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जन्नत से भी खूबसूरत है हिमाचल का ये कश्मीर, पूर्व पीएम मनमोहन सिंह भी हैं इसकी खूबसूरती के कायल

देवभूमि के जिला किन्नौर में पर्यटन की अपार सम्भावनाएं है, लेकिन सुविधाओं के अभाव में इन खूबसूरत वादियों का दीदार कठिन हो जाता है. कुछ ऐसी ही कहानी किन्नौर के कश्मीर गांव की भी है, जो पर्यटकों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है.

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Published : Oct 12, 2019, 7:41 PM IST

kashmir village of kinnaur is untouched tourist

किन्नौर: जनजातीय जिला किन्नौर का कश्मीर गांव 3 हजार 700 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. करीब 200 लोगों की आबादी वाला कश्मीर गांव जिला मुख्यालय रिकांगपिओ से 9 किलोमीटर ऊपरी तरफ बसा हुआ है. पर्यटक शहरों के शोर-शराबे से दूर होकर शांति की अनुभूति के लिए यहां पहुंचते हैं.

कैसे गांव का नाम कश्मीर पड़ा
कश्मीर नाम सुनते ही देश के दूसरे कश्मीर का आभास होता है और पर्यटक भी बार गांव के नाम के बारे में जानने के लिए उत्सुक रहते हैं. बुजुर्गों का कहना है कि किन्नौर के कश्मीर गांव का पुराना नाम कोशमे था, जिसका अर्थ था हमारा हरा भरा गांव. गांव का का आकार व भौगोलिक परिस्थितियां कश्मीर की तरह दिखने पर यहां पहुंचने वाले बाहरी राज्यों के लोगों ने इसे कश्मीर पुकारना शुरू कर दिया. जिसके बाद धीरे-धीरे गांव का कश्मीर के नाम से ही मशहूर हो गया.

कश्मीर गांव में आकर्षण का केंद्र
कश्मीर गांव के आसपास के ट्रैकिंग प्वॉइंट यहां का मुख्य आकर्षण है. चाखा पिक, काशङ्ग ट्रैकिंग प्वॉइंट, ख्वांगी कंडा, दुंनी कंडा ट्रैकिंग प्वॉइंट में हर साल सैकड़ों विदेशी पर्यटक पहुंचते हैं. लकड़ी के बने पुराने मकान, देवदार व चिलगोजे के दुर्लभ जंगल, फुटबॉल स्टेडियम, कश्मीर से रिकांगपिओ शहर का नजारा, कैलाश पर्वत, पांगी गांव का नजारा, काशङ्ग कण्डे, पंगी पीरी, ब्रेलंगी बौद्ध गोम्पा आदि देखने के लिए सैकड़ों पर्यटक इस गांव का रुख करते हैं. यहां का कश्मीर मेला पूरे किन्नौर में प्रसिद्ध है, जो ब्लॉक लेवल पर देवी चण्डिका का मुख्य मेला माना जाता है. इस मेले में हजारों लोगों की भीड़ उमड़ती है. गांव में प्रवेश करने पर ओगला व फाफड़ा की गुलाबी रंग की खेती दिखती है जो पर्यटकों का मन मोह लेती है.

वीडियो.

बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी इलाके का दौरा कर चुके है. सन 2005 देश के पूर्व प्रधानमंत्री अपनी एक यात्रा पर किन्नौर के कश्मीर गांव के समीप कल्पा आए थे जहां वे सर्किट हाउस में रुके थे और उन्होने भी कश्मीर गाँव के बारे मे जाना था और यहां की हरियाली व देवदार के बीच बसे इस शांत गॉव की तारीफ की थी, मनमोहन सिंह ने उस वक्त सर्किट हाउस में एक चिनार का पौधा भी लगाया थास जिसे देखने भी बहुत से पर्यटक कश्मीर और कल्पा के मध्य इस सर्किट हाउस में आते हैं.

कश्मीर गांव की भौगोलिक स्थिति
कश्मीर गांव देवदार व चिलगोजे के जंगलों के बीच बसा एक खूबसूरत गांव है. जहां अधिक ऊंचाई की वजह से भारी बर्फबारी होती है और सर्दियों में ठिठुरने वाली ठंड पड़ती है. ठंड से बचने के लिए यहां पर अधिकतर लोग लकड़ी के बने मकानों में रहते हैं.

सुविधाओं की राह ताक रहा कश्मीर
अपार प्राकृतिक सौंदर्य होने के बावजूद कश्मीर गांव मूलभूत सुविधाओं के अभाव के चलते पर्यटकों की नजर से ओझल होता जा रहा है. गांव में सड़क सुविधाओं की हालत बेहद खस्ता है. गांव के आसपास बहुत सुंदर होटलों का व्यवसाय चलता है, लेकिन सड़क सुविधा पक्की न होने से यहां की सुंदरता के साथ-साथ व्यवसाय को भी काफी नुकसान होता है.

कश्मीर गांव में अगर मूलभूत सुविधाओं की ओर ध्यान दिया जाता है तो बेशक कश्मीर की खूबसूरती में चार चांद लग जाएंगे. कश्मीर में सरकार का नजरे करम से पर्यटकों की आमद बढ़ेगी जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा.

किन्नौर: जनजातीय जिला किन्नौर का कश्मीर गांव 3 हजार 700 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. करीब 200 लोगों की आबादी वाला कश्मीर गांव जिला मुख्यालय रिकांगपिओ से 9 किलोमीटर ऊपरी तरफ बसा हुआ है. पर्यटक शहरों के शोर-शराबे से दूर होकर शांति की अनुभूति के लिए यहां पहुंचते हैं.

कैसे गांव का नाम कश्मीर पड़ा
कश्मीर नाम सुनते ही देश के दूसरे कश्मीर का आभास होता है और पर्यटक भी बार गांव के नाम के बारे में जानने के लिए उत्सुक रहते हैं. बुजुर्गों का कहना है कि किन्नौर के कश्मीर गांव का पुराना नाम कोशमे था, जिसका अर्थ था हमारा हरा भरा गांव. गांव का का आकार व भौगोलिक परिस्थितियां कश्मीर की तरह दिखने पर यहां पहुंचने वाले बाहरी राज्यों के लोगों ने इसे कश्मीर पुकारना शुरू कर दिया. जिसके बाद धीरे-धीरे गांव का कश्मीर के नाम से ही मशहूर हो गया.

कश्मीर गांव में आकर्षण का केंद्र
कश्मीर गांव के आसपास के ट्रैकिंग प्वॉइंट यहां का मुख्य आकर्षण है. चाखा पिक, काशङ्ग ट्रैकिंग प्वॉइंट, ख्वांगी कंडा, दुंनी कंडा ट्रैकिंग प्वॉइंट में हर साल सैकड़ों विदेशी पर्यटक पहुंचते हैं. लकड़ी के बने पुराने मकान, देवदार व चिलगोजे के दुर्लभ जंगल, फुटबॉल स्टेडियम, कश्मीर से रिकांगपिओ शहर का नजारा, कैलाश पर्वत, पांगी गांव का नजारा, काशङ्ग कण्डे, पंगी पीरी, ब्रेलंगी बौद्ध गोम्पा आदि देखने के लिए सैकड़ों पर्यटक इस गांव का रुख करते हैं. यहां का कश्मीर मेला पूरे किन्नौर में प्रसिद्ध है, जो ब्लॉक लेवल पर देवी चण्डिका का मुख्य मेला माना जाता है. इस मेले में हजारों लोगों की भीड़ उमड़ती है. गांव में प्रवेश करने पर ओगला व फाफड़ा की गुलाबी रंग की खेती दिखती है जो पर्यटकों का मन मोह लेती है.

वीडियो.

बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी इलाके का दौरा कर चुके है. सन 2005 देश के पूर्व प्रधानमंत्री अपनी एक यात्रा पर किन्नौर के कश्मीर गांव के समीप कल्पा आए थे जहां वे सर्किट हाउस में रुके थे और उन्होने भी कश्मीर गाँव के बारे मे जाना था और यहां की हरियाली व देवदार के बीच बसे इस शांत गॉव की तारीफ की थी, मनमोहन सिंह ने उस वक्त सर्किट हाउस में एक चिनार का पौधा भी लगाया थास जिसे देखने भी बहुत से पर्यटक कश्मीर और कल्पा के मध्य इस सर्किट हाउस में आते हैं.

कश्मीर गांव की भौगोलिक स्थिति
कश्मीर गांव देवदार व चिलगोजे के जंगलों के बीच बसा एक खूबसूरत गांव है. जहां अधिक ऊंचाई की वजह से भारी बर्फबारी होती है और सर्दियों में ठिठुरने वाली ठंड पड़ती है. ठंड से बचने के लिए यहां पर अधिकतर लोग लकड़ी के बने मकानों में रहते हैं.

सुविधाओं की राह ताक रहा कश्मीर
अपार प्राकृतिक सौंदर्य होने के बावजूद कश्मीर गांव मूलभूत सुविधाओं के अभाव के चलते पर्यटकों की नजर से ओझल होता जा रहा है. गांव में सड़क सुविधाओं की हालत बेहद खस्ता है. गांव के आसपास बहुत सुंदर होटलों का व्यवसाय चलता है, लेकिन सड़क सुविधा पक्की न होने से यहां की सुंदरता के साथ-साथ व्यवसाय को भी काफी नुकसान होता है.

कश्मीर गांव में अगर मूलभूत सुविधाओं की ओर ध्यान दिया जाता है तो बेशक कश्मीर की खूबसूरती में चार चांद लग जाएंगे. कश्मीर में सरकार का नजरे करम से पर्यटकों की आमद बढ़ेगी जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा.

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