धर्मशाला: आज देश के युवा आत्मनिर्भर भारत के सपने को सच करते दिखाई दे रहे हैं. यही वजह है कि पहले नौकरी के पीछे भागने वाले युवा आज स्वरोजगार के विकल्प को चुन रहे हैं. जिससे वो न सिर्फ अपनी आर्थिकी मजूबत कर रहे हैं, बल्कि स्थानीय युवाओं को रोजगार देने के साथ-साथ देश की तरक्की में भी अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं. कुछ ऐसी ही कहानी है मंडी जिला के लांगना गांव में रहने वाले सुनील दत्त की. जिन्होंने मशरूम की खेती को अपनाकर युवाओं के लिए मिसाल पेश की है. क्योंकि इस खेती से सुनील सालाना 35 से 40 लाख रुपये की कमाई कर रहे हैं.
मंडी के सुनील ने स्वरोजगार को अपनाया: जहां आज की युवा पीढ़ी खेतीबाड़ी के व्यवसाय से दूर होकर सरकारी नौकरी की तरफ दौड़ रही हैं. वहीं, कुछ पढ़े लिखे युवक स्वरोजगार अपना कर समाज के लिए प्रेरणास्रोत बन रहे हैं. इन्हीं में से एक नाम सुनील का शामिल है. मंडी जिला की उप तहसील मकरीड़ी (जोगिंद्रनगर) लांगना गांव के रहने वाले सुनील दत्त बचपन से ही कृषि वैज्ञानिक बनने की इच्छा थी. ताकि वह गरीब किसानों के दर्द को समझते हुए उनकी मदद कर सकें.
कई कंपनियों में सुनील दे चुके हैं अपनी सेवा: डॉ वाईएस परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी (सोलन) से बीएससी और एमएससी (औद्यानिकी) की डिग्री हासिल करने के बाद सुनील दत्त ने वर्ष 2006 में चंडीगढ़ में एग्रो डच इंडस्ट्रीज लिमिटेड में बतौर प्रबंधक अपनी सेवाएं आरंभ की. उसके बाद वह प्रदेश के पांवटा साहिब में हिमालयन इंटरनेशनल और नालागढ़ में इंका फूड्स मशरूम उत्पादन कंपनियों में महाप्रबंधक के पद पर कार्यरत रहे.
करोड़ रुपए का लोन लेकर मशरूम फार्म खोला: सुनील ने कृषि क्षेत्र में मिल रहे सवर्णिम अवसरों का फायदा उठाने का मन बनाया. मशरूम का कारोबार शुरू करने के लिए उन्होंने वर्ष 2012 में नगरोटा सूरियां विकास खंड के तहत अनुही गांव में 12 कनाल भूमि खरीदी, लेकिन आर्थिक स्थिति राह में बाधा बन रही थी. उन्होंने इसके लिए बागवानी विभाग से संपर्क कर केंद्र प्रायोजित एकीकृत बागवानी विकास मिशन के तहत वर्ष 2016 में बैंक से एक करोड़ रुपए का ऋण लेकर धौलाधार मशरूम फार्म खोल कर कारोबार शुरू किया.
प्रतिदिन 5 क्विंटल तक मशरूम उत्पादन: सुनील को प्रदेश के बागवानी विभाग द्वारा 22 लाख रुपए का अनुदान प्रदान किया गया. इस राशि से उन्होंने कांगड़ा जिले के अनुही में मशरूम और खाद तैयार करने की इकाई स्थापित की. कड़ी मेहनत के बल पर आज सुनील निरंतर ऊंचाइयों को छू रहे हैं. इस प्लांट में प्रतिदिन 5 क्विंटल तक मशरूम का उत्पादन कर रहे हैं. जिसे वह सीमांत राज्य जम्मू, पंजाब तथा प्रदेश के अन्य स्थानों में बेच कर अच्छे दाम प्राप्त कर रहे हैं. वह अपने मशरूम यूनिट में 25 स्थानीय महिला एवं पुरुषों को भी रोजगार उपलब्ध करवा रहे हैं.
सालाना 35 से 40 लाख रुपए की कमाई: इस क्षेत्र में हाल ही में डॉ वाईएस परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी (सोलन) से समझौता हस्ताक्षरित (एमओयू) हुआ है. स्थानीय लोगों के साथ अध्धयनरत बच्चे प्रशिक्षण प्राप्त करने और अवलोकन करने के लिए उनकी मुशरूम यूनिट में आते हैं. सुनील अपने प्लांट में प्रतिवर्ष दो करोड़ रुपए के मशरूम और खाद का कारोबार कर 35 से 40 लाख रुपए की सालाना कमाई कर रहे हैं. मशरूम उत्पादन से उन्होंने समाज में एक अलग पहचान बनाई है.
क्या कहते है विभागीय अधिकारी: बागवानी विभाग के उप निदेशक कमलशील नेगी का कहना है कि प्रदेश सरकार ने किसानों को मशरूम व ढींगरी का कारोबार शुरू करने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं. जिसके लिए समय-समय पर उन्हें प्रोत्साहित किया जा रहा है. विभाग ने हर वर्ष 300 से 500 किसानों को मशरूम की खेती करने के बारे में प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है. जिला में वर्तमान में 500 से अधिक छोटी और बड़ी खुम्ब इकाईयां स्थापित हैं. जिनमें सालाना 3 हजार मीट्रिक टन मशरूम का उत्पादन हो रहा है.
कांगड़ा जिले में 500 इकाईयों में मशरूम उत्पादन: विभाग द्वारा एक लाख तक की छोटी इकाई स्थापित करने के लिए 50 प्रतिशत, जबकि 55 लाख रुपए तक बड़ा यूनिट लगाने के लिए 40 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान की जाती है. जिसमें मशरूम और कंपोस्ट यूनिट के लिए 8-8 लाख रुपए, जबकि मशरूम स्पान लैब के लिए 6 लाख रुपए (कुल 22 लाख रुपए ) का अनुदान मुहैया करवाया जाता है. कमलशील नेगी का मानना है कि मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सूक्खु के प्रयासों से निकट भविष्य में खुम्ब उत्पादन में कांगड़ा जिला भी मशरूम व ढींगरी कारोबार का हब बन कर उभरेगा. ज़िला कांगड़ा में 500 इकाईयों में सालाना 3 हजार मीट्रिक टन मशरूम का उत्पादन हो रहा है. खुम्ब शहर सोलन जिला की तरह देश में अपनी अलग पहचान स्थापित करेगा.
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