ों की संपत्ति जलकर राख हो गई. तो वहीं, बीते 2 सालों में आग की घटनाओं के कारण 15 लोगों की जान भी चली गई. हालांकि जिला प्रशासन के द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में आग की घटनाओं को रोकने के लिए जल भंडारण टैंक बनाने की योजना तो बनाई गई थी, लेकिन अभी तक वह योजना धरातल पर उतरती हुई नजर नहीं दिख रही है. जिसका नतीजा यह है कि आज भी ग्रामीण क्षेत्र में अगर आग लग जाए तो वहां करोड़ों की संपत्ति जलकर राख हो जाती है. वहीं, कई बार इसका खामियाजा लोगों को अपनी जान देकर भी भुगतना पड़ रहा है.
दो सालों में 147 आग की घटनाएं: जिला कुल्लू में अगर बीते 2 साल की बात करें तो यहां पर 147 आग की घटनाएं हुई हैं. जिनमें से 15 लोगों की आग के जलने के कारण मौत हो गई. इसके अलावा कई मवेशी भी आग में जिंदा जल गए हैं. साल 2021-22 में कुल्लू दमकल विभाग के पास 80 आग लगने की घटनाएं दर्ज की गई है. जिनमें 14 लोगों की जान चली गई है और एक पशु की जान भी गई है. 6 मकानों और 9 पशुओं को आग लगाने से अग्निशमन विभाग के द्वारा बचाया गया है. वहीं, 1 साल में ही 9 करोड़ 69 लाख 18 हजार 500 रुपए की संपत्ति का नुकसान हुआ है. साल 2022 से लेकर 2023 में दमकल विभाग कुल्लू में 67 आग की की घटनाएं पेश आई हैं. इसमें 13 फरवरी को एक बुजुर्ग व्यक्ति की जलने के कारण मौत हो गई थी. वहीं, इस साल 42 लाख 65 हजार 1500 रुपए की क्षति हुई है.
मलाणा गांव में आग लगने की अधिक घटनाएं: जिला कुल्लू में साल 2006 में मलाणा गांव में आग लगने से 100 से अधिक मकान जल गए थे. उसके बाद साल 2009 में मलाणा गांव में फिर से आग लगने के कारण कई दर्जन मकान इसकी चपेट में आए थे. तीसरी बार भी मलाणा गांव में आग लगने के कारण 16 मकान नष्ट हुए थे. वहीं, साल 2007 में बंजार के मोहनी गांव में आग की चपेट से 90 घर जलकर राख हो गए थे. इसके अलावा साल 2008 में मनाली का सोलंग गांव की पूरी तरह से जल गया था. इसके बाद बंजार के कोटला गांव में 2015 में 40 घरों में आग लग गई थी और 410 लोग बेघर हो गए थे.
क्या बोला जिला प्रशासन: वहीं, डीसी कुल्लू आशुतोष गर्ग का कहना है कि आग लगने की घटनाओं को रोकने के लिए अग्निशमन विभाग के द्वारा जागरूकता शिविरों का भी आयोजन किया जाता है. वहीं, जिला कुल्लू में जल भंडारण बनाने की योजना भी शुरू की गई है. इसमें शुरुआती तौर पर 5-5 गांव को लिया गया है और वहां पर जल भंडारण टैंक बनाए जा रहे हैं. ताकि अगर आग लगती है तो उस जल भंडारण टैंक के माध्यम से आग पर काबू पाया जा सके.
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