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3500 मीटर ऊंचाई पर तैयार किया अर्ली वैरायटी सेब का बगीचा, हॉर्टिकल्चर विभाग ने पेश की मिसाल

किन्नौर के कल्पा क्षेत्र के हॉर्टिकल्चर विभाग ने 3500 मीटर की ऊंचाई पर अर्ली वैरायटी के सेब का बगीचा तैयार किया है. इस बगीचे की लंबाई व चौड़ाई करीब एक बीघा के आसपास है. जिसमें सात सौ सेब के पेड़ तैयार किए गए हैं. इन पेड़ों में इस साल कोई बीमारी नहीं लगी है न ही इस बगीचे में कोई रासायनिक छिड़काव किए गए हैं.

apple orchard kinnaur
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Published : Aug 12, 2020, 3:22 PM IST

किन्नौर: जनजातीय जिला किन्नौर के कल्पा क्षेत्र के हॉर्टिकल्चर विभाग ने 3500 मीटर की ऊंचाई पर अर्ली वैरायटी के सेब का बगीचा तैयार किया है. इस बगीचे की लंबाई व चौड़ाई करीब एक बीघा के आसपास है. जिसमें सात सौ सेब के पेड़ तैयार किए गए हैं. इन पेड़ों में इस साल कोई बीमारी नहीं लगी है न ही इस बगीचे में कोई रासायनिक छिड़काव किए गए हैं. ऐसे में इतनी ऊंचाई पर सेब का बगीचा तैयार कर किन्नौर के बागवानों को ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बगीचे तैयार होने की उम्मीद जगी है.

बता दें कि किन्नौर के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में अभी पुरानी पद्धति के सेब के पौधे लगाए जाते हैं. जिसमें सेब की फसल भी कम होती है और बड़े-बड़े खेतों में सेब के पौधों की संख्या भी कम लगाई जाती है, लेकिन अब कम जगह पर अर्ली वैरायटी के सेब के बगीचे से लाखों की फसल तैयार कर लोगों को आर्थिक रूप से मजबूती मिलेगी. वहीं, कल्पा के हॉर्टिकल्चर विभाग ने इस बगीचे में दो सालों पहले अर्ली वैरायटी के अलग-अलग किस्म के पौधे लगाए थे, जो इस साल पूरी तरह फसल के साथ तैयार हैं.

वीडियो.

कल्पा में हॉर्टिकल्चर विभाग के इस सफलता के बाद किन्नौर के बागवान भी अब अर्ली वैरायटी के सेब की खेती की ओर जा सकते हैं क्योंकि किन्नौर एक पहाड़ी इलाके में बागवानी करने लायक भूमि बहुत कम है.

ऐसे में लोगों को कम खेतों में अधिक सेब के पौधों से अच्छी मात्रा में फसल तैयार होने से आर्थिक रूप से मजबूती मिलेगी. साथ कम समय मे सेब तैयार होगा क्योंकि पुराने सेब के बगीचों को फसल तैयार होने में सात से आठ साल लग जाते हैं, लेकिन अर्ली वैरायटी के सेब के फसल तीन साल में तैयार होती है.

पढ़ें: कमलोटा पंचायत ने कैंसर पीड़ित को BPL सूची से निकाला, प्रभावित ने विधायक से लगाई मदद की गुहार

किन्नौर: जनजातीय जिला किन्नौर के कल्पा क्षेत्र के हॉर्टिकल्चर विभाग ने 3500 मीटर की ऊंचाई पर अर्ली वैरायटी के सेब का बगीचा तैयार किया है. इस बगीचे की लंबाई व चौड़ाई करीब एक बीघा के आसपास है. जिसमें सात सौ सेब के पेड़ तैयार किए गए हैं. इन पेड़ों में इस साल कोई बीमारी नहीं लगी है न ही इस बगीचे में कोई रासायनिक छिड़काव किए गए हैं. ऐसे में इतनी ऊंचाई पर सेब का बगीचा तैयार कर किन्नौर के बागवानों को ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बगीचे तैयार होने की उम्मीद जगी है.

बता दें कि किन्नौर के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में अभी पुरानी पद्धति के सेब के पौधे लगाए जाते हैं. जिसमें सेब की फसल भी कम होती है और बड़े-बड़े खेतों में सेब के पौधों की संख्या भी कम लगाई जाती है, लेकिन अब कम जगह पर अर्ली वैरायटी के सेब के बगीचे से लाखों की फसल तैयार कर लोगों को आर्थिक रूप से मजबूती मिलेगी. वहीं, कल्पा के हॉर्टिकल्चर विभाग ने इस बगीचे में दो सालों पहले अर्ली वैरायटी के अलग-अलग किस्म के पौधे लगाए थे, जो इस साल पूरी तरह फसल के साथ तैयार हैं.

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कल्पा में हॉर्टिकल्चर विभाग के इस सफलता के बाद किन्नौर के बागवान भी अब अर्ली वैरायटी के सेब की खेती की ओर जा सकते हैं क्योंकि किन्नौर एक पहाड़ी इलाके में बागवानी करने लायक भूमि बहुत कम है.

ऐसे में लोगों को कम खेतों में अधिक सेब के पौधों से अच्छी मात्रा में फसल तैयार होने से आर्थिक रूप से मजबूती मिलेगी. साथ कम समय मे सेब तैयार होगा क्योंकि पुराने सेब के बगीचों को फसल तैयार होने में सात से आठ साल लग जाते हैं, लेकिन अर्ली वैरायटी के सेब के फसल तीन साल में तैयार होती है.

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