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कांगड़ा में स्क्रब टाइफस के 44 मामले पॉजिटिव, करीब आठ माह में टांडा में हुए 828 टेस्ट

जनवरी से लेकर अब तक टांडा मेडिकल कॉलेज में स्क्रब टाइफस के 828  टेस्ट किए गए, जिनमें से जिला कांगड़ा के 44 और जिला के बाहर के 11 मामले पॉजिटिव पाए गए हैं. जबकि स्क्रब टाइफस से मौत का कोई मामला अभी तक कांगड़ा में रिपोर्ट नहीं हुआ है.

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Published : Sep 5, 2019, 1:19 PM IST

धर्मशाला: जिला कांगड़ा में स्क्रब टाइफस के 44 मामले पॉजिटिव पाए गए हैं, जबकि 11 पॉजिटिव मामले जिला के बाहर से संबंधित हैं. यह आंकड़ा टांडा मेडिकल कॉलेज में लगभग आठ माह में हुए स्क्रब टाइफस के टेस्ट के आधार पर सामने आया है.

जानकारी के अनुसार जनवरी से लेकर अब तक टांडा मेडिकल कॉलेज में स्क्रब टाइफस के 828 टेस्ट किए गए, जिनमें से जिला कांगड़ा के 44 और जिला के बाहर के 11 मामले पॉजिटिव पाए गए हैं. जबकि स्क्रब टाइफस से मौत का कोई मामला अभी तक कांगड़ा में रिपोर्ट नहीं हुआ है.

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गौरतलब है कि स्क्रब टाइफस खतरनाक जीवाणु रिकेटशिया यानि संक्रमित माइट (पिस्सू) के काटने से फैलता है, जो खेतों, झाड़ियों और घास में रहने वाले चूहों से पनपता है. यह जीवाणु चमड़ी के जरिये शरीर में प्रवेश करता है जिससे स्क्रब टाइफस बुखार होता है. वैसे तो यह इतना खतरनाक नहीं है, लेकिन अगर समय रहते इसका उचित इलाज नहीं किया जाये तो यह जानलेवा भी हो सकता है.

अगर किसी व्यक्ति को तेज बुखार हो, जोड़ों में दर्द, कंपकपी के साथ बुखार, अकडऩ या शरीर का थका हुआ लगना, अधिक संक्रमण में गर्दन, बाजुओं के नीचे, कूल्हों के ऊपर गिल्टियां होना स्क्रब टायफस के लक्षण हो सकते हैं. ऐसे किसी भी लक्षण पर मरीज को नजदीक के स्वास्थ्य केंद्र में जांच करवा लेनी चाहिए.

सीएमओ कांगड़ा डॉ. गुरदर्शन गुप्ता ने कहा कि कांगड़ा में स्क्रब टाइफस का टेस्ट टांडा मेडिकल कॉलेज में होता है. जनवरी से लेकर अब तक टांडा में स्क्रब टाइफस के 828 टेस्ट किए गए, जिसमें से कांगड़ा के 44 मामले पॉजिटिव पाए गए हैं, जबकि 11 पॉजिटिव मामले जिला के बाहर से संबंधित हैं. जिला में अब तक स्क्रब टाइफस से मौत का कोई भी मामला रिपोर्ट नहीं हुआ है.

ये भी पढ़ें: पौंग डैम में मछलियां पकड़ने गया मछुआरा पानी में डूबा, नहीं लगा कोई सुराग

धर्मशाला: जिला कांगड़ा में स्क्रब टाइफस के 44 मामले पॉजिटिव पाए गए हैं, जबकि 11 पॉजिटिव मामले जिला के बाहर से संबंधित हैं. यह आंकड़ा टांडा मेडिकल कॉलेज में लगभग आठ माह में हुए स्क्रब टाइफस के टेस्ट के आधार पर सामने आया है.

जानकारी के अनुसार जनवरी से लेकर अब तक टांडा मेडिकल कॉलेज में स्क्रब टाइफस के 828 टेस्ट किए गए, जिनमें से जिला कांगड़ा के 44 और जिला के बाहर के 11 मामले पॉजिटिव पाए गए हैं. जबकि स्क्रब टाइफस से मौत का कोई मामला अभी तक कांगड़ा में रिपोर्ट नहीं हुआ है.

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गौरतलब है कि स्क्रब टाइफस खतरनाक जीवाणु रिकेटशिया यानि संक्रमित माइट (पिस्सू) के काटने से फैलता है, जो खेतों, झाड़ियों और घास में रहने वाले चूहों से पनपता है. यह जीवाणु चमड़ी के जरिये शरीर में प्रवेश करता है जिससे स्क्रब टाइफस बुखार होता है. वैसे तो यह इतना खतरनाक नहीं है, लेकिन अगर समय रहते इसका उचित इलाज नहीं किया जाये तो यह जानलेवा भी हो सकता है.

अगर किसी व्यक्ति को तेज बुखार हो, जोड़ों में दर्द, कंपकपी के साथ बुखार, अकडऩ या शरीर का थका हुआ लगना, अधिक संक्रमण में गर्दन, बाजुओं के नीचे, कूल्हों के ऊपर गिल्टियां होना स्क्रब टायफस के लक्षण हो सकते हैं. ऐसे किसी भी लक्षण पर मरीज को नजदीक के स्वास्थ्य केंद्र में जांच करवा लेनी चाहिए.

सीएमओ कांगड़ा डॉ. गुरदर्शन गुप्ता ने कहा कि कांगड़ा में स्क्रब टाइफस का टेस्ट टांडा मेडिकल कॉलेज में होता है. जनवरी से लेकर अब तक टांडा में स्क्रब टाइफस के 828 टेस्ट किए गए, जिसमें से कांगड़ा के 44 मामले पॉजिटिव पाए गए हैं, जबकि 11 पॉजिटिव मामले जिला के बाहर से संबंधित हैं. जिला में अब तक स्क्रब टाइफस से मौत का कोई भी मामला रिपोर्ट नहीं हुआ है.

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Intro:धर्मशाला- जिला कांगड़ा में स्क्रब टायफस के 44 मामले पॉजिटिव पाए गए हैं, जबकि 11 पॉजिटिव मामले जिला के बाहर से संबंधित हैं। यह बात  टांडा मेडिकल कालेज में लगभग आठ माह में हुए स्क्रब टायफस के टेस्ट के आधार पर हुआ है। जानकारी के अनुसार जनवरी से लेकर अब तक टांडा मेडिकल कालेज में स्क्रब टायफस के 828 टेस्ट किए गए, जिनमें से जिला कांगड़ा के 44 और जिला के बाहर के 11 मामले पॉजिटिव पाए गए हैं। जबकि स्क्रब टायफस से मौत का कोई मामला अभी तक जिला कांगड़ा में रिपोर्ट नहीं हुआ है। 



Body:गौरतलब है कि स्क्रब टायफस ज्वर खतरनाक जीवाणु रिकेटशिया यानि संक्रमित माइट (पिस्सू) के काटने से फैलता है, जो खेतों, झाडिय़ों व घास में रहने वाले चूहों से पनपता है। यह जीवाणु चमड़ी के जरिये शरीर में प्रवेश करता है जिससे स्क्रब टायफस बुखार होता है। वैसे तो यह इतना खतरनाक नहीं है, लेकिन अगर समय रहते इसका उचित इलाज नहीं किया जाये तो यह जानलेवा भी हो सकता है। यदि किसी व्यक्ति को तेज बुखार हो, जोड़ों में दर्द, कंपकपी के साथ बुखार, अकडऩ या शरीर का थका हुआ लगना, अधिक संक्रमण में गर्दन, बाजुओं के नीचे, कूल्हों के ऊपर गिल्टियां होना स्क्रब टायफस के लक्षण हो सकते हैं। ऐसे किसी भी लक्षण पर मरीज को नजदीक के स्वास्थ्य केंद्र में जांच करवा लेनी चाहिए।





Conclusion:वही सीएमओ  कांगड़ा डॉ गुरदर्शन गुप्ता ने कहा कि  जिला कांगड़ा में स्क्रब टायफस का टेस्ट टांडा मेडिकल कालेज में होता है। जनवरी से लेकर अब तक टांडा में स्क्रब टायफस के 828 टेस्ट किए गए, जिसमें से जिला कांगड़ा के 44 मामले पॉजिटिव पाए गए हैं, जबकि 11 पॉजिटिव मामले जिला के बाहर से संबंधित हैं। जिला में अब तक स्क्रब टायफस से मौत का कोई भी मामला रिपोर्ट नहीं हुआ है।

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