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कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के कुलपति का दावा, लीची से नहीं होता चमकी बुखार

हिमाचल कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर में लीची के उत्पादन और मार्केटिंग पर वेबिनार का आयोजित हुआ. इस दौरान विवि के कुलपति प्रो. अशोक कुमार सरयाल ने कहा कि लीची से चमकी बुखार होने की बात सिर्फ एक अवधारणा है. लीची खाने से चमकी बुखार नहीं होता है.

Agriculture University Palampur on Litchi
Agriculture University Palampur on Litchi
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Published : Jul 1, 2020, 7:14 PM IST

Updated : Jul 1, 2020, 7:59 PM IST

पालमपुर/कांगड़ाः हिमाचल कृषि विश्विद्यालय पालमपुर में लीची के उत्पादन और मार्केटिंग पर वेबिनार का आयोजन किया गया. इसमें कृषि विवि के कुलपति और वैज्ञानिकों सहित संबंधित विभागों के अधिकारियों ने शिरकत की. विशेषज्ञों ने बीते वर्षों के दौरान कुछ प्रदेशों में लीची से चमकी बुखार होने जैसी बातों पर चर्चा की और इस अवधारणा को खारिज किया.

जानकारों ने बताया कि यह अवधारणा है जिसे लेकर किसान, बागवान व लोगों को जागरूक करना होगा. लीची में पौष्टिक गुण पाए जाते हैं और यह शरीर में रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है. प्रदेश में करीब 6 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में लीची की पैदावार होती है, लेकिन इसका विपणन को व्यवस्थित करने की जरूरत है.

वीडियो रिपोर्ट.

विषेशज्ञों ने केंद्र सरकार के आह्वान के अनुसार फॉर्मर-प्रोडयूसर ऑर्गेनाइजेशन के गठन पर चिंतन किया. वेबिनार का आयोजन के बारे में विवि के कुलपति प्रो. अशोक कुमार सरयाल ने कहा कि बिहार लीची के उत्पादन का अग्रिम राज्य है और बीते सालों में वहां लीची से चमकी बुखार होने की बात उठी थी जोकि एक अवधारणा है. इसके लिए लोगों को जगरूक करना होगा की लीची खाने से चमकी बुखार नहीं होता है.

प्रो. अशोक कुमार सरयाल ने कहा कि लीची में पौष्टिक गुण होते हैं और यह शरीर में रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है. प्रदेश में 6 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में लीची की पैदावार होती है. वेबिनार में किसानों को लीची का उचित मूल्य मिलने व आने वाले वर्ष में कृषि विशेषज्ञ, विभाग, कृषि विज्ञान केन्द्र और किसानों को आ रही समास्याओं के समाधान पर चर्चा की गई.

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जानकारों ने बताया कि यह अवधारणा है जिसे लेकर किसान, बागवान व लोगों को जागरूक करना होगा. लीची में पौष्टिक गुण पाए जाते हैं और यह शरीर में रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है. प्रदेश में करीब 6 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में लीची की पैदावार होती है, लेकिन इसका विपणन को व्यवस्थित करने की जरूरत है.

वीडियो रिपोर्ट.

विषेशज्ञों ने केंद्र सरकार के आह्वान के अनुसार फॉर्मर-प्रोडयूसर ऑर्गेनाइजेशन के गठन पर चिंतन किया. वेबिनार का आयोजन के बारे में विवि के कुलपति प्रो. अशोक कुमार सरयाल ने कहा कि बिहार लीची के उत्पादन का अग्रिम राज्य है और बीते सालों में वहां लीची से चमकी बुखार होने की बात उठी थी जोकि एक अवधारणा है. इसके लिए लोगों को जगरूक करना होगा की लीची खाने से चमकी बुखार नहीं होता है.

प्रो. अशोक कुमार सरयाल ने कहा कि लीची में पौष्टिक गुण होते हैं और यह शरीर में रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है. प्रदेश में 6 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में लीची की पैदावार होती है. वेबिनार में किसानों को लीची का उचित मूल्य मिलने व आने वाले वर्ष में कृषि विशेषज्ञ, विभाग, कृषि विज्ञान केन्द्र और किसानों को आ रही समास्याओं के समाधान पर चर्चा की गई.

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Last Updated : Jul 1, 2020, 7:59 PM IST
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