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Chandra Grahan 2023: 28 अक्टूबर की रात लगेगा चंद्रमा को ग्रहण, बन रहे हैं अद्भुत संयोग - भारत में चंद्र ग्रहण कब दिखेगा

साल 2023 का आखिरी चंद्र ग्रहण 28 और 29 अक्‍टूबर की मध्‍यरात्रि को लगने जा रहा है. चंद्र ग्रहण भारत में रात 1 बजकर 6 मिनट पर शुरू होगा और देर रात 2:56 पर समाप्त होगा. इस दौरान क्या करें ये जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर... (Chandra Grahan 2023) (chandra Grahan 2023 sutak kaal niyam) (chandra Grahan 2023 when and where to watch).

Chandra Grahan 2023
Chandra Grahan 2023
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Oct 26, 2023, 3:19 PM IST

कुल्लू: इस साल 28 अक्टूबर शनिवार की रात चंद्र ग्रहण लगेगा और इसी दिन शरद पूर्णिमा भी है. यह शरद पूर्णिमा माता लक्ष्मी को समर्पित है और चंद्र ग्रहण का असर भारत में भी दिखाई देगा. चंद्र ग्रहण भारत में रात 1 बजकर 6 मिनट पर शुरू होगा और देर रात 2:56 पर समाप्त होगा. वहीं, शरद पूर्णिमा के दिन लग रहे चंद्र ग्रहण पर कई अद्भुत संयोग भी बना रहे हैं. जिससे इस दिन का काफी महत्व बढ़ गया है.

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह चंद्र ग्रहण तुला राशि और स्वाति नक्षत्र में लग रहा है. इस दिन चंद्रमा मेष राशि में रहेंगे जहां पहले से ही गुरु ग्रह विराजमान है. इस तरह चंद्रमा और गुरु की युति से गज केसरी और बन रहा है. गज केसरी योग के साथ इस दिन रवि योग, बुध आदित्य योग, सुश योग और सिद्धि योग भी बन रहा है. ऐसे में इस चंद्र ग्रहण और शरद पूर्णिमा के एक साथ होने से इसका महत्व भी बढ़ जाता है.

आचार्य दीप कुमार का कहना है कि चंद्र ग्रहण का सूतक ग्रहण शुरू होने से 9 घंटे पहले शुरू हो जाता है. ग्रहण खत्म होने के साथ सूतक भी खत्म हो जाता है. ऐसे में चंद्र ग्रहण के दिन दान पुण्य करने से व्यक्ति को कई लाभ मिलते हैं और कुंडली में भी कई दोष का असर कम हो जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शरद पूर्णिमा की रात माता लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती है और घर-घर जाकर देखते हैं की शरद पूर्णिमा पर कौन-कौन जाग रहा है. इसी कारण से शरद पूर्णिमा को कोजागर पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है.

ऐसे में शरद पूर्णिमा पर देवी लक्ष्मी की पूजा करने का विधान है और रात के समय खुले आसमान के नीचे खीर रखने तथा अगले दिन सुबह उसे खाने का भी विशेष महत्व है. शरद पूर्णिमा की रात खीर बनाने और उसे चांद की रोशनी में रखने से उसमें कई तरह के औषधीय गुण आ जाते हैं. लेकिन इस बार शरद पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण भी लगेगा. इस वजह से ग्रहण की समाप्ति के बाद खीर बनाना ज्यादा शुभ रहेगा.

शरद पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी की विशेष पूजा आराधना का विधान है. ऐसी मान्यता है की माता लक्ष्मी स्वयं घर-घर जाकर भक्तों के मनोकामना को पूरी करती है. ऐसे में रात भर जाग कर माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना तथा मंत्रों का जाप करना चाहिए. ग्रहण के बाद दूध से बनी खीर बनाकर उसे चंद्रमा की रोशनी में रखना चाहिए, क्योंकि ग्रहण और सूतक काल के दौरान ना तो खाना बनाया जाता और नहीं खाया जाता है. ग्रहण के दौरान सभी खाने की चीजों में तुलसी के पत्ते जरूर डालें.

ये भी पढ़ें- 30 अक्टूबर को राशि परिवर्तन करेंगे राहु-केतु, इन जातकों को मिलेगा शुभ लाभ

कुल्लू: इस साल 28 अक्टूबर शनिवार की रात चंद्र ग्रहण लगेगा और इसी दिन शरद पूर्णिमा भी है. यह शरद पूर्णिमा माता लक्ष्मी को समर्पित है और चंद्र ग्रहण का असर भारत में भी दिखाई देगा. चंद्र ग्रहण भारत में रात 1 बजकर 6 मिनट पर शुरू होगा और देर रात 2:56 पर समाप्त होगा. वहीं, शरद पूर्णिमा के दिन लग रहे चंद्र ग्रहण पर कई अद्भुत संयोग भी बना रहे हैं. जिससे इस दिन का काफी महत्व बढ़ गया है.

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह चंद्र ग्रहण तुला राशि और स्वाति नक्षत्र में लग रहा है. इस दिन चंद्रमा मेष राशि में रहेंगे जहां पहले से ही गुरु ग्रह विराजमान है. इस तरह चंद्रमा और गुरु की युति से गज केसरी और बन रहा है. गज केसरी योग के साथ इस दिन रवि योग, बुध आदित्य योग, सुश योग और सिद्धि योग भी बन रहा है. ऐसे में इस चंद्र ग्रहण और शरद पूर्णिमा के एक साथ होने से इसका महत्व भी बढ़ जाता है.

आचार्य दीप कुमार का कहना है कि चंद्र ग्रहण का सूतक ग्रहण शुरू होने से 9 घंटे पहले शुरू हो जाता है. ग्रहण खत्म होने के साथ सूतक भी खत्म हो जाता है. ऐसे में चंद्र ग्रहण के दिन दान पुण्य करने से व्यक्ति को कई लाभ मिलते हैं और कुंडली में भी कई दोष का असर कम हो जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शरद पूर्णिमा की रात माता लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती है और घर-घर जाकर देखते हैं की शरद पूर्णिमा पर कौन-कौन जाग रहा है. इसी कारण से शरद पूर्णिमा को कोजागर पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है.

ऐसे में शरद पूर्णिमा पर देवी लक्ष्मी की पूजा करने का विधान है और रात के समय खुले आसमान के नीचे खीर रखने तथा अगले दिन सुबह उसे खाने का भी विशेष महत्व है. शरद पूर्णिमा की रात खीर बनाने और उसे चांद की रोशनी में रखने से उसमें कई तरह के औषधीय गुण आ जाते हैं. लेकिन इस बार शरद पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण भी लगेगा. इस वजह से ग्रहण की समाप्ति के बाद खीर बनाना ज्यादा शुभ रहेगा.

शरद पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी की विशेष पूजा आराधना का विधान है. ऐसी मान्यता है की माता लक्ष्मी स्वयं घर-घर जाकर भक्तों के मनोकामना को पूरी करती है. ऐसे में रात भर जाग कर माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना तथा मंत्रों का जाप करना चाहिए. ग्रहण के बाद दूध से बनी खीर बनाकर उसे चंद्रमा की रोशनी में रखना चाहिए, क्योंकि ग्रहण और सूतक काल के दौरान ना तो खाना बनाया जाता और नहीं खाया जाता है. ग्रहण के दौरान सभी खाने की चीजों में तुलसी के पत्ते जरूर डालें.

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