कुल्लू: सेब सीजन की शुरूआत होने वाली है, लेकिन सड़कों की हालत सही नहीं है. वहीं, बागवानों को इस बार मौसम की मार के चलते सेब की फसल 30 प्रतिशत कम रहने की संभावना है.
सब्जी मंडियों में एपीएमसी ने भी सेब सीजन को लेकर अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं. बागवानों को मंडियों तक सेब पहुंचाने और बाहरी राज्यों तक वाहनों की व्यवस्था के लिए भी ट्रक यूनियन के साथ बैठक की गई है, लेकिन सेब का सीजन कम होने के चलते बागबान काफी निराश हैं.
घाटी के बागवानों का कहना है कि मौसम की मार के चलते अबकी बार 50 लाख पेटियां सेब निकलने का अनुमान है. जिससे इस साल उन्हें कोई खास फायदा नहीं हो पाएगा. कोरोना काल में ही पहले ही उन्हें सब्जियों में काफी नुकसान उठाना पड़ा है.
ऐसे में अब उनकी नजरें सेब सीजन पर ही टिकी हुई थी. अब सेब की फसल भी मौसम की मार के चलते काफी प्रभावित हुई है. कोरोना संकट के चलते मालवाहक वाहनों पर भी सेब की पेटियों पर किराया बढ़ा दिया गया है. आनी उपमंडल में भी एक पेटी के ऊपर 7 रुपये किराया बढ़ा है. और कुल्लू में भी अब पेटी पर परिवहन भाड़ा बढ़ाने की बात हो रही है.
कुल्लू में वैसे ही सेब की फसल काफी कम है. अगर मालवाहक वाहनों का किराया बढ़ाया जाता है, तो बागवानों को खासा नुकसान उठाना पड़ेगा. वहीं, बागवानों का कहना है कि दूसरी और जिले की सड़कों की हालत भी कुछ खास नहीं है.
कई जगह पर पिछले साल से ही डंगे गिरे हुए हैं और सड़क उखड़ी हुई है. अपनी फसल पीठ पर पहले कई किलोमीटर तक फिर सड़क पर पहुंचाना मजबूरी बन गई है.
एपीएमसी के सचिव सुशील गुलेरिया का कहना है कि जिले में अबकी बार सेब की फसल काफी कम है, लेकिन उसके बाद भी मंडियों में बागवानों को बेहतर सुविधा देने के लिए बाहरी राज्यों से भी आढ़ती आ रहे हैं. आढ़तियों को क्वारंटाइन किया जा रहा है. बागवानों के लिए वाहनों की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है.
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