किन्नौर: जिले का युला गांव यहां आसमान छूते पहाड़ चारों तरफ फैली हरियाली किसी का भी दिल मोह ले. ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों की गोद में की ऊंचाई पर स्थित है यूला कांडा झील. कहा जाता है कि जब पांडव आज्ञातवास में किन्नौर आए थे तो उन्होंने एक ही रात में इस झील और इसके अंदर बने श्रीकृष्ण मंदिर का निर्माण किया था, ये झील आज भी लोगों के लिए रहस्य से कम नहीं है. ये झील आपको आपका भविष्य बताती है.
श्रीकृष्ण मंदिर के साथ बहती झील में जन्माष्टमी के दिन किन्नौरी टोपी उल्टी करके डाली जाती है. टोपी बिना डूबे तैरती हुई किनारे तक पहुंची तो समझो आपकी मनोकामना पूरी. आपका आने वाला समय अच्छा रहेगा. टोपी अगर डूब गई तो आने वाला साल आपके लिए अशुभ माना जाता है. टोपी डूबने पर लोग भागवान श्रीकृष्ण के मंदिर में जाकर माफी मांगते हैं और अपने उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं.
यूला कांडा झील में दूरदराज के लोग अपना भविष्य जानने के लिए आते हैं. कहा जाता है कि कई साल इस झील के पानी को युला के ग्रामीणों ने सिंचाई के लिए अपने गांव की तरफ मोड़ने की कोशिश की थी. लेकिन नहर का पानी वापस तालाब में मुड़ा हुआ था. झील का पानी कैसे तालाब की तरफ मुड़ा ये रहस्य आज तक किसी को भी समझ नहीं आया.
जब बड़े लामाओं और स्थानीय देवताओं द्वारा इस पानी के नहर में मोड़ने के बाद तालाब में जाने की बात पूछी गयी तो बताया गया कि इस नहर के पानी से छेड़खानी करना ठीक नहीं है, लामाओं और स्थानीय दैवीय शक्तियों ने इस नहर के पानी और तालाब के मंदिर को पांडवों की आस्था का स्थान बताया था.
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