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अद्भुत हिमाचल: यहां पुलिस नहीं देवता करते हैं लाखों लोगों की भीड़ को नियंत्रित, गंदगी फैलाने पर खुद चल पड़ता है देवरथ - कुल्लू में ट्रैफिक इंचार्ज देवता

ईटीवी भारत की खास सीरीज 'अद्भुत हिमाचल' में अब तक आपने देवभूमि में निभाए जाने वाले कई रोचक रीति-रिवाजों के बारे में जाना. इस सीरीज में आज हम एक ऐसे देवता से रूबरू कराने जा रहे हैं. जो अंतरारष्ट्रीय कुल्लू दशहरा में हजारों लोगों की भीड़ को खुद नियंत्रित करते हैं.

धूमल नाग देवता
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Published : Oct 11, 2019, 8:55 AM IST

कुल्लू: देवभूमि की संस्कृति और परंपरा अपने आप में एक मिसाल है और यही इसे अद्भुत भी बनाती है. अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा में एक ऐसे देवता भाग लेते हैं जो लाखों लोगों की भीड़ को बखूबी संभालते हैं. वैसे तो इनका नाम धूमल नाग है, लेकिन इन्हें ट्रैफिक इंचार्ज की भी संज्ञा दी गई है.

एक ओर पूरे दशहरे में जहां लोगों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए सैकड़ों के हिसाब से पुलिस जवानों को बुलाया जाता है, वहीं मान्यता है कि रथ यात्रा के आरंभ से ही धूमल नाग देवता अकेले ही पूरी भीड़ को नियंत्रित करते हैं और दशहरा मैदान में उमड़ने वाली भीड़ को भगवान रघुनाथ के रथ से दूर रखने की कोशिश करते हैं.

वीडियो

दशहरे का आरंभ हो या फिर समापन, जब भी भगवान रघुनाथ के रथ के सामने लोगों की भारी भीड़ उमड़ती है तो धूमल नाग स्वयं भगवान रघुनाथ के लिए रास्ता बनाते हैं और लोगों की भीड़ को दूर करते हैं. जब दशहरा में लोगों की भीड़ को हटाने में असमर्थ साबित होने लगती है तब भी धूमल नाग खुद भीड़ को हटाकर भगवान रघुनाथ के लिए रास्ता बनाते हैं. देवता के कारदार, पुजारी और गुर आज भी इस अलौकिक शक्ति से हैरान हैं.

कुल्लू दशहरा में धूमल नाग के आस-पास साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखा जाता है. मान्यता है कि मंदिर के आस पास जब कोई गंदगी फैलाता है तो देव रथ अपने आप चलने लगता है. यही वजह है कि पहले देवरथ को बांधकर रखा जाता था, लेकिन जब से रथ में देवता के लिए आसन की व्यवस्था की गई है तब से उन्होंने रथ को बांधना छोड़ दिया है. कहते हैं कि देवता के रथ में इतनी शक्ति है कि जब भी उनकी इच्छा के बगैर कोई धार्मिक कार्य किया जाता है तो उनका रथ खुद ब खुद चलने लगता है. यही वजह है कि कारदार और देवता के पुजारी दशकों से इस परंपरा का निर्वहन करते आ रहे हैं, ताकि धूमल नाग देवता हमेशा प्रसन्न रहें और सबके ऊपर अपनी कृपा बनाए रखें.

कुल्लू: देवभूमि की संस्कृति और परंपरा अपने आप में एक मिसाल है और यही इसे अद्भुत भी बनाती है. अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा में एक ऐसे देवता भाग लेते हैं जो लाखों लोगों की भीड़ को बखूबी संभालते हैं. वैसे तो इनका नाम धूमल नाग है, लेकिन इन्हें ट्रैफिक इंचार्ज की भी संज्ञा दी गई है.

एक ओर पूरे दशहरे में जहां लोगों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए सैकड़ों के हिसाब से पुलिस जवानों को बुलाया जाता है, वहीं मान्यता है कि रथ यात्रा के आरंभ से ही धूमल नाग देवता अकेले ही पूरी भीड़ को नियंत्रित करते हैं और दशहरा मैदान में उमड़ने वाली भीड़ को भगवान रघुनाथ के रथ से दूर रखने की कोशिश करते हैं.

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दशहरे का आरंभ हो या फिर समापन, जब भी भगवान रघुनाथ के रथ के सामने लोगों की भारी भीड़ उमड़ती है तो धूमल नाग स्वयं भगवान रघुनाथ के लिए रास्ता बनाते हैं और लोगों की भीड़ को दूर करते हैं. जब दशहरा में लोगों की भीड़ को हटाने में असमर्थ साबित होने लगती है तब भी धूमल नाग खुद भीड़ को हटाकर भगवान रघुनाथ के लिए रास्ता बनाते हैं. देवता के कारदार, पुजारी और गुर आज भी इस अलौकिक शक्ति से हैरान हैं.

कुल्लू दशहरा में धूमल नाग के आस-पास साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखा जाता है. मान्यता है कि मंदिर के आस पास जब कोई गंदगी फैलाता है तो देव रथ अपने आप चलने लगता है. यही वजह है कि पहले देवरथ को बांधकर रखा जाता था, लेकिन जब से रथ में देवता के लिए आसन की व्यवस्था की गई है तब से उन्होंने रथ को बांधना छोड़ दिया है. कहते हैं कि देवता के रथ में इतनी शक्ति है कि जब भी उनकी इच्छा के बगैर कोई धार्मिक कार्य किया जाता है तो उनका रथ खुद ब खुद चलने लगता है. यही वजह है कि कारदार और देवता के पुजारी दशकों से इस परंपरा का निर्वहन करते आ रहे हैं, ताकि धूमल नाग देवता हमेशा प्रसन्न रहें और सबके ऊपर अपनी कृपा बनाए रखें.

Intro:यहां पुलिस की जगह देवता करते है हजारो लोगो की भीड़ को नियंत्रित
अशुद्धि होने पर अपने आप चल पड़ता है देवरथBody:
कुल्लू
आज तक हमने पुलिस को भीड़ नियंत्रण करते हुए देखा है लेकिन कुल्लू दशहरा में एक ऐसा भी देवता भाग लेता है, जिनका नाम तो वैसे धूमल नाग है, पर उन्हें ट्रैफिक इंचार्ज की संज्ञा भी दी गई है। पूरे दशहरे में जहां लोगों की भीड़ को नियंत्रण करने के लिए सैंकड़ों के हिसाब से पुलिस के जवानों को बुलाया जाता है, वहीं रथ यात्रा के आरंभ से ही यह देवता धूमल नाग अकेले ही पूरी भीड़ को नियंत्रित करता है और दशहरा मैदान में उमड़ रही भीड़ को भी भगवान रघुनाथ के रथ से दूर रखने की कोशिश करता है।
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दशहरे का आरंभ हो या फिर समापन, जब भी भगवान रघुनाथ के रथ के सामने लोगों की भारी भीड़ उमड़ती है तो यह देवता स्वयं भगवान रघुनाथ के लिए रास्ता बनाते हैं और लोगों की भीड़ को दूर करते हैं। यह परंपरा आज भी देखने को मिलती है। जब देवता का रथ लोगों की भीड़ को स्वयं हटाता है और इसी कारण इन्हें ट्रैफिक हवलदार के नाम से भी जाना जाता है। देवता के कारदार और पुजारी ने बताया कि जब दशहरे के दौरान काफी भीड़ होती है और जब पुलिस के जवान भी लोगों की भीड़ को हटाने में असमर्थ रहते हैं तो यह देवता अपनी पूरी शक्ति के साथ भीड़ को हटाकर भगवान रघुनाथ व स्वयं के लिए रास्ता बनाता है।
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देवता के गुर गुप्त राम ने बताया कि जब कोई व्यक्ति मंदिर के आसपास गंदगी फैलाता है तो यह देव रथ अपने आप ही अपने स्थान से चलने लगता है, इस कारण इस देव रथ को बांध कर भी रखा जाता था। अब जब से देवता के लिए नए आसन की व्यवस्था की गई है, तबसे उन्होंने देवता के रथ को बांधना छोड़ दिया है। हालांकि अभी भी कई बार देवता का रथ अपने स्थान से स्वयं चलने लगता है। Conclusion:देवता के गुर गुप्त राम ने बताया कि काफी समय से वह भी यह देखते आए हैं कि जहां पर काफी भीड़ होती है वहां पर जाकर यह देवता उस भीड़ को हटाते हैं। उन्होंने बताया कि देवता के रथ में इतनी शक्ति है कि अगर देवता की इच्छा के बगैर कोई धार्मिक कार्य किया जाता है तो देवता का रथ स्वयं जमीन पर चलने लगता है।
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