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बागवानों के लिए प्रेरणास्रोत बने पूर्ण चंद, प्रतिकूल परिस्थिति में सेबों की बागवानी कर बनाई पहचान - Purna Chand of Shahpur

प्रतिकूल भौगोलिक परिस्थितियों में सेब का बगीचा लगाकर पूर्ण चंद युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन गए हैं. पूर्ण चंद ने 2018 में प्रदेश के बागवानी विभाग के मार्गदर्शन और सहयोग से सेब का बगीचा लगाया. उनकी कड़ी मेहनत के चलते दो वर्ष के भीतर पौधों में फल आने शुरू हो गए हैं. सबसे बड़ी बात ये है कि पूर्ण चंद बगीचे में रासायनिक खाद का इस्तेमाल नहीं करते बल्कि खुद जैविद खाद तैयार कर उसका प्रयोग करते हैं.

Purna Chand of Shahpur
पूर्ण चंद
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Published : Jun 9, 2021, 6:23 PM IST

धर्मशाला: जिला कांगड़ा के शाहपुर अपने मिट्ठू आमों की बागवानी के लिए प्रसिद्ध है. शाहपुर के आमों की खासियत पर लोकगायकों ने इन्हें अपने अंदाज में बयां करते हुए आम जनमानस में लोकप्रिय बना दिया है. शाहपुर में आमों के साथ अब शाहपुर तहसील के गांव दुरगेला के बागवान पूर्ण चंद ने प्रतिकूल भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद तीन सालों के भीतर सेबों के साथ कुछ ऐसा प्रयोग कर दिखाया कि अब वह आस-पास के बागवानों के लिए प्रेरणास्रोत बन गए हैं.

प्रतिकूल भौगोलिक परिस्थितियों में लगाए सेब के पौधे

बता दें पूर्ण चंद ने वर्ष 2018 में प्रदेश के बागवानी विभाग के मार्गदर्शन और सहयोग से सेब का बगीचा लगाया था. उनकी कड़ी मेहनत से दो वर्ष के भीतर पौधों में फल आने शुरू हो गए हैं. पिछले वर्ष लगभग 6 क्विंटल सेब बेचा. सबसे बड़ी बात ये है कि पूर्ण चंद बगीचों में किसी रासायनिक खाद या स्प्रे का प्रयोग नहीं करते. इसके बदले वह विभिन्न तरह की जैविक खाद, जो दालों, किचन वेस्ट, ऑयल सीड, गौमूत्र, गोबर द्वारा बनाई जाती हैं, उसका इस्तेमाल करते हैं. इन जैविक खाद को पूर्ण चंद खुद तैयार करते हैं.

बागवानी विभाग से समय-समय पर मिलता है मार्गदर्शन

बागवानी विभाग के उपनिदेशक डॉ. कमलशील नेगी, विषयवाद विशेषज्ञ डॉ. संजय गुप्ता और बागवानी अधिकारी संजीव कटोच से उन्हें समय-समय पर मार्गदर्शन और सहयोग मिलता रहता है. जिला कांगड़ा उद्यान विभाग के उपनिदेशक डॉ. कमलशील नेगी कहते हैं कि जिला कांगड़ा में 41 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में बागवानी की जाती है. जिला में 47,000 हजार मीट्रिक टन फलों की पैदावार होती है. साथ ही जिले में 530 हेक्टेयर भूमि पर सेब के पौधे लगाए गए हैं, जिसमें 330 मीट्रिक टन सेब का उत्पादन हो रहा है.

युवाओं से स्वरोजगार अपनाने का आह्वान

पूर्ण चंद ने युवाओं से स्वरोजगार अपनाने पर बल दिया है. उन्होंने कहा अपनी जमीन को बंजर न छोड़ें और पारंपरिक खेती से हटकर बागवानी को अपनाकर सेब, कीवी और अमरूद आदि के पौधे लगाकर बागवानी शुरू करें. उन्होंने कहा प्रदेश सरकार की ओर से शुरू की गई विभिन्न योजनाओं का लाभ उठाकर युवा अपनी आजीविका सुदृढ़ कर सकते हैं.

ये भी पढ़ें- भवारना में नशे की खेप बरामद, 1 किलो 212 ग्राम चरस के साथ दो तस्कर गिरफ्तार

धर्मशाला: जिला कांगड़ा के शाहपुर अपने मिट्ठू आमों की बागवानी के लिए प्रसिद्ध है. शाहपुर के आमों की खासियत पर लोकगायकों ने इन्हें अपने अंदाज में बयां करते हुए आम जनमानस में लोकप्रिय बना दिया है. शाहपुर में आमों के साथ अब शाहपुर तहसील के गांव दुरगेला के बागवान पूर्ण चंद ने प्रतिकूल भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद तीन सालों के भीतर सेबों के साथ कुछ ऐसा प्रयोग कर दिखाया कि अब वह आस-पास के बागवानों के लिए प्रेरणास्रोत बन गए हैं.

प्रतिकूल भौगोलिक परिस्थितियों में लगाए सेब के पौधे

बता दें पूर्ण चंद ने वर्ष 2018 में प्रदेश के बागवानी विभाग के मार्गदर्शन और सहयोग से सेब का बगीचा लगाया था. उनकी कड़ी मेहनत से दो वर्ष के भीतर पौधों में फल आने शुरू हो गए हैं. पिछले वर्ष लगभग 6 क्विंटल सेब बेचा. सबसे बड़ी बात ये है कि पूर्ण चंद बगीचों में किसी रासायनिक खाद या स्प्रे का प्रयोग नहीं करते. इसके बदले वह विभिन्न तरह की जैविक खाद, जो दालों, किचन वेस्ट, ऑयल सीड, गौमूत्र, गोबर द्वारा बनाई जाती हैं, उसका इस्तेमाल करते हैं. इन जैविक खाद को पूर्ण चंद खुद तैयार करते हैं.

बागवानी विभाग से समय-समय पर मिलता है मार्गदर्शन

बागवानी विभाग के उपनिदेशक डॉ. कमलशील नेगी, विषयवाद विशेषज्ञ डॉ. संजय गुप्ता और बागवानी अधिकारी संजीव कटोच से उन्हें समय-समय पर मार्गदर्शन और सहयोग मिलता रहता है. जिला कांगड़ा उद्यान विभाग के उपनिदेशक डॉ. कमलशील नेगी कहते हैं कि जिला कांगड़ा में 41 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में बागवानी की जाती है. जिला में 47,000 हजार मीट्रिक टन फलों की पैदावार होती है. साथ ही जिले में 530 हेक्टेयर भूमि पर सेब के पौधे लगाए गए हैं, जिसमें 330 मीट्रिक टन सेब का उत्पादन हो रहा है.

युवाओं से स्वरोजगार अपनाने का आह्वान

पूर्ण चंद ने युवाओं से स्वरोजगार अपनाने पर बल दिया है. उन्होंने कहा अपनी जमीन को बंजर न छोड़ें और पारंपरिक खेती से हटकर बागवानी को अपनाकर सेब, कीवी और अमरूद आदि के पौधे लगाकर बागवानी शुरू करें. उन्होंने कहा प्रदेश सरकार की ओर से शुरू की गई विभिन्न योजनाओं का लाभ उठाकर युवा अपनी आजीविका सुदृढ़ कर सकते हैं.

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