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ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क में हुई कस्तूरी मृग, ब्लू शीप और भूरे भालू की गणना

Census of Musk Deer at Kullu National Park: वन विभाग ने कुल्लू के ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क में कस्तूरी मृग, नीली भेड़ और भूरे भालू की जनगणना कर इसकी रिपोर्ट चंडीगढ़ भेज दी है. बता दें कि इस गणना के लिए ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क प्रबंधन द्वारा 15 टीमों का गठन किया गया था. पढ़ें पूरी खबर..

Census of musk deer at Kullu National Park
कुल्लू के नेशनल पार्क में हुई जानवरों की गणना
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Dec 9, 2023, 5:29 PM IST

कुल्लू: हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले के उपमंडल बंजार में स्थित ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क में पार्क प्रबंधन के द्वारा ब्लू शीप, भूरा भालू और कस्तूरी मृग की गणना की गई है. साथ ही इसकी रिपोर्ट चंडीगढ़ भेज दी गई है. अब रिपोर्ट आने के बाद इस बात का खुलासा होगा कि पार्क में इन तीन प्रजाति के कितने जीव है और अब इनकी संख्या में कितनी वृद्धि हुई है. ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क के विश्व धरोहर बनने के बाद यहां पर जड़ी बूटी, पशु पक्षियों और जीव जंतुओं का संरक्षण हो रहा है. साल 2022 के आंकड़ों की बात करें तो पार्क में एक दशक में ब्लू शीप की संख्या में दोगुनी वृद्धि हुई है. वहीं, दुर्लभ वन्य जीव कस्तूरी मृग की संख्या भी अधिक पाई गई है.

बता दें कि ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क प्रबंधन के द्वारा 15 टीमों का गठन किया गया. जो अलग-अलग स्थान पर जाकर इन तीनों जीव की गणना में जुटी रही. टीम ने इस दौरान पाया कि पार्क के अलग-अलग इलाके में ब्लू शीप के कहीं झुंड विचरण कर रहे हैं और कस्तूरी मृग की मौजूदगी भी कई जगह पर पाई गई. ऐसे में अब रिपोर्ट आने के बाद इस बात का खुलासा हो पाएगा कि साल 2022 के मुकाबले 2023 में इन तीनों जीवन की संख्या में कितनी वृद्धि हुई है.

गौर रहे कि कुल्लू के बंजार की तीर्थन और सैंज घाटी में स्थित ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क को वर्ष 2014 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर का दर्जा दिया गया. यह नेशनल पार्क भारत के बहुत ही खूबसूरत नेशनल पार्कों में से एक है. वर्ष 2018 में भारतीय वन्य जीव संस्थान द्वारा करवाए गए सर्वे में इस नेशनल पार्क को देश भर की सैंक्चुअरी में पहला स्थान हासिल हुआ था. भारत सरकार द्वारा गठित प्रबंधन प्रभावकारिता मूल्यांकन कमेटी अब चार साल के बाद इस पार्क का पुनः आकलन करेगी.

इसी सिलसिले में पंजाब सरकार वन विभाग से सेवानिवृत्त पीसीसीएफ विद्या भूषण कुमार की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय टीम जिसमें वल्चर और रैपटन के विशेषज्ञ डॉक्टर विभवु कुमार और वन्य जीव संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. साल्वाडोर लिंग्दोह शामिल है. यह टीम ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क तीर्थन रेंज शाईरोपा में पहुंची है. इस टीम द्वारा एक बार पुनः ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क की नए सिरे से रैंकिंग की जा रही है. यह टीम करीब एक सप्ताह तक तीर्थन और सैंज परिक्षेत्र का दौरा करेगी जो पार्क क्षेत्र में हुए पर्यावरण परिवर्तन, मानव दखल, समुदाय की सहभागिता, पर्यटन, पार्क के प्रबंधन, संरक्षण और चुनौतियों पर अपनी रिर्पोट तैयार कर रही है.

गौरतलब है कि ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क का क्षेत्रफल करीब 765 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. यहां पर अद्वितीय प्राकृतिक सौन्दर्य और जैविक विविधता का अनुपम खजाना भरा पड़ा है. इस नेशनल पार्क का महत्व यहां पाई जाने वाली दुर्लभतम जैविक विविधता से ही है. वन्य जीव हो या परिन्दा, बर्फानी तेंदुआ, भालू, घोरल, ककड़, जाजू राणा, मोनाल सरीखे कई परिन्दे और जीव-जन्तु और वन वनस्पति औषधीय जड़ी बूटियां यहां मौजूद हैं. इस पार्क की विशेषता यह भी है कि यहां पर वन्य जीवों व परिन्दों की वो प्रजातियां आज भी पाई जाती है जो समूचे विश्व में दुर्लभ होने के कगार पर है. बात चाहे वन्य प्राणियों की हो चाहे परिन्दों की हो या औषधिय जड़ी बूटियों की हो, यह पार्क क्षेत्र हर प्रकार के अनुसंधान कर्ता, प्रकृति प्रेमियो, पर्यटकों और ट्रैकरों को लुभा रहा है.

भारतीय वन्य जीव संस्थान की मैनेजमेंट इफेक्टिवनेस इवेल्यूएशन कमेटी के सदस्य विद्या भूषण कुमार ने बताया कि कि बहुत लम्बी प्रक्रिया के बाद इस नेशनल पार्क को विश्व धरोहर का दर्जा मिला है. भारत के सभी नेशनल पार्कों का एक बार पुनः मूल्यांकन किया जा रहा है जिसमें ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क भी शामिल है. इन्होंने बताया कि इसके रीवेल्यूएशन की प्रक्रिया भी काफी जटिल रहती है. टीम करीब एक सप्ताह तक पार्क क्षेत्र का दौरा करके अपनी रिपोर्ट तैयार करेगी और इसे भारतीय वन्य जीव संस्थान को सौंपा जाएगा.

ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क के एसीएफ हंस राज ठाकुर ने बताया कि तीर्थन वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी के लिए मैनेजमेंट प्लान तैयार किया जा रहा है. जिसके तहत ईको जॉन में स्थित ग्राम पंचायतों के हर वार्ड में अनेकों कार्य किए जाएंगे. इसके साथ ही पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय हितधारकों को बर्डवाचिंग और हाउसकीपिंग की एडवांस लेवल ट्रेनिंग करवाई जाएगी.

ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क के वरिष्ठ अरण्यपाल मीरा शर्मा ने बताया कि अक्टूबर माह में टीम के द्वारा अलग-अलग मापदंड से गणना की गई है. कस्तूरी मृग की गणना उसके वास स्थलों के आसपास से आवाज के जरिए की जाती है. जबकि भूरा भालू और ब्लू शीप की दूरबीन तथा दूसरे उपकरणों से स्कैनिंग कर गणना की जाती है. इसके बाद एक एजेंसी को यह सारी चीज भेज कर उसकी गणना करवाई जाती है. जल्द ही इसकी रिपोर्ट आएगी और यह पता चल पाएगा कि पार्क में अब इनकी संख्या कितनी है.

ये भी पढ़ें: वल्लभ कॉलेज के अधूरे भवन को मिला एक और आश्वासन, डेढ़ साल से अधर में लटका है निमार्ण

कुल्लू: हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले के उपमंडल बंजार में स्थित ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क में पार्क प्रबंधन के द्वारा ब्लू शीप, भूरा भालू और कस्तूरी मृग की गणना की गई है. साथ ही इसकी रिपोर्ट चंडीगढ़ भेज दी गई है. अब रिपोर्ट आने के बाद इस बात का खुलासा होगा कि पार्क में इन तीन प्रजाति के कितने जीव है और अब इनकी संख्या में कितनी वृद्धि हुई है. ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क के विश्व धरोहर बनने के बाद यहां पर जड़ी बूटी, पशु पक्षियों और जीव जंतुओं का संरक्षण हो रहा है. साल 2022 के आंकड़ों की बात करें तो पार्क में एक दशक में ब्लू शीप की संख्या में दोगुनी वृद्धि हुई है. वहीं, दुर्लभ वन्य जीव कस्तूरी मृग की संख्या भी अधिक पाई गई है.

बता दें कि ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क प्रबंधन के द्वारा 15 टीमों का गठन किया गया. जो अलग-अलग स्थान पर जाकर इन तीनों जीव की गणना में जुटी रही. टीम ने इस दौरान पाया कि पार्क के अलग-अलग इलाके में ब्लू शीप के कहीं झुंड विचरण कर रहे हैं और कस्तूरी मृग की मौजूदगी भी कई जगह पर पाई गई. ऐसे में अब रिपोर्ट आने के बाद इस बात का खुलासा हो पाएगा कि साल 2022 के मुकाबले 2023 में इन तीनों जीवन की संख्या में कितनी वृद्धि हुई है.

गौर रहे कि कुल्लू के बंजार की तीर्थन और सैंज घाटी में स्थित ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क को वर्ष 2014 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर का दर्जा दिया गया. यह नेशनल पार्क भारत के बहुत ही खूबसूरत नेशनल पार्कों में से एक है. वर्ष 2018 में भारतीय वन्य जीव संस्थान द्वारा करवाए गए सर्वे में इस नेशनल पार्क को देश भर की सैंक्चुअरी में पहला स्थान हासिल हुआ था. भारत सरकार द्वारा गठित प्रबंधन प्रभावकारिता मूल्यांकन कमेटी अब चार साल के बाद इस पार्क का पुनः आकलन करेगी.

इसी सिलसिले में पंजाब सरकार वन विभाग से सेवानिवृत्त पीसीसीएफ विद्या भूषण कुमार की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय टीम जिसमें वल्चर और रैपटन के विशेषज्ञ डॉक्टर विभवु कुमार और वन्य जीव संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. साल्वाडोर लिंग्दोह शामिल है. यह टीम ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क तीर्थन रेंज शाईरोपा में पहुंची है. इस टीम द्वारा एक बार पुनः ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क की नए सिरे से रैंकिंग की जा रही है. यह टीम करीब एक सप्ताह तक तीर्थन और सैंज परिक्षेत्र का दौरा करेगी जो पार्क क्षेत्र में हुए पर्यावरण परिवर्तन, मानव दखल, समुदाय की सहभागिता, पर्यटन, पार्क के प्रबंधन, संरक्षण और चुनौतियों पर अपनी रिर्पोट तैयार कर रही है.

गौरतलब है कि ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क का क्षेत्रफल करीब 765 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. यहां पर अद्वितीय प्राकृतिक सौन्दर्य और जैविक विविधता का अनुपम खजाना भरा पड़ा है. इस नेशनल पार्क का महत्व यहां पाई जाने वाली दुर्लभतम जैविक विविधता से ही है. वन्य जीव हो या परिन्दा, बर्फानी तेंदुआ, भालू, घोरल, ककड़, जाजू राणा, मोनाल सरीखे कई परिन्दे और जीव-जन्तु और वन वनस्पति औषधीय जड़ी बूटियां यहां मौजूद हैं. इस पार्क की विशेषता यह भी है कि यहां पर वन्य जीवों व परिन्दों की वो प्रजातियां आज भी पाई जाती है जो समूचे विश्व में दुर्लभ होने के कगार पर है. बात चाहे वन्य प्राणियों की हो चाहे परिन्दों की हो या औषधिय जड़ी बूटियों की हो, यह पार्क क्षेत्र हर प्रकार के अनुसंधान कर्ता, प्रकृति प्रेमियो, पर्यटकों और ट्रैकरों को लुभा रहा है.

भारतीय वन्य जीव संस्थान की मैनेजमेंट इफेक्टिवनेस इवेल्यूएशन कमेटी के सदस्य विद्या भूषण कुमार ने बताया कि कि बहुत लम्बी प्रक्रिया के बाद इस नेशनल पार्क को विश्व धरोहर का दर्जा मिला है. भारत के सभी नेशनल पार्कों का एक बार पुनः मूल्यांकन किया जा रहा है जिसमें ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क भी शामिल है. इन्होंने बताया कि इसके रीवेल्यूएशन की प्रक्रिया भी काफी जटिल रहती है. टीम करीब एक सप्ताह तक पार्क क्षेत्र का दौरा करके अपनी रिपोर्ट तैयार करेगी और इसे भारतीय वन्य जीव संस्थान को सौंपा जाएगा.

ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क के एसीएफ हंस राज ठाकुर ने बताया कि तीर्थन वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी के लिए मैनेजमेंट प्लान तैयार किया जा रहा है. जिसके तहत ईको जॉन में स्थित ग्राम पंचायतों के हर वार्ड में अनेकों कार्य किए जाएंगे. इसके साथ ही पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय हितधारकों को बर्डवाचिंग और हाउसकीपिंग की एडवांस लेवल ट्रेनिंग करवाई जाएगी.

ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क के वरिष्ठ अरण्यपाल मीरा शर्मा ने बताया कि अक्टूबर माह में टीम के द्वारा अलग-अलग मापदंड से गणना की गई है. कस्तूरी मृग की गणना उसके वास स्थलों के आसपास से आवाज के जरिए की जाती है. जबकि भूरा भालू और ब्लू शीप की दूरबीन तथा दूसरे उपकरणों से स्कैनिंग कर गणना की जाती है. इसके बाद एक एजेंसी को यह सारी चीज भेज कर उसकी गणना करवाई जाती है. जल्द ही इसकी रिपोर्ट आएगी और यह पता चल पाएगा कि पार्क में अब इनकी संख्या कितनी है.

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