पालमपुर: पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने वीरभद्र सिंह के निधन पर दुख जताया है. उन्होंने कहा कि वीरभद्र सिंह का निधन हिमाचल प्रदेश में एक राजनीतिक युग की समाप्ति है. लंबे समय तक वह हिमाचल प्रदेश की राजनीति पर छाए रहे, कई बार मुख्यमंत्री बने और कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व किया. हिमाचल की राजनीति की पहली पीढ़ी के वह एक दिग्गज नेता थे. एक कुशल प्रशासक और रचनात्मक राजनीति करने वाले मधुर भाषी नेता थे. मेरे साथ लंबे समय से उनके व्यक्तिगत संबंध रहे.
शांता कुमार ने वीरभद्र सिंह के परिवार और कांग्रेस पार्टी से संवेदना प्रकट की है. शांता कुमार बोले कि हिमाचल की नई पीढ़ी को पुरानी पीढ़ी के नेताओं के आदर्शों को अपने जीवन में उतारना चाहिए. हिमाचल प्रदेश के 6 बार मुख्यमंत्री रहे स्वर्गीय वीरभद्र सिंह के पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार के साथ सकारात्मक संबंध थे. बेशक दोनों ही अलग-अलग पार्टियों और अलग-अलग विचार धारा से संबंध रखते थे. बावजूद इसके दोनों की बातें एक दूसरे के खिलाफ कभी भी अशोभनीय नहीं हुईं. प्रदेश के कई गंभीर मुद्दों सहित कई बातों को लेकर आपस में चर्चा भी करते थे.
शांता कुमार ने कहा कि हम दोनों के बीच कभी भी कोई बात हुई है तो मर्यादाओं को कभी भी नहीं लांघा गया. पालमपुर के विकास का मुद्दा हो या अन्य बात, शांता कुमार ने वीरभद्र के समक्ष कई बातों को रखा जिन्हें बिना समय गंवाए वीरभद्र सिंह ने भी पूरा किया. कई रोचक किस्से हैं जिनसे पता चलता है कि वीरभद्र सिंह और शांता कुमार के बीच सकारात्मक संबंध थे. दोनों कभी एक दूसरे के खिलाफ असभ्य टीका-टिप्पणी नहीं करते थे.
शांता कुमार ने कहा कि जब लोकसभा के चुनाव थे और जब शांता कुमार किशन कपूर के चुनाव प्रचार में चंबा गए थे तो वहां से लौटकर उन्होंने कहा कि हिमाचल में राजनीति का स्तर ऊंचा रहा है. पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने वर्तमान मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के खिलाफ कुछ कड़वे शब्द कहे थे जिस पर शांता कुमार ने कहा कि उन्हें नहीं लगता की वीरभद्र सिंह ने यह शब्द एक शालीन मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को कहे होंगे. उन्हें लगता है कि यह सब वीरभ्रद सिंह ने दिल से नहीं कहे, गुस्से में उनके मुंह से निकल गया होगा.
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