कुल्लू: राष्ट्र की महत्वाकांक्षी पार्वती परियोजना में रोजगार की मांग को लेकर अनशन पर बैठे लारजी के ग्रामीण अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे हैं. विहाली में इस अनशन में कई राजनेता ग्रामीणों का सहयोग तो कर रहे हैं, लेकिन समस्या का समाधान अभी तक नहीं हो पाया है.
खास बात यह है कि ग्राम पंचायत लारजी में पार्वती परियोजना की हेडरेस टनल पावर हाउस सहित आधा दर्जन भूमिगत टनल बनाई गई है. जबकि एनएचपीसी का प्रशासनिक भवन आउटफाल डिस्पेंसरी सटोर सब स्टेशन सर्ज शाफ्ट के अलावा तमाम गतिविधियां लारजी पंचायत में संचालित की जा रही है, लेकिन बदले में विस्थापन के अलावा कुछ नहीं मिल पाया है.
विस्थापित नेता झावे राम ठाकुर ने कहा कि एक तरफ एनएचपीसी लारजी पंचायत को विकसित करने की बात करती है. वहीं, पंचायत के ग्रामीणों के साथ रोजगार के नाम पर ठेगा दिखाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि लारजी के लोगों ने राष्ट्रहित में सब कुछ न्यौछावर कर दिया है पर यहां के ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं के लिए भी दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं.
विस्थापित नेता ने कहा कि पार्वती प्रोजेक्ट मैं लगभग 80 फीसदी निर्माण कार्य लारजी पंचायत में हुए हैं. वहीं एनएचपीसी को इस पंचायत के लोगों को प्राथमिकता के आधार पर रोजगार उपलब्ध कराना चाहिए था, लेकिन आंकड़े कुछ और ही दर्शा रहे हैं. उन्होंने कहा कि एनएचपीसी में लारजी के विभिन्न साइटों में लगभग 150 मजदूर तैनात किए हैं, लेकिन लारजी पंचायत के सिर्फ एक दर्जन लोगों को अस्थाई रोजगार दिया है.
स्थानीय ग्रामीणों में ने बताया कि लारजी पंचायत में बेरोजगारों की लंबी लाइन है और कई युवाओं ने डिग्री और डिप्लोमा हासिल किए हैं. फिर भी एनएचपीसी बाहरी लोगों को चोर दरवाजे से रोजगार दे रही है.
ग्रामीणों ने बताया कि 5 वर्षों से अस्थाई रोजगार के लिए लारजी पंचायत के बेरोजगार युवा आवेदन कर रहे हैं, लेकिन एनएचपीसी प्रबंधन उनती फाइलों को रद्दी की टोकरी में दफन कर रही है. आलम यह है कि अब पंचायत के ग्रामीण एनएचपीसी से पिछले 6 दिनों से आर पार की लड़ाई लड़ रहे हैं.
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