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तांगलिंग गांव में रिहायशी इलाके में गिरी चट्टानें: बाल-बाल बचे ग्रामीण, सेब के बगीचों को भारी नुकसान - चट्टान गिरने से सेब के बगीचे तबाह

जिला किन्नौर के तांगलिंग गांव में चट्टान खिसककर रिहायशी इलाके की तरफ आई, जिसके चलते तांगलिंग के ग्रामीणों के सेब के बगीचे तबाह हुए हैं. ग्रामीणों ने प्रशासन से मदद की गुहार लगाई है क्योंकि यहां अभी भी खतरा टला नहीं है.

तांगलिंग गांव में गिरी चट्टान
तांगलिंग गांव में गिरी चट्टान
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Published : Jan 7, 2021, 6:43 PM IST

किन्नौर: जिला किन्नौर में पहाड़ों से गिरने वाली चट्टानों से अब लगातार लोगों को खतरा बना हुआ है. हर वर्ष चट्टान की चपेट में आने से लोग इन पहाड़ियों से गिरने वाली चट्टानों के काल का ग्रास बन जाते हैं. दरअसल एक और मामला जनजातिय जिला किन्नौर के कल्पा खंड के तहत तांगलिंग गांव में आया है. बीती रात बुधवार को शुपालचो नामक स्थान जो बड़ी पहाड़ी है वहां से चट्टान खिसककर रिहायशी इलाके की तरफ आई, जिसके चलते तांगलिंग के ग्रामीणों के सेब के बगीचे तबाह हुए हैं.

तांगलिंग गांव में गिरी चट्टान
तांगलिंग गांव में गिरी चट्टान

लोगों के मकान में आई हल्की दरार

बताया जा रहा है इस जगह पर परियोजना के निर्माणाधीन कार्यो के दौरान ब्लास्टिंग के कारण चट्टानें ढीली हो गयी हैं जिसके चलते अब यहां के ग्रामीण चट्टानों के गिरने से डरे हुए हैं. वहीं, इस चट्टान के गिरने से तांगलिंग गांव के राजकृष्ण नेगी और कई अन्य लोगों के मकान में भी हल्की दरार आई है. इसके अलावा यह चट्टान कभी भी उनके घर के ऊपर आ सकता है जिसके चलते अब उन्हें और परिवार को इस मकान में रहना खतरे से खाली नहीं है. उनका कहना है कि इस पहाड़ी के पास एक विद्युत परियोजना है जो अपने निर्माणाधीन कार्यों के दौरान हेवी ब्लास्टिंग करते हैं जिसके चलते पहाड़ियों से चट्टान बर्फबारी के दौरान कच्ची होकर उनके रिहायशी मकानों तक पहुंचा है.

वीडियो

परियोजना के निर्माणाधीन कार्य से गिरी चट्टान

राजकृष्ण ने कहा कि इससे पूर्व भी अत्यधिक बर्फबारी में कभी भी पहाड़ों से चट्टानें नहीं खिसकी है लेकिन जैसे ही तांगलिंग के पास विद्युत परियोजना के निर्माणाधीन कार्य शुरू किए गए हैं, उसके बाद तांगलिंग गांव के रिहायशी मकानों समेत सेब के बगीचे हमेशा से खतरे में रहे हैं. राजकृष्ण और उनके परिवारजनों का कहना है कि बीती रात बर्फबारी थमने का बाद पहाड़ों से आवाजें आई. जब उन्होंने देखा तो पहाड़ो से बड़े बड़े पत्थर गिरने का सिलसिला जारी था. साथ ही सेब के बड़े-बड़े पेड़ों को चट्टान के गिरने से लाखों का नुकसान हुआ है.

तांगलिंग गांव में गिरी चट्टान
तांगलिंग गांव में गिरी चट्टान

डर के साए में हैं ग्रामीण

हालांकि उनके घर के पिछली तरफ सेब के बगीचों में पेड़ों की वजह से बालकृष्ण के मकान को दरार आई है लेकिन आसपास के रिहायशी मकानों और उनके परिवार की जान बच गयी और पूरा इलाका डर के साये में रातभर कोई सो नहीं पाया. उन्होंने कहा कि अब लगातार इस जगह पर पहाड़ों से चट्टान गिरने का खतरा बना हुआ है और राजकृष्ण के परिवार और आसपास के लोग डर के साये में जी रहे हैं.

प्रशासन से मदद की गुहार

राजकृष्ण और आसपास के ग्रामीणों का कहना है कि पहाड़ों की ओर से चट्टान खिसकने का सिलसिला अभी थमा हुआ है, लेकिन बर्फबारी के बाद अब कभी भी शुपालचो नामक स्थान से कच्ची चट्टान खिसककर रिहायशी इलाके की ओर आ सकता है और लोगों को जान का खतरा भी बना हुआ है. उन्होंने कहा कि चट्टानों के गिरने से तांगलिंग गांव के लोगों के सेब के बगीचे और लोगों की जान अब खतरे में फंसी हुई है क्योंकि बर्फबारी के दौरान अब पहाड़ी कच्ची हो चुकी है और परियोजना के कार्यों के दौरान ब्लास्टिंग के बाद चट्टानें हिल चुकी हैं. ऐसे में जिला प्रशासन से उन्होंने सम्भव मदद भी मांगी है.

प्रशासन ने ग्रामीणों को सतर्कता बरतने को कहा

इस विषय में एसडीएम कल्पा मेजर अवनींद्र शर्मा ने कहा कि तांगलिंग गांव के नुकसान के बारे में उन्हें सूचना मिल गयी थी और मौके पर तहसीलदार को भेजा गया था. उन्होंने कहा कि तांगलिंग गांव के इन सभी ग्रामीण जिनके सेब के बगीचों को नुकसान हुआ है, उन सभी के बगीचे और घर के क्षतिग्रस्त के नुकसान के आकलन के बाद नियमानुसार मुआवजा दिया जाएगा. खतरे को देखते हुए इन सभी ग्रामीणों को सतर्कता बरतने को भी कहा है.

ये भी पढ़ें- कोरोना वैक्सीनेशन के लिए कुल्लू जिला तैयार, टीकाकरण के लिए बनाई गई कमेटी

किन्नौर: जिला किन्नौर में पहाड़ों से गिरने वाली चट्टानों से अब लगातार लोगों को खतरा बना हुआ है. हर वर्ष चट्टान की चपेट में आने से लोग इन पहाड़ियों से गिरने वाली चट्टानों के काल का ग्रास बन जाते हैं. दरअसल एक और मामला जनजातिय जिला किन्नौर के कल्पा खंड के तहत तांगलिंग गांव में आया है. बीती रात बुधवार को शुपालचो नामक स्थान जो बड़ी पहाड़ी है वहां से चट्टान खिसककर रिहायशी इलाके की तरफ आई, जिसके चलते तांगलिंग के ग्रामीणों के सेब के बगीचे तबाह हुए हैं.

तांगलिंग गांव में गिरी चट्टान
तांगलिंग गांव में गिरी चट्टान

लोगों के मकान में आई हल्की दरार

बताया जा रहा है इस जगह पर परियोजना के निर्माणाधीन कार्यो के दौरान ब्लास्टिंग के कारण चट्टानें ढीली हो गयी हैं जिसके चलते अब यहां के ग्रामीण चट्टानों के गिरने से डरे हुए हैं. वहीं, इस चट्टान के गिरने से तांगलिंग गांव के राजकृष्ण नेगी और कई अन्य लोगों के मकान में भी हल्की दरार आई है. इसके अलावा यह चट्टान कभी भी उनके घर के ऊपर आ सकता है जिसके चलते अब उन्हें और परिवार को इस मकान में रहना खतरे से खाली नहीं है. उनका कहना है कि इस पहाड़ी के पास एक विद्युत परियोजना है जो अपने निर्माणाधीन कार्यों के दौरान हेवी ब्लास्टिंग करते हैं जिसके चलते पहाड़ियों से चट्टान बर्फबारी के दौरान कच्ची होकर उनके रिहायशी मकानों तक पहुंचा है.

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परियोजना के निर्माणाधीन कार्य से गिरी चट्टान

राजकृष्ण ने कहा कि इससे पूर्व भी अत्यधिक बर्फबारी में कभी भी पहाड़ों से चट्टानें नहीं खिसकी है लेकिन जैसे ही तांगलिंग के पास विद्युत परियोजना के निर्माणाधीन कार्य शुरू किए गए हैं, उसके बाद तांगलिंग गांव के रिहायशी मकानों समेत सेब के बगीचे हमेशा से खतरे में रहे हैं. राजकृष्ण और उनके परिवारजनों का कहना है कि बीती रात बर्फबारी थमने का बाद पहाड़ों से आवाजें आई. जब उन्होंने देखा तो पहाड़ो से बड़े बड़े पत्थर गिरने का सिलसिला जारी था. साथ ही सेब के बड़े-बड़े पेड़ों को चट्टान के गिरने से लाखों का नुकसान हुआ है.

तांगलिंग गांव में गिरी चट्टान
तांगलिंग गांव में गिरी चट्टान

डर के साए में हैं ग्रामीण

हालांकि उनके घर के पिछली तरफ सेब के बगीचों में पेड़ों की वजह से बालकृष्ण के मकान को दरार आई है लेकिन आसपास के रिहायशी मकानों और उनके परिवार की जान बच गयी और पूरा इलाका डर के साये में रातभर कोई सो नहीं पाया. उन्होंने कहा कि अब लगातार इस जगह पर पहाड़ों से चट्टान गिरने का खतरा बना हुआ है और राजकृष्ण के परिवार और आसपास के लोग डर के साये में जी रहे हैं.

प्रशासन से मदद की गुहार

राजकृष्ण और आसपास के ग्रामीणों का कहना है कि पहाड़ों की ओर से चट्टान खिसकने का सिलसिला अभी थमा हुआ है, लेकिन बर्फबारी के बाद अब कभी भी शुपालचो नामक स्थान से कच्ची चट्टान खिसककर रिहायशी इलाके की ओर आ सकता है और लोगों को जान का खतरा भी बना हुआ है. उन्होंने कहा कि चट्टानों के गिरने से तांगलिंग गांव के लोगों के सेब के बगीचे और लोगों की जान अब खतरे में फंसी हुई है क्योंकि बर्फबारी के दौरान अब पहाड़ी कच्ची हो चुकी है और परियोजना के कार्यों के दौरान ब्लास्टिंग के बाद चट्टानें हिल चुकी हैं. ऐसे में जिला प्रशासन से उन्होंने सम्भव मदद भी मांगी है.

प्रशासन ने ग्रामीणों को सतर्कता बरतने को कहा

इस विषय में एसडीएम कल्पा मेजर अवनींद्र शर्मा ने कहा कि तांगलिंग गांव के नुकसान के बारे में उन्हें सूचना मिल गयी थी और मौके पर तहसीलदार को भेजा गया था. उन्होंने कहा कि तांगलिंग गांव के इन सभी ग्रामीण जिनके सेब के बगीचों को नुकसान हुआ है, उन सभी के बगीचे और घर के क्षतिग्रस्त के नुकसान के आकलन के बाद नियमानुसार मुआवजा दिया जाएगा. खतरे को देखते हुए इन सभी ग्रामीणों को सतर्कता बरतने को भी कहा है.

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