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प्रथम मतदाता श्याम सरन नेगी के निधन पर परिवार गमगीन, किन्नौर में शोक की लहर

आजाद भारत के पहले मतदाता मास्टर श्याम सरन नेगी ने आज सुबह करीब 3 बजे के आसपास अंतिम सांस ली दुनिया को अलविदा कह दिया. ऐसे में परिवार और जिले में शोक की लहर दौड़ गई है. वहीं, जिला प्रशासन द्वारा उनके अंतिम संस्कार की प्रक्रिया को शुरू कर दिया गया है. (Shyam Saran Negi funeral) (India first voter Shyam Saran Negi passes away)

India first voter Shyam Saran Negi passes away
देश के प्रथम मतदाता श्याम सरन नेगी के घर में शोक की लहर
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Published : Nov 5, 2022, 11:19 AM IST

किन्नौर: आजाद भारत के पहले मतदाता मास्टर श्याम सरन नेगी ने आज सुबह करीब 3 बजे के आसपास अंतिम सांस ली और दुनिया को अलविदा कह दिया. ऐसे में जिला प्रशासन द्वारा आज उनका पूरे सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा. उनके निधन से परिवार और जिले में शोक की लहर दौड़ गई है. उनके घर पर लोगों का आना शुरू हो गया है और अंतिम संस्कार की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है. जिसमें प्रशासनिक अधिकारी व कल्पा के ग्रामीण मौजूद रहेंगे. (Shyam Saran Negi funeral) (India first voter Shyam Saran Negi passes away)

बता दें कि मास्टर श्याम सरन नेगी का स्वास्थ्य काफी लंबे समय से खराब चल रहा था. उन्हें पैरों में काफी दर्द रहता था, आंखों से कम दिखाई देता था और उन्हें कान में भी दर्द था. उनके खराब स्वास्थ्य को देखते हुए 2 नवंबर 2022 को जिला प्रशासन द्वारा हिमाचल विधानसभा चुनाव 2022 के लिए डाक मतपत्र के जरिए उनके घर से ही उनका वोट लिया. मास्टर श्याम सरन नेगी के तीन बेटे और पांच बेटियां हैं. जिनमें से एक बेटे की काफी समय पहले मृत्यु हो गई थी. (India first voter cast his last vote on 2 Oct 2022) (Himachal Assembly Election 2022)

श्याम सरन नेगी के निधन पर परिवार गमगीन

आजाद भारत के पहले वोटर बने थे श्याम सरन नेगी: बता दें कि ब्रिटिश हुकूमत से आजादी मिलने के बाद भारत में फरवरी 1952 में पहला आम चुनाव हुआ था. देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू चाहते थे कि भारत के जनजातीय इलाके भी आम चुनाव में हिस्सा लें. चूंकि जनजातीय इलाकों में बर्फबारी के कारण आवागमन अवरुद्ध हो जाता है, लिहाजा इन इलाकों में भारत के अन्य हिस्सों से पहले ही मतदान का फैसला लिया गया था और 25 अक्टूबर 1951 को जनजातीय क्षेत्र में चुनाव आयोजित किए गए. (first voter of india)

पहला जनजातीय इलाका किन्नौर: देशभर के जनजातीय इलाकों में सबसे पहले हिमाचल के किन्नौर इलाके को ही चुना गया. उस समय किन्नौर में स्कूल टीचर श्याम सरन नेगी को पोलिंग ऑफिसर की जिम्मेदारी निभानी थी. सुविधाओं और संसाधनों की कमी के साथ ही किन्नौर का इलाका भी दुर्गम था. मतपेटी तो थी नहीं, ऐसे में श्याम सरन नेगी ने टीन के कनस्तर को मतपेटी का रूप दिया. अब मतदान की बारी थी. स्थितियां ऐसी थीं कि कोई भी मतदान के लिए मौजूद नहीं था, तो श्याम सरन नेगी ने ही सबसे पहले मतदान किया. यह 25 अक्टूबर 1951 की बात थी. खुद वोट डालने के बाद श्याम शरन नेगी ने महीने भर पूरे कबायली इलाके में घूम-घूम कर लोगों को मतदान का महत्व समझाया और उनसे मतदान करवाया.

श्याम सरन नेगी की मिली पूरे देश में सराहना: श्याम सरन के इस प्रयास को देशभर में सराहना मिली थी. भारत में लोकतंत्र की मजबूती और मतदान को लेकर श्याम सरन के योगदान पर उन्हें कई बार सम्मानित किया गया. उन पर भारत के चुनाव आयोग ने बेहद भावुक डॉक्यूमेंट्री भी तैयार की है, जिसे अब तक यू-ट्यूब पर लाखों लोग देख चुके हैं. हर चुनाव में वोट डालने के लिए पहुंचने वाले नेगी लोकतंत्र में भारतीय आस्था के प्रतीक बन चुके हैं. उन्हें मतदान केंद्र तक लाने के लिए प्रशासनिक अधिकारी खास वाहन का इंतजाम करते हैं. साथ ही रेड कारपेट भी बिछाया जाता है.

ये भी पढ़ें: देश के पहले मतदाता श्याम सरन नेगी का निधन, 2 नंवबर को डाला था घर पर वोट

किन्नौर: आजाद भारत के पहले मतदाता मास्टर श्याम सरन नेगी ने आज सुबह करीब 3 बजे के आसपास अंतिम सांस ली और दुनिया को अलविदा कह दिया. ऐसे में जिला प्रशासन द्वारा आज उनका पूरे सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा. उनके निधन से परिवार और जिले में शोक की लहर दौड़ गई है. उनके घर पर लोगों का आना शुरू हो गया है और अंतिम संस्कार की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है. जिसमें प्रशासनिक अधिकारी व कल्पा के ग्रामीण मौजूद रहेंगे. (Shyam Saran Negi funeral) (India first voter Shyam Saran Negi passes away)

बता दें कि मास्टर श्याम सरन नेगी का स्वास्थ्य काफी लंबे समय से खराब चल रहा था. उन्हें पैरों में काफी दर्द रहता था, आंखों से कम दिखाई देता था और उन्हें कान में भी दर्द था. उनके खराब स्वास्थ्य को देखते हुए 2 नवंबर 2022 को जिला प्रशासन द्वारा हिमाचल विधानसभा चुनाव 2022 के लिए डाक मतपत्र के जरिए उनके घर से ही उनका वोट लिया. मास्टर श्याम सरन नेगी के तीन बेटे और पांच बेटियां हैं. जिनमें से एक बेटे की काफी समय पहले मृत्यु हो गई थी. (India first voter cast his last vote on 2 Oct 2022) (Himachal Assembly Election 2022)

श्याम सरन नेगी के निधन पर परिवार गमगीन

आजाद भारत के पहले वोटर बने थे श्याम सरन नेगी: बता दें कि ब्रिटिश हुकूमत से आजादी मिलने के बाद भारत में फरवरी 1952 में पहला आम चुनाव हुआ था. देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू चाहते थे कि भारत के जनजातीय इलाके भी आम चुनाव में हिस्सा लें. चूंकि जनजातीय इलाकों में बर्फबारी के कारण आवागमन अवरुद्ध हो जाता है, लिहाजा इन इलाकों में भारत के अन्य हिस्सों से पहले ही मतदान का फैसला लिया गया था और 25 अक्टूबर 1951 को जनजातीय क्षेत्र में चुनाव आयोजित किए गए. (first voter of india)

पहला जनजातीय इलाका किन्नौर: देशभर के जनजातीय इलाकों में सबसे पहले हिमाचल के किन्नौर इलाके को ही चुना गया. उस समय किन्नौर में स्कूल टीचर श्याम सरन नेगी को पोलिंग ऑफिसर की जिम्मेदारी निभानी थी. सुविधाओं और संसाधनों की कमी के साथ ही किन्नौर का इलाका भी दुर्गम था. मतपेटी तो थी नहीं, ऐसे में श्याम सरन नेगी ने टीन के कनस्तर को मतपेटी का रूप दिया. अब मतदान की बारी थी. स्थितियां ऐसी थीं कि कोई भी मतदान के लिए मौजूद नहीं था, तो श्याम सरन नेगी ने ही सबसे पहले मतदान किया. यह 25 अक्टूबर 1951 की बात थी. खुद वोट डालने के बाद श्याम शरन नेगी ने महीने भर पूरे कबायली इलाके में घूम-घूम कर लोगों को मतदान का महत्व समझाया और उनसे मतदान करवाया.

श्याम सरन नेगी की मिली पूरे देश में सराहना: श्याम सरन के इस प्रयास को देशभर में सराहना मिली थी. भारत में लोकतंत्र की मजबूती और मतदान को लेकर श्याम सरन के योगदान पर उन्हें कई बार सम्मानित किया गया. उन पर भारत के चुनाव आयोग ने बेहद भावुक डॉक्यूमेंट्री भी तैयार की है, जिसे अब तक यू-ट्यूब पर लाखों लोग देख चुके हैं. हर चुनाव में वोट डालने के लिए पहुंचने वाले नेगी लोकतंत्र में भारतीय आस्था के प्रतीक बन चुके हैं. उन्हें मतदान केंद्र तक लाने के लिए प्रशासनिक अधिकारी खास वाहन का इंतजाम करते हैं. साथ ही रेड कारपेट भी बिछाया जाता है.

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