कुल्लू: हिमाचल सरकार के द्वारा अब सभी सरकारी कामों के लिए ठेकेदारों से एक्स और एम फॉर्म अनिवार्य कर दिया है. इन फॉर्म के जमा ना होने की स्थिति पर ठेकेदारों की पेमेंट को रोकने के भी निर्देश सभी विभागों के अधिकारियों को दे दिए हैं. ऐसे में कॉन्ट्रैक्टर वेलफेयर एसोसिएशन (Contractor Welfare Association) ने भी सरकार से आग्रह किया है कि उन्हें पहले की तरह ही विकास कार्यों की पेमेंट जारी करवाई जाए.
जिला कुल्लू के मुख्यालय ढालपुर में लोक निर्माण विभाग के कार्यालय में कॉन्ट्रैक्टर वेलफेयर एसोसिएशन की एक बैठक आयोजित की गई. बैठक में सरकार के द्वारा लिए गए इस निर्णय प्रति ठेकेदारों ने असंतोष जताया. कुल्लू में कार्यरत सरकारी ठेकेदार सुभाष शर्मा का कहना है कि इससे पहले उन्हें पत्थर और रेत के लिए रॉयल्टी देनी पड़ती थी और विकास कार्य खत्म होने के बाद उन्हें पेमेंट भी लोक निर्माण विभाग के द्वारा मिल जाती थी, लेकिन इस साल से सरकार ने यह नया नियम जारी किया है जोकि पूरी तरह से गलत है.
सुभाष शर्मा का कहना है कि जिला कुल्लू में कोई भी सरकारी खदान नहीं है, जहां से ठेकेदार पत्थर ले सकें. जबकि रेत लेने पर क्रशर के मालिकों ने एम फार्म ही उपलब्ध नहीं करवा पाते हैं. ऐसे में विकास कार्यों को जारी रखने के लिए उन्हें धन मिलना भी काफी जरूरी है. क्योंकि विकास कार्य के साथ-साथ सैकड़ों मजदूरों की रोजी-रोटी की भी उन्हें चिंता है.
सुभाष शर्मा ने बताया कि सरकार या तो पहले की तरह ही उनकी राशि को जारी करें या फिर कोई सरकारी खदान ठेकेदारों को अलॉट करें. अगर ऐसा नहीं हुआ तो सात दिनों के भीतर धनराशि ना मिलने की एवज में सभी विकास कार्यों को बंद कर दिया जाएगा. बता दें कि ठेकेदारों के पास पैसा ना होने के चलते वे मजदूरों को वेतन देने में भी सक्षम नहीं हैं. इसके अलावा भी विकास कार्यों के लिए सामग्री खरीदने के लिए उन्हें कई दिक्कतों का सामना उठाना पड़ रहा है.
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