कुल्लू: जिला कुल्लू में टैक्सी का कारोबार पर्यटन पर निर्भर रहता है. पर्यटक जब कुल्लू घाटी का रुख करते हैं तो यहां पर पर्यटन स्थलों का रुख करने के लिए वह टैक्सी का ही सहारा लेते हैं जिससे यहां हजारों टैक्सी ऑपरेटरों की रोजी-रोटी चल रही है.
कोरोना की दूसरी लहर से टैक्सी ऑपरेटर परेशान
कोरोना काल में साल 2020 में जहां पर्यटन कारोबार ठप रहा, वहीं अब दोबारा से कोरोना की लहर तेज होने के चलते इस साल भी टैक्सी ऑपरेटरों को कारोबार ना होने की आशंका लग रही है. हालांकि कोरोना से राहत पाने के लिए टैक्सी यूनियन ने सरकार को कई पत्र भेजे, लेकिन सरकार ने उन्हें मात्र ₹400 टोकन टैक्स की ही राहत दी, जबकि टैक्सी ऑपरेटर उत्तराखंड की तर्ज पर टोकन टैक्स व पैसेंजर टैक्स पर राहत देने की मांग कर रहे हैं.
टैक्सी ऑपरेटरों पर बढ़ रहा आर्थिक बोझ
कुल्लू टैक्सी यूनियन के पदाधिकारियों के अनुसार उत्तराखंड की सरकार ने टैक्सी ऑपरेटर का आगामी 2 सालों के लिए टोकन व पैसेंजर टैक्स माफ किया है, जिससे उन्हें राहत मिली है. इसके अलावा हिमाचल प्रदेश सरकार ने नेशनल परमिट में टैक्सी की 1 साल की राशि 25 हजार तो बड़ी गाड़ियों के लिए इसे ₹75 हजार किया है, जिससे टैक्सी ऑपरेटरों पर आर्थिक बोझ बढ़ा है.
बैंक की किस्तें भी नहीं भर पाए ऑपरेटर
कोरोना काल में पहले से आर्थिक संकट से जूझ रहे टैक्सी ऑपरेटर, अब फिर से नुकसान बढ़ने की चिंता में हैं. वहीं, गाड़ियों के लिए इंश्योरेंस के रिन्यू ना होने के चलते टैक्सी चालकों की गाड़ियां घरों में ही खड़ी हैं. कई टैक्सी ऑपरेटर साल 2020 से ही बैंक की किश्तें भी नहीं भर पाए हैं. ऐसे में टैक्सी ऑपरेटर को चिंता है कि अगर इस साल भी उनका कारोबार नहीं चला तो मजबूरन उन्हें अपनी टैक्सियों को बेचकर बैंक का कर्जा चुकाना होगा और परिवार के भरण-पोषण के लिए उन्हें कोई और रास्ता तलाश करना होगा.
लगातार सरकार से कर रहे बातचीत
टैक्सी यूनियन कुल्लू के चेयरमैन कविंद्र ठाकुर का कहना है कि सरकार के साथ उनकी वार्ता लगातार जारी है, लेकिन अभी तक सरकार की ओर से कोई संतोषजनक जवाब नहीं आया है. जिला कुल्लू ऑपरेटर टैक्सी चलाकर अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं. इस साल भी ऐसा ही चलता रहा तो कई टैक्सी ऑपरेटर बेरोजगार हो जाएंगे.
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