कुल्लू : पूर्व गर्भाधान और प्रसव पूर्व निदान तकनीक (पीसी एण्ड पीएनडीटी) अधिनियम, 1994 कन्या भ्रूण हत्या और गिरते लिंगानुपात को रोकने के लिए पारित किया गया है. इस अधिनियम से प्रसव पूर्व लिंग निर्धारण पर प्रतिबंध है. प्री-नेटल डायग्नोस्टिक टेक्निक ‘पीएनडीटी’ एक्ट 1996, के तहत जन्म से पूर्व शिशु के लिंग की जांच पर पाबंदी है. अल्ट्रासाउंड या अल्ट्रासोनोग्राफी कराने वाले जोड़े या करने वाले डाक्टर, लैब कर्मी को तीन से पांच साल सजा और जुर्माने का प्रावधान है. यह बात मंगलवार को क्षेत्रीय अस्पताल कुल्लू में पीसी एण्ड पीएनडीटी अधिनियम के तहत आयोजित जिला स्तरीय सलाहकार समिति की बैठक में सीएमओ कुल्लू डॉ. सुशील चंद्र ने दी.
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डाॅ. सुशील चन्द्र ने कहा कि जिला के निजी स्वास्थ्य संस्थानों और क्लीनिक में अल्ट्रासाउण्ड मशीनों की कारगुजारी पर हर समय कड़ी नजर रखी जा रही है, ताकि गर्भ में पल रहे लिंग का पता लगाने के लिए इनका उपयोग न हो सके. बैठक में ईको कार्डियोलॉजिस्ट की नियुक्ति को लेकर सभी सदस्यों ने अनिवार्य योग्यता के आधार पर पद को भरने पर चर्चा की. इसी प्रकार, रेडियोलॉजिस्ट की नियुक्ति से संबंधित अनिवार्य शर्तों पर विस्तार से चर्चा की गई.
22 जून को होगी अगली बैठक
इसके अलावा, बैठक में अल्ट्रासाउण्ड के लिये डाॅ. बिशन शासनी और डाॅ. निहाल सिंह के दस्तावेजों पर भी चर्चा की गई. स्वीकृति प्रदान करने के लिए मामला उच्च अधिकारियों को भेजने की संस्तुति की गई. डाॅ. सुशील ने अनु नमज्ञाल से संबंधित मामला समिति के समक्ष रखा और मामले को निदेशक स्वास्थ्य सेवाएं को भेजने की संस्तुति की गई. मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि अगली बैठक आगामी 22 जून को क्षेत्रीय अस्पताल कुल्लू में आयोजित की जाएगी.
यह भी पढ़ें :- धावक मिल्खा सिंह की देखभाल कर रही हमीरपुर की डॉ. शिवानी, 24-24 घंटे कर रहीं ड्यूटी