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किन्नौर: जंगी ठोपन जल विद्युत परियोजना का ग्रामीण कर रहे विरोध, ये है वजह

जंगी थोपान जल विद्युत परियोजना का ग्रामीण विरोध कर रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि जल विद्युत परियोजना से पानी के जलस्त्रोत सूख सकते हैं. इसके अलावा भी उन्हें बहुत नुकसान हो सकता है. परियोजना के निर्माण के समय रासायनिक धमाकों से जिला किन्नौर की हवा भी प्रदूषित होती है और नदी-नालों के जलस्तर की गुणवत्ता खराब होती है.

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Published : Mar 28, 2021, 4:38 PM IST

Updated : Mar 29, 2021, 6:09 AM IST

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किन्नौर: जनजातीय जिला किन्नौर में प्रस्तावित जंगी ठोपन जल विद्युत परियोजना का ग्रामीण लगातार विरोध कर रहे हैं. ग्रामीणों को डर है कि इस परियोजना के निर्माण से उनके आशियानों को खतरा हो सकता है जिसकी वजह से वे इस परियोजना का विरोध कर रहे हैं.

एसजेवीएनएल को सौंपा गया परियोजना का कार्य

बता दें कि जिला किन्नौर में नाथपा झाकड़ी जल विद्युत परियोजना 15 सौ मेगावॉट, बासपा परियोजना 3 सौ मेगावॉट, शोंग ठोंग करछम 450 मेगावॉट और भविष्य में बनने वाली जंगी ठोपन सतलुज जल विद्युत निगम (एसजेवीएनएल) की 8 सौ मेगावाट के निर्माणाधीन कार्य शुरू होगा. इसके लिए एसजेवीएनएल लगातार अपने कार्यो में लगी हुई है. जिला में इसी तरह छोटे नदी नालों पर अभी कई जलविद्युत परियोजनाओं का काम चला हुआ है जिनका ग्रामीण स्तर पर विरोध होता रहा है.

वीडियो

जंगी थोपान परियोजना का ग्रामीण कर रहे विरोध

ग्रामीणों का कहना है कि जल विद्युत परियोजना से पानी के जलस्त्रोत सूख सकते हैं. इसके अलावा भी उन्हें बहुत नुकसान हो सकता है. परियोजना के निर्माण के समय रासायनिक धमाकों से जिला किन्नौर की हवा भी प्रदूषित होती है और नदी-नालों के जलस्तर की गुणवत्ता खराब होती है. जिला में अबतक 50 फीसदी जलविद्युत परियोजनाओं का काम खत्म हो चुका है, जो बहुत बड़े स्तर के जलविद्युत परियोजना के काम हैं. यह करोड़ों की लागत से बनने वाली परियोजनाओं में से एक है, जिसका ग्रामीण विरोध कर रहे हैं. आने वाले समय में ग्रामीण बड़े स्तर पर इसे लेकर विरोध भी कर सकते हैं.

परियोजना से रांरग गांव के लोगों को नुकसान

रारंग पंचायत के लोगों का कहना है कि इस परियोजना के आने से सबसे बड़ा खतरा रारंग गांव को है, क्योंकि गांव की भौगोलिक परिस्थिति अलग है. यह गांव बिल्कुल खड़ी चट्टानों पर बसा हुआ है जो हल्के से धमाके के बाद भी हिल सकता है. ऐसे में इस क्षेत्र के लोग इस जल विद्युत परियोजना का विरोध करने के लिए तैयार हैं.

स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्होंने जिला के ऐसे क्षेत्र देखे हैं, जहां जलविद्युत परियोजनाओं के निर्माणाधीन कार्यों के दौरान लोगों ने अपने आशियाने खो दिए. कई क्षेत्रों में तो जलविद्युत परियोजनाओं के कार्यों के बाद आज तक मकानों में दरारें नजर आती हैं. इसके साथ ही वातावरण भी बहुत प्रभावित हुआ जिसमें कम बर्फ पड़ना और गर्मी का बढ़ना मुख्य है.

परियोजना का चल रहा सर्वे

किन्नौर डीसी हेमराज बैरवा ने कहा कि अभी जिला के जंगी ठोपन जो एसजेवीएनएल के निर्माणाधीन कार्य की बात चली है, उसका सर्वे चला हुआ है. इसके बाद सरकार से इस विषय को अनुमति मिलेगी और स्थानीय पंचायत स्तर पर बातचीत के बाद ही परियोजना अपनी आगामी कार्रवाई पर काम करेगी.

ये भी पढ़ें: 'सफेद चांदी' के बीच जमकर झूम रहे पर्यटक, 'नो मास्क नो सर्विस' के साथ पुलिस भी मुस्तैद

किन्नौर: जनजातीय जिला किन्नौर में प्रस्तावित जंगी ठोपन जल विद्युत परियोजना का ग्रामीण लगातार विरोध कर रहे हैं. ग्रामीणों को डर है कि इस परियोजना के निर्माण से उनके आशियानों को खतरा हो सकता है जिसकी वजह से वे इस परियोजना का विरोध कर रहे हैं.

एसजेवीएनएल को सौंपा गया परियोजना का कार्य

बता दें कि जिला किन्नौर में नाथपा झाकड़ी जल विद्युत परियोजना 15 सौ मेगावॉट, बासपा परियोजना 3 सौ मेगावॉट, शोंग ठोंग करछम 450 मेगावॉट और भविष्य में बनने वाली जंगी ठोपन सतलुज जल विद्युत निगम (एसजेवीएनएल) की 8 सौ मेगावाट के निर्माणाधीन कार्य शुरू होगा. इसके लिए एसजेवीएनएल लगातार अपने कार्यो में लगी हुई है. जिला में इसी तरह छोटे नदी नालों पर अभी कई जलविद्युत परियोजनाओं का काम चला हुआ है जिनका ग्रामीण स्तर पर विरोध होता रहा है.

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जंगी थोपान परियोजना का ग्रामीण कर रहे विरोध

ग्रामीणों का कहना है कि जल विद्युत परियोजना से पानी के जलस्त्रोत सूख सकते हैं. इसके अलावा भी उन्हें बहुत नुकसान हो सकता है. परियोजना के निर्माण के समय रासायनिक धमाकों से जिला किन्नौर की हवा भी प्रदूषित होती है और नदी-नालों के जलस्तर की गुणवत्ता खराब होती है. जिला में अबतक 50 फीसदी जलविद्युत परियोजनाओं का काम खत्म हो चुका है, जो बहुत बड़े स्तर के जलविद्युत परियोजना के काम हैं. यह करोड़ों की लागत से बनने वाली परियोजनाओं में से एक है, जिसका ग्रामीण विरोध कर रहे हैं. आने वाले समय में ग्रामीण बड़े स्तर पर इसे लेकर विरोध भी कर सकते हैं.

परियोजना से रांरग गांव के लोगों को नुकसान

रारंग पंचायत के लोगों का कहना है कि इस परियोजना के आने से सबसे बड़ा खतरा रारंग गांव को है, क्योंकि गांव की भौगोलिक परिस्थिति अलग है. यह गांव बिल्कुल खड़ी चट्टानों पर बसा हुआ है जो हल्के से धमाके के बाद भी हिल सकता है. ऐसे में इस क्षेत्र के लोग इस जल विद्युत परियोजना का विरोध करने के लिए तैयार हैं.

स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्होंने जिला के ऐसे क्षेत्र देखे हैं, जहां जलविद्युत परियोजनाओं के निर्माणाधीन कार्यों के दौरान लोगों ने अपने आशियाने खो दिए. कई क्षेत्रों में तो जलविद्युत परियोजनाओं के कार्यों के बाद आज तक मकानों में दरारें नजर आती हैं. इसके साथ ही वातावरण भी बहुत प्रभावित हुआ जिसमें कम बर्फ पड़ना और गर्मी का बढ़ना मुख्य है.

परियोजना का चल रहा सर्वे

किन्नौर डीसी हेमराज बैरवा ने कहा कि अभी जिला के जंगी ठोपन जो एसजेवीएनएल के निर्माणाधीन कार्य की बात चली है, उसका सर्वे चला हुआ है. इसके बाद सरकार से इस विषय को अनुमति मिलेगी और स्थानीय पंचायत स्तर पर बातचीत के बाद ही परियोजना अपनी आगामी कार्रवाई पर काम करेगी.

ये भी पढ़ें: 'सफेद चांदी' के बीच जमकर झूम रहे पर्यटक, 'नो मास्क नो सर्विस' के साथ पुलिस भी मुस्तैद

Last Updated : Mar 29, 2021, 6:09 AM IST
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