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बुलंद हौसलों की ऊंची उड़ान, दिव्यांगता को मात देकर डॉक्टर बनेगा रजत

दोनों हाथ न होने के बावजूद आनी के होनहार छात्र रजत ने दिव्यांगता को मात देकर नीट की परीक्षा में सफलता हासिल की है. रजत को स्टेट कोटे में 14वां रैंक मिला है. रजत कुमार अब लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज नेरचौक से डॉक्टरी की पढ़ाई करेगा.

रजत कुमार.
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Published : Jul 15, 2019, 11:48 AM IST

कुल्लू: कहते हैं कि मन में कुछ कर गुजरने की सच्ची लगन हो और इरादे मजबूत हो तो कोई बाधा,लक्ष्य को भेदने में रुकावट नहीं बन सकती. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है आनी के होनहार छात्र रजत ने, जिसने दोनों हाथ न होते हुए भी अपनी दिव्यांगता को मात देकर नीट की परीक्षा में सफलता हासिल की है. रजत को स्टेट कोटे में 14वां रैंक मिला है. रजत कुमार अब लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज नेरचौक से डॉक्टरी की पढ़ाई करेगा.

आनी के रडू गांव से संबंध रखते हैं रजत
रजत की उपलब्धि से जहां उसके माता पिता व भाई खुशी से फूले नहीं समा रहे. वहीं, जनता रजत के इस जज्बे से हैरान हैं. रजत कुमार कुल्लू जिला में आनी के रडू गांव से संबंध रखते हैं. उनके पिता जय राम शारीरिक शिक्षक के पद से सेवानिवृत्त हो चुके हैं.

स्कूल में भी अव्वल रहा है रजत
रजत ने मुंह से पेन चलाकर ही 12वीं और 10वीं की परीक्षा में 88 फीसदी अंक हासिल की है. बहुआयामी प्रतिभा के धनी रजत मुंह से पेंट ब्रश पकड़कर बेहतरीन चित्रकारी भी करता है. जिसे देखकर बड़े से बड़ा कलाकार भी दंग रह जाता है. स्कूल में पेंटिंग के हर कंपीटिशन रजत ने अपने नाम किया है. इसके अलावा वह फुटबॉल का भी अच्छा खिलाड़ी है.

बचपन के हादसे ने बदली जिंदगी
रजत के माता-पिता ने बताया कि बचपन में खेलते समय अचानक वह घर की छत से गुजरती बिजली की एचटी लाइन की चपेट में आ गया था जिससे उसके दोनों हाथ बेकार हो गए और डॉक्टर को उसके दोनों हाथ काटने पड़े.

बिना किसी की मदद के देता है परीक्षा
रजत को पढ़ाई लिखाई करने में किसी की मदद की आवश्यकता नहीं पड़ती है. वह पढ़ने लिखने सहित घर के सारे काम पांव और मुंह के सहारे करता है. रजत का यह जुनून दूसरों के लिए एक प्रेरणा है और क्षेत्र को ऐसी होनहार प्रतिभा पर नाज है.

कुल्लू: कहते हैं कि मन में कुछ कर गुजरने की सच्ची लगन हो और इरादे मजबूत हो तो कोई बाधा,लक्ष्य को भेदने में रुकावट नहीं बन सकती. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है आनी के होनहार छात्र रजत ने, जिसने दोनों हाथ न होते हुए भी अपनी दिव्यांगता को मात देकर नीट की परीक्षा में सफलता हासिल की है. रजत को स्टेट कोटे में 14वां रैंक मिला है. रजत कुमार अब लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज नेरचौक से डॉक्टरी की पढ़ाई करेगा.

आनी के रडू गांव से संबंध रखते हैं रजत
रजत की उपलब्धि से जहां उसके माता पिता व भाई खुशी से फूले नहीं समा रहे. वहीं, जनता रजत के इस जज्बे से हैरान हैं. रजत कुमार कुल्लू जिला में आनी के रडू गांव से संबंध रखते हैं. उनके पिता जय राम शारीरिक शिक्षक के पद से सेवानिवृत्त हो चुके हैं.

स्कूल में भी अव्वल रहा है रजत
रजत ने मुंह से पेन चलाकर ही 12वीं और 10वीं की परीक्षा में 88 फीसदी अंक हासिल की है. बहुआयामी प्रतिभा के धनी रजत मुंह से पेंट ब्रश पकड़कर बेहतरीन चित्रकारी भी करता है. जिसे देखकर बड़े से बड़ा कलाकार भी दंग रह जाता है. स्कूल में पेंटिंग के हर कंपीटिशन रजत ने अपने नाम किया है. इसके अलावा वह फुटबॉल का भी अच्छा खिलाड़ी है.

बचपन के हादसे ने बदली जिंदगी
रजत के माता-पिता ने बताया कि बचपन में खेलते समय अचानक वह घर की छत से गुजरती बिजली की एचटी लाइन की चपेट में आ गया था जिससे उसके दोनों हाथ बेकार हो गए और डॉक्टर को उसके दोनों हाथ काटने पड़े.

बिना किसी की मदद के देता है परीक्षा
रजत को पढ़ाई लिखाई करने में किसी की मदद की आवश्यकता नहीं पड़ती है. वह पढ़ने लिखने सहित घर के सारे काम पांव और मुंह के सहारे करता है. रजत का यह जुनून दूसरों के लिए एक प्रेरणा है और क्षेत्र को ऐसी होनहार प्रतिभा पर नाज है.

Intro:Body:दिव्यांगता को मात देकर डॉक्टर बनेगा रजत

कहते हैं कि मन में कुछ कर गुजरने की सच्ची लगन हो और इरादे मजबूत हो तो कोई बाधा,लक्ष्य को भेदने में रुकावट नहीं बन सकती। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है आनी के होनहार छात्र रजत ने। जिसने दोनों हाथ न होते हुए भी अपनी दिव्यांगता को मात देकर नीट की कठिन परीक्षा को उत्तीर्ण करने में सफलता हासिल की है। रजत कुमार अब बिना हाथों के ही अब लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज नेरचौक से डॉक्टरी की पढ़ाई करेगा। रजत की उपलब्धि से जहाँ उसके माता पिता व भाई ख़ुशी से फुले नहीं समा रहे,वहीं जनता रजत के इस जज्बे से स्तब्ध हैं। गौर रहे कि रजत कुमार ने आनी स्थित हिमालयन मॉडल स्कूल से +2 की पढ़ाई पूर्ण की है और राष्ट्रीय पात्रता प्रवेश परीक्षा नीट 2019 में 150 अंक हासिल कर अपने मजबूत इरादे जाहिर कर दिए। रजत ने शारीरिक विकलांग के स्टेट कोटे में 14वां रैंक हासिल किया है। रजत को जॉइनिंग लेटर मिल चुका है, जिसके अंतर्गत सोमवार को उसे मेडिकल बोर्ड के सामने पेश होना है।
स्कूल में भी अववल रहा है रजत
रजत ने मुँह से पेन चलाकर ही हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड धर्मशाला द्वारा ली गयी वारवीं कि वार्षिक परीक्षा में विज्ञान संकाय में 500 में से 404 अंक यानी कि 88.80 फ़ीसदी अंक हासिल किए थे और इससे पहले दसवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा में भी मुँह से लिखकर 700 में से 613 यानी कि 88 फ़ीसदी अंक हासिल किए। बहुआयामी प्रतिभा के धनी रजत मुंह से पेंट ब्रश पकड़कर बेहतरीन चित्रकारी भी करता है। जिसे देखकर बड़े से बड़ा कलाकार भी दंग रह जाता है। स्कूल की पेंटिंग के हर कंपीटिशन रजत ने ही जीते है। इसके अलावा वह फुटवाल का भी अच्छा खिलाड़ी है।
Conclusion:बिना किसी की मदद के देता है परीक्षा
रजत को पढ़ाई लिखाई करने में किसी की मदद की आवश्यकता नहीं पड़ती है। वह पढ़ने लिखने सहित घर के सारे काम पाँव व मुंह के सहारे करता है। उसे इसके लिए किसी की भी मदद की आवश्यकता नहीं रहती।
बचपन के हादसे ने दिये ज़िन्दगी भर के जख्म
कुल्लू जिला के आनी निवासी सेवानिवृत्त शारीरिक शिक्षक जय राम व माता दिनेश कुमारी के अनुसार रजत जब चौथी कक्षा में पढ़ता था तो अपने पैतृक गांव रडू में घर के आंगन में खेलते समय अचानक वह घर की छत से गुजरती विद्युत की एचटी लाइन की चपेट में आ गया। जिससे उसके दोनों हाथ बेकार हो गए और शरीर को स्वस्थ रखने के लिए डॉक्टर को उसके दोनों हाथ काटने पड़े। इस हादसे ने रजत व उसके मां-बाप को उम्र भर के लिए गहरे जख्म दे डाले। पर रजत ने हिम्मत नहीं हारी और अपनी पढ़ाई को जारी रखते हुए मुँह व पांव से पेन पकड़कर सभी परीक्षाएं अव्वल नम्बरों में उत्तीर्ण की। हाल ही में नीट की कठिन परीक्षा को भी उतीर्ण कर अपनी शारीरिक विकलांगता को करारी मात दी है। रजत का यह जुनून दूसरों के लिए एक प्रेरणा है और क्षेत्र को ऐसी होनहार व विलक्षण प्रतिभा पर नाज है।
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