ETV Bharat / state

स्वतंत्रता सेनानी यशपाल की जयंती को बेहतर ढंग से मनाने की जरूरत: शांता कुमार

पूर्व सांसद शांता कुमार ने कहा कि स्वतंत्रता सेनानी यशपाल की जयंति को बेहतर ढंग से मनाने के लिए विचार की जरूरत है, जिससे युवा पीढ़ी इन महान क्रांतिकारियों को याद रख सकती है.

Shanta Kumar
शांता कुमार
author img

By

Published : Dec 3, 2019, 10:30 PM IST

Updated : Dec 4, 2019, 12:55 AM IST

धर्मशाला: पूर्व सांसद शांता कुमार ने मंगलवार को धर्मशाला के डीआरडीए सभागार में राज्य स्तरीय साहित्यकार व स्वतंत्रता सेनानी यशपाल की जयंती समारोह की अध्यक्षता करते हुए कहा कि आजादी यूं ही नहीं मिली, इसके लिए लाखों लोगों ने कुर्बानियां दी हैं.

युवा पीढ़ी स्वतंत्रता सेनानियों की कुर्बानियों को भूलती जा रही है. देश के क्रांतिकारियों ने आजादी के लिए कितनी कुर्बानियां दी हैं. ये देश को याद दिलाने की जरूरत है. शांता कुमार ने कहा कि यशपाल साहित्यकार और महान क्रांतिकारी थे.शांता ने कहा कि स्वतंत्रता सेनानी यशपाल की जयंति को बेहतर ढंग से मनाने के लिए विचार की जरूरत है. बता दें कि यशपाल को जब आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी तब वह महज 28 वर्ष के थे. उनका जन्म 3 दिसंबर 1903 को फिरोजपुर (पंजाब) में हुआ था. उनके पूर्वज हमीरपुर के भूंपल गांव के थे. दादा गरडूराम विभिन्न स्थानों पर व्यापार करते और भोरंज तहसील में टिक्कर भरियां और खर्वारियां के निवासी थे.

वीडियो

वर्ष 1937 में यशपाल को जेल से मुक्त तो कर दिया गया, लेकिन उनके पंजाब प्रांत जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया. यशपाल ने महात्मा गांधी के साथ असहयोग आंदोलन में भाग लिया था. नेशनल कॉलेज लाहौर में पढ़ाई के दौरान उनकी मित्रता सरदार भगत सिंह से हुई. यशपाल ने भगत सिंह और चंद्रशेखर आजाद के साथ आजादी के आंदोलनों में भाग लिया.

1929 में उन्होंने ब्रिटिश वाइसराय लॉर्ड इरविन की रेलगाड़ी के नीचे बम विस्फोट किया था. लाहौर में बोर्सटल जेल से उन्होंने भगत सिंह को मुक्त कराने का भी प्रयास किया था. वर्ष 1932 में इलाहाबाद में पुलिस से मुठभेड़ के समय पिस्तौल में गोलियां समाप्त होने पर यशपाल को गिरफ्तार कर लिया गया. उन्हें पुलिस से मुठभेड़ करने के लिए अंग्रेजी हकुमुत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.

धर्मशाला: पूर्व सांसद शांता कुमार ने मंगलवार को धर्मशाला के डीआरडीए सभागार में राज्य स्तरीय साहित्यकार व स्वतंत्रता सेनानी यशपाल की जयंती समारोह की अध्यक्षता करते हुए कहा कि आजादी यूं ही नहीं मिली, इसके लिए लाखों लोगों ने कुर्बानियां दी हैं.

युवा पीढ़ी स्वतंत्रता सेनानियों की कुर्बानियों को भूलती जा रही है. देश के क्रांतिकारियों ने आजादी के लिए कितनी कुर्बानियां दी हैं. ये देश को याद दिलाने की जरूरत है. शांता कुमार ने कहा कि यशपाल साहित्यकार और महान क्रांतिकारी थे.शांता ने कहा कि स्वतंत्रता सेनानी यशपाल की जयंति को बेहतर ढंग से मनाने के लिए विचार की जरूरत है. बता दें कि यशपाल को जब आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी तब वह महज 28 वर्ष के थे. उनका जन्म 3 दिसंबर 1903 को फिरोजपुर (पंजाब) में हुआ था. उनके पूर्वज हमीरपुर के भूंपल गांव के थे. दादा गरडूराम विभिन्न स्थानों पर व्यापार करते और भोरंज तहसील में टिक्कर भरियां और खर्वारियां के निवासी थे.

वीडियो

वर्ष 1937 में यशपाल को जेल से मुक्त तो कर दिया गया, लेकिन उनके पंजाब प्रांत जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया. यशपाल ने महात्मा गांधी के साथ असहयोग आंदोलन में भाग लिया था. नेशनल कॉलेज लाहौर में पढ़ाई के दौरान उनकी मित्रता सरदार भगत सिंह से हुई. यशपाल ने भगत सिंह और चंद्रशेखर आजाद के साथ आजादी के आंदोलनों में भाग लिया.

1929 में उन्होंने ब्रिटिश वाइसराय लॉर्ड इरविन की रेलगाड़ी के नीचे बम विस्फोट किया था. लाहौर में बोर्सटल जेल से उन्होंने भगत सिंह को मुक्त कराने का भी प्रयास किया था. वर्ष 1932 में इलाहाबाद में पुलिस से मुठभेड़ के समय पिस्तौल में गोलियां समाप्त होने पर यशपाल को गिरफ्तार कर लिया गया. उन्हें पुलिस से मुठभेड़ करने के लिए अंग्रेजी हकुमुत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.

Intro:धर्मशाला- आजादी यूं ही नहीं मिली, इसके लिए लाखों लोगों ने कुर्बानियां दी हैं। युवा पीढ़ी कुर्बानियों को भूलती जा रही है। देश के क्रांतिकारियों ने देश की आजादी के लिए कितनी कुर्बानियां दी हैं, यह देश को याद दिलाने की जरूरत है। यह बात पूर्व सांसद शांता कुमार आज डीआरडीए सभागार धर्मशाला में राज्य स्तरीय साहित्यकार यशपाल जयंति समारोह की अध्यक्षता करते हुए कही। शांता कुमार ने कहा कि यशपाल साहित्यकार से पहले महान क्रांतिकारी थे। उन्होंने कहा कि भाषा एवं संस्कृति विभाग को क्रांतिकारी एवं साहित्यकार यशपाल की जीवनी को विस्तृत रूप में देश के सामने लाने का प्रयास करे। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी महान क्रांतिकारियों को भूलती जा रही है, ऐसे में अगली पीढ़ी को जड़ों से जोडऩे की जरूरत है। शांता ने कहा कि यशपाल की जयंति और कैसे बेहतर ढंग से मनाया जा सके, इस बारे भी विचार करने की जरूरत है। शांता कुमार ने कहा कि क्रांतिकारी यशपाल ने शहीद भगत सिंह और चंद्रशेखर आजाद के साथ काम किया था। गौरतलब है कि 3 दिसंबर 1903 को पंजाब के फिरोजपुर में हुआ था।  उनके माता-पिता के परिवार और पूर्वजों की एक शाखा हिमाचल के हमीरपुर क्षेत्र के भूम्पल गांव के वासी थे। यशपाल ने कुछ समय भगत सिंह के साथ नवजवान भारत सभा में सहयोग दिया, फिर 1929 में लाहौर बम फैक्ट्री पर पुलिस के छापे के बाद फरार होकर हिंदुस्तानी समाजसवादी प्रजातंत्र सेना की गतिविधियों में शामिल हो गए। यहीं उनकी मित्रता चंद्रशेखर आजाद से हुई थी।




Body:वही पूर्व सांसद शांता कुमार ने कहा कि इस बार यशपाल जयंति पर उनके पुत्र आनंद पाल की मौजूदगी से यह कार्यक्रम खास हो गया है। देश की आजादी के लिए बहुत से भारत माता के सपूतों ने कुर्बानियां दी हैं। भगत सिंह और चंद्रशेखर आजाद के साथ काम करने वाले यशपाल कांगड़ा से संबंध रखते थे। उन्होंने क्रांतिकारी इतिहास क्षेत्र में बहुत काम किया, जिसने अंग्रेजों की सरकार को हिलाने में मकान कार्य किया। हमारे देश में ऐसी कोई बात न हो, जिससे हमारा सिर नीचा हो जाए।




Conclusion:वही क्रांतिकारी एवं साहित्यकार यशपाल के पुत्र आनंद पाल ने कहा कि यशपाल की कहानियों में हिमाचल के प्रति ललक रहती थी। आज यहां एक डाक्यूमेंट्री दिखाई गई, उसमें हिमाचल का कोई वर्णन नहीं था कि यशपाल का यहां से क्या संबंध रहा है। हम एक डाक्यूमेंट्री बनाएंगे, उसका आधा हिस्सा उनके हिमाचल से संबंध, उनके पूर्वज कहां से आए थे, कब और कहां रहे थे। यशपाल की कहानियों में हिमाचल की झलकियां और उनके रिश्तेदारों से वार्तालाप, उनके रिश्तेदारों की नजर में यशपाल कैसे थे, यह सब दर्शाया जाएगा।  हम हिमाचल के संबंध में यह जानना चाहते हैं कि हमारे पूर्वक जहां रहे हैं और वहां की मिटटी हम साथ ले जा सकें, बस हम यही चाहते हैं। हमारा जमीन को लेकर कोई दावा नहीं है, हम सिर्फ इतना चाहते हैं कि जब हम डाक्यूमेंट्री बनाएं तो यशपाल के हिमाचल के संबंध को सही ढंग से दर्शा सकें कि वाकई में वो यहां रहे थे।

Last Updated : Dec 4, 2019, 12:55 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.