किन्नौर: इन दिनों किन्नौर में फुलाइच मेले की खूब धूम है. फुलाइच मेला फूलों का मेला है. इस मेले में 13 हजार फीट की ऊंचाई से ब्रह्म कमल नाम के फूल लाए जाते हैं. स्थानीय ग्रामीण पहाड़ों से ब्रह्म कमल के फूल लाकर इष्ट देव को अर्पित करते हैं.
ग्रामीण नंगे पांव चलकर पहाड़ों से ब्रह्म कमल का फूल लाते हैं. ब्रह्म कमल का फूल लाने के लिए ग्रामीणों को दो से तीन दिनों का पैदल सफर तय करना पड़ता है. इस फूल को देवी-देवताओं को अर्पित करने से पहले अश्लील गालियां दी जाती है, ताकि ब्रह्म कमल फूल के साथ आई गुप्त देवियों को वापस पहाड़ों पर भेजा जा सके. फूल देवताओं को अर्पित करने के बाद ब्रह्म कमल फूल को सभी ग्रामीणों में बांटा जाता है. मेले में गांव की महिलाएं व पुरुष सुंदर पारंपरिक वेशभूषाओं में मंदिर आकर कायनग यानि मेले में शामिल होते हैं.
बता दें कि ब्रह्म कमल का फूल बेहद दुर्लभ माना जाता है. 13 हजार फीट की ऊंचाई पर उगने वाला ये फूल साल में एक बार ही खिलता है. फुलाइच मेला सितंबर से अक्टूबर महीने (भाद्रपद) में मनाया जाता है. मान्यता है कि देवी-देवताओं द्वारा चुने गए कुछ लोग ही ब्रह्म कमल को लाने पहाड़ पर जाते हैं और इसे अपने इष्ट देव को अर्पित करते हैं. ये मेला जिला के हर गांव में अगल-अलग दिन लगता है और आजकल सापनी, शोंग व रोपा गांव में मनाया जा रहा है.
मेले के दौरान बड़ी संख्या में पर्यटक किन्नौर पहुंचते हैं. स्थानीय देवी-देवता भी इस मेले में नृत्य करते हैं. ग्रामीण मेले के दौरान ग्रामीण अपने घर व बाग-बगीचों में काम नहीं करते. पूरे पांच दिन मंदिर प्रांगण में पूजा-पाठ करते हैं और मेला करते है. इस दौरान ग्रामीण देवता से सर्दियों में बर्फबारी व दूसरे वर्ष के अच्छे फसल की कामना भी करते हैं.