कुल्लू: जनजातीय जिला लाहौल स्पीति के स्पीति क्षेत्र में अब व्यापक स्तर पर ढिंगरी मशरूम की खेती की जाएगी. कृषि एवं जनजातीय प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. रामलाल मार्कंडेय ने एडीसी कार्यालय में विभिन्न विभागों के कार्य की समीक्षा बैठक के दौरान इस बात की जानकारी दी.
उन्होंने कहा कि स्पीति में ढिंगरी मशरूम की फसल को यहां पर विकसित करने के लिए कार्य तीव्र गति से चला रहा है. कृषि मंत्री ने कहा कि 50 किसानों को मशरूम की खेती करने के लिए प्रशिक्षित किया गया है और हॉर्टिकल्चर विभाग ने प्रशिक्षित किसानों को ढिंगरी मशरूम के स्पून तैयार कर वितरित कर दिये हैं.
स्पीति में पर्यटन का बहुत बड़ा कारोबार है. अभी तक चिचिम कलजग लादे प्रगतिशील किसान ढिंगरी मशरूम की खेती पिछले कुछ सालों से कर रहा है. उसके सारे प्रयोग सफल हुए हैं और लो सालाना 150 किलो से अधिक मशरूम की पैदावार कर रहा है. अपनी पूरी फसल को स्पीति के होटल होम स्टे में ही बेच देता है.
रामलाल मार्कंडेय ने बताया कि स्पीति का तापमान मशरूम की पैदावार के के लिए उपयुक्त है. ऐसे में स्पीति के हर गांव में मशरूम की खेती की जा सकती है. कृषि मंत्री ने कहा कि प्रशिक्षित किसान इस बार ढिंगरी मशरूम की खेती करेंगे.
साथ ही साथ किस तरह और पैदावार को बढ़ाया जा सकता है, इसके लिए भी कार्य करेंगे. घाटी में ढिंगरी मशरूम की पैदावार बढ़ने पर प्रदेश के अन्य जिलों और प्रदेश से बाहर भी इसे बेचने का प्रयास किया जाएगा. मंत्री रामलाल मार्कंडेय ने बताया कि सभी किसानों को मुफ्त में ढिंगरी मशरूम की स्पून दी गई है.
ऐसे होती है खेती
ढिंगरी मशरूम की खेती करने के लिए खेती के प्राप्त अवशेषों का प्रयोग किया जा सकता है, जैसे कि सूखा हो उसने फफूंद नहीं लगी होनी चाहिए. मटर, जौ और गेहूं के भूसे का प्रयोग किया जाता है. औषधीय गुणों से भरपूर ढिंगरी मशरूम में बहुत से औषधीय गुण पाए जाते हैं.
दवाई के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जा रहा है. ढिंगरी मशरूम में प्रोटीन होती है. इसके साथ ही कैल्शियम, पोटेशियम, सोडियम, फॉस्फोरस, आयरन आदि होते है. इसके सेवन से केंसर प्रतिरोधी क्षमता, खून में कोलेस्ट्रॉल कम करने की क्षमता, ब्लड शुगर कम करने की क्षमता, आदि के लिए काफी चर्चित है. ऐसे में ढिंगरी मशरूम की खेती से स्पीति के किसानों की आय बढ़ने के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए बेहतर भोजन उपलब्ध हो पाएगा.
अनेक गुणों से भरपूर है ढिंगरी मशरूम
ढिंगरी मशरूम मनुष्य की सेहत और वातावरण दोनों के लिए लाभकारी है. इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि इसे अन्य फसलों की तरह उपजाऊ भूमि नहीं चाहिए. इसकी जैव परिवर्तन क्षमता अधिक होती है और उगने के लिए प्रयोग किए जा रहे पदार्थ के अनुपात में मशरूम का उत्पादन अच्छा होता है.
ढिंगरी मशरूम को ग्रामीण क्षेत्रों में आसानी से उगाया जा सकता है. बेरोजगारों के लिए रोजगार का साधन बन सकता है. महिलाओं के लिए घर द्वार पर रोजगार के साधन उपलब्ध हो जाएंगे. ग्रामीण महिला स्वयं सहायता समूह मशरूम का आचार, सुखा मशरूम पाउडर आदि बनाकर अपनी आर्थिकी सुदृढ़ कर सकती हैं.