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SADA विकास शुल्क से होगा मणिकर्ण व कसोल घाटी का विकास, सैलानियों को देना होगा टैक्स - Development of Manikarn and Kasol Valley

कुल्लू की मणिकर्ण (Manikarn Valley) और कसोल घाटी (Kasol Valley) को विकसित करने का दारोमदार अब बाहरी राज्यों से आने वाले सैलानियों पर छोड़ दिया गया है. बाहरी राज्यों से आने वाले सैलानियों के वाहनों को अब मणिकर्ण आने के लिए टैक्स देना होगा. बाहरी राज्यों से आने वाले वाहनों से साडा विकास शुल्क (Special Area Development Authority ) लिया जा रहा है. आदेश के अनुसार हिमाचल प्रदेश में पंजीकृत वाहनों से कोई भी शुल्क नहीं लिया जाएगा.

Development of Manikarn and Kasol Valley will be done with SADA
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Published : Aug 7, 2021, 5:18 PM IST

कुल्लू: देश-दुनिया में अपने प्राकृतिक सौंदर्य (Natural Beauty) के लिए मशहूर जिला कुल्लू की मणिकर्ण घाटी (Manikarn Valley) एक ऐसी जगह है, जहां पर देसी से अधिक विदेशी सैलानी घूमने के लिए आते हैं. यहां के ग्रामीण इलाकों में हर जगह विदेशी सैलानी हर साल नजर आते हैं. मणिकर्ण घाटी के मणिकर्ण-कसोल दुनिया भर में प्रसिद्ध होने के बावजूद भी आज तक विकसित नहीं हो पाई है. अब इन्हें विकसित करने का दारोमदार भी बाहरी राज्यों से आने वाले सैलानियों पर छोड़ दिया गया है.

बाहरी राज्यों से आने वाले सैलानियों के वाहनों को अब मणिकर्ण आने के लिए टैक्स देना होगा. इस टैक्स के पीछे यह तर्क रखा गया है कि इससे जमा होने वाले पैसे से कसोल पंचायत व मणिकर्ण पंचायत का सर्वांगीण विकास किया जाएगा. यहां सैलानियों के लिए आधारभूत सुविधाएं भी जुटाई जाएगी, लेकिन प्रश्न यह भी पैदा हो रहा है कि क्या इतने सालों में विश्व प्रसिद्ध कसोल व मणिकर्ण का विकास आखिर क्यों नहीं हो पाया.

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मणिकर्ण व कसोल के विकास के लिए अब जिला प्रशासन ने सूमा रोपा में एक टैक्स बैरियर भी स्थापित कर दिया गया है. जहां पर बाहरी राज्यों से आने वाले वाहनों से साडा विकास शुल्क (Special Area Development Authority ) लिया जा रहा है. आदेश के अनुसार हिमाचल प्रदेश में पंजीकृत वाहनों से कोई भी शुल्क नहीं लिया जाएगा. जबकि बाहरी राज्यों से आने वाले दो पहिया वाहन का प्रवेश शुल्क 50 रुपये, कार के लिए 100 रुपये, एसयूवी वाहनों के लिए 300 रुपये तथा सभी प्रकार की बसों व बड़े वाहनों के लिए 500 रुपये शुल्क रखा गया है.

जिला प्रशासन के जारी आदेशों के अनुसार मणिकर्ण व कसोल घाटी (Kasol Valley) धार्मिक व पर्यटन की दृष्टि से एक प्रसिद्ध स्थल है. इस स्थल के पर्यावरण को सुरक्षित करने व मूलभूत सुविधाओं का सृजन करने तथा अन्य विकास कार्यों के लिए निधि की आवश्यकता है. ऐसे में बीते दिनों बैठक में यह निर्णय लिया गया कि साडा क्षेत्र को सभी प्रकार से विकसित करने और इसके सौंदर्य को बनाए रखने के लिए धनराशि का सृजन करना भी काफी जरूरी है.

साडा कमेटी के सभी सदस्यों ने भी इस पर सहमति जताई और मनाली की तर्ज पर कसोल-मणिकर्ण में वाहनों के प्रवेश पर भी साडा विकास शुल्क लेना शुरू कर दिया है. वहीं, उपायुक्त कुल्लू आशुतोष गर्ग (DC Kullu Ashutosh Garg) का कहना है कि मणिकर्ण व कसोल की ऐतिहासिक व धार्मिक महत्व को ध्यान में रखते हुए क्षेत्र को विकसित करने के उद्देश्य से प्रदेश सरकार ने दोनों ग्राम पंचायतों को साडा के अंतर्गत शामिल किया है.

दोनों ही ग्राम पंचायतों में बड़ी संख्या में देश-विदेश से साल भर सैलानी व श्रद्धालु आते हैं. ऐसे में पर्यटन को ध्यान में रखते हुए सैलानियों के लिए मूलभूत सुविधाओं का सृजन करना तथा संरक्षण करना काफी जरूरी है. इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए कसोल व मणिकर्ण में साडा विकास शुल्क लगाया गया है.

बता दें कि मणिकर्ण घाटी में कचरे के निपटान के लिए किसी भी संयंत्र की व्यवस्था नहीं है. वहीं, पार्किंग की व्यवस्था भी यहां पर सैलानियों को नहीं मिल पाती है. ऐसे में आने वाले समय में साडा विकास शुल्क के तहत कितना विकास कार्य किया जाता है, यह भविष्य के गर्भ में छुपा हुआ है.

ये भी पढ़ें- लाहौल घाटी में बाढ़ लील गई 70 करोड़ रुपए, सीएम को सौंपी जाएगी नुकसान की रिपोर्ट

कुल्लू: देश-दुनिया में अपने प्राकृतिक सौंदर्य (Natural Beauty) के लिए मशहूर जिला कुल्लू की मणिकर्ण घाटी (Manikarn Valley) एक ऐसी जगह है, जहां पर देसी से अधिक विदेशी सैलानी घूमने के लिए आते हैं. यहां के ग्रामीण इलाकों में हर जगह विदेशी सैलानी हर साल नजर आते हैं. मणिकर्ण घाटी के मणिकर्ण-कसोल दुनिया भर में प्रसिद्ध होने के बावजूद भी आज तक विकसित नहीं हो पाई है. अब इन्हें विकसित करने का दारोमदार भी बाहरी राज्यों से आने वाले सैलानियों पर छोड़ दिया गया है.

बाहरी राज्यों से आने वाले सैलानियों के वाहनों को अब मणिकर्ण आने के लिए टैक्स देना होगा. इस टैक्स के पीछे यह तर्क रखा गया है कि इससे जमा होने वाले पैसे से कसोल पंचायत व मणिकर्ण पंचायत का सर्वांगीण विकास किया जाएगा. यहां सैलानियों के लिए आधारभूत सुविधाएं भी जुटाई जाएगी, लेकिन प्रश्न यह भी पैदा हो रहा है कि क्या इतने सालों में विश्व प्रसिद्ध कसोल व मणिकर्ण का विकास आखिर क्यों नहीं हो पाया.

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मणिकर्ण व कसोल के विकास के लिए अब जिला प्रशासन ने सूमा रोपा में एक टैक्स बैरियर भी स्थापित कर दिया गया है. जहां पर बाहरी राज्यों से आने वाले वाहनों से साडा विकास शुल्क (Special Area Development Authority ) लिया जा रहा है. आदेश के अनुसार हिमाचल प्रदेश में पंजीकृत वाहनों से कोई भी शुल्क नहीं लिया जाएगा. जबकि बाहरी राज्यों से आने वाले दो पहिया वाहन का प्रवेश शुल्क 50 रुपये, कार के लिए 100 रुपये, एसयूवी वाहनों के लिए 300 रुपये तथा सभी प्रकार की बसों व बड़े वाहनों के लिए 500 रुपये शुल्क रखा गया है.

जिला प्रशासन के जारी आदेशों के अनुसार मणिकर्ण व कसोल घाटी (Kasol Valley) धार्मिक व पर्यटन की दृष्टि से एक प्रसिद्ध स्थल है. इस स्थल के पर्यावरण को सुरक्षित करने व मूलभूत सुविधाओं का सृजन करने तथा अन्य विकास कार्यों के लिए निधि की आवश्यकता है. ऐसे में बीते दिनों बैठक में यह निर्णय लिया गया कि साडा क्षेत्र को सभी प्रकार से विकसित करने और इसके सौंदर्य को बनाए रखने के लिए धनराशि का सृजन करना भी काफी जरूरी है.

साडा कमेटी के सभी सदस्यों ने भी इस पर सहमति जताई और मनाली की तर्ज पर कसोल-मणिकर्ण में वाहनों के प्रवेश पर भी साडा विकास शुल्क लेना शुरू कर दिया है. वहीं, उपायुक्त कुल्लू आशुतोष गर्ग (DC Kullu Ashutosh Garg) का कहना है कि मणिकर्ण व कसोल की ऐतिहासिक व धार्मिक महत्व को ध्यान में रखते हुए क्षेत्र को विकसित करने के उद्देश्य से प्रदेश सरकार ने दोनों ग्राम पंचायतों को साडा के अंतर्गत शामिल किया है.

दोनों ही ग्राम पंचायतों में बड़ी संख्या में देश-विदेश से साल भर सैलानी व श्रद्धालु आते हैं. ऐसे में पर्यटन को ध्यान में रखते हुए सैलानियों के लिए मूलभूत सुविधाओं का सृजन करना तथा संरक्षण करना काफी जरूरी है. इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए कसोल व मणिकर्ण में साडा विकास शुल्क लगाया गया है.

बता दें कि मणिकर्ण घाटी में कचरे के निपटान के लिए किसी भी संयंत्र की व्यवस्था नहीं है. वहीं, पार्किंग की व्यवस्था भी यहां पर सैलानियों को नहीं मिल पाती है. ऐसे में आने वाले समय में साडा विकास शुल्क के तहत कितना विकास कार्य किया जाता है, यह भविष्य के गर्भ में छुपा हुआ है.

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