कुल्लू: कोरोना के दौर में जम्मू कश्मीर में आतंकियों से लोहा लेते हुए शहीद बालकृष्ण को सम्मान न मिलने के चलते उसके परिजन दुखी हैं. वहीं,कुल्लू के अन्य शहीदों के परिजनों ने भी सरकार से शहीदों को सम्मान देने की बात कही है.
जिला कुल्लू की खराहल घाटी के रहने वाले बालकृष्ण अप्रैल माह में जम्मू कश्मीर में आतंकियों से लोहा लेते शहीद हुए थे. वहीं, नथान पंचायत का एक युवा भी साल 2016 में आतंकियों से लोहा लेते हुए शहीद हो गया था, लेकिन दोनों ही परिवारों को मलाल है कि अभी तक प्रदेश या केंद्र सरकार की ओर से ना तो उन्हें कोई सहायता उपलब्ध करवाई गई और ना ही शहीदों के सम्मान में कोई बड़ी घोषणा की गई. जिसके चलते शहीदों के परिजनों ने डीसी कुल्लू के माध्यम से राज्यपाल को एक ज्ञापन भी भेजा है और शहीदों के सम्मान में कोई स्मारिका बनाने का भी आग्रह किया है.
साल 2016 में शहीद हुए युवक जयपाल के भाई धर्मपाल का कहना है कि उन्हें सरकार की ओर से कई बार आश्वासन तो मिले, लेकिन वह कोरे ही साबित हुए हैं. उनके भाई को शहीद हुए आज 4 साल का समय हो चुका है, लेकिन उनके सम्मान में प्रशासन या सरकार के द्वारा कोई भी स्मारिका नहीं लगाई गई. जिससे लोग अब उसकी शहादत को भूलते जा रहे हैं.
वहीं, पुईद पंचायत के उपप्रधान सर चंद का कहना है कि उनकी पंचायत से भी युवा बालकृष्ण ने शहादत हासिल की है. उन्होंने कहा कि पूरे जिला के लोगों को उन की शहादत पर फक्र था, लेकिन 15 अगस्त के दौरान भी मुख्यमंत्री के द्वारा शहीद के नाम से कोई भी घोषणा नहीं की गई. जिसके चलते अब शहीदों के परिजनों में भी रोष है. उनका कहना है कि सरकार शहीदों के सम्मान में कोई चौक, अस्पताल या सड़क का नाम रखना चाहिए था. इससे दूसरे युवा भी प्रेरणा लेते और वह भी देश सेवा में जाने का जज्बा तैयार रखते, लेकिन सरकार खुद शहीदों को सम्मान देने के बजाय उन्हें भूल रही है जो बिल्कुल भी सही नहीं है.
गौर रहे कि शहीदों के परिजनों ने इस दौरान एक ज्ञापन भी प्रदेश सरकार व राज्यपाल को भेजा और शहीदों को सही सम्मान देने की बात कही ताकि शहीदों से अन्य युवा भी प्रेरणा ले सकें.
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