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कांगड़ा में निजी बस चालक और परिचालक बैठे धरने पर, वेतन नहीं मिलने से हैं नाराज

लॉकडाउन के दौरान दो महीने से वेतन नहीं मिलने से नाराज कांगड़ा के निजी बस चालक और परिचालक यूनियन धरने पर बैठा है. यूनियन का कहना है कि सभी आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है. इनकी मांग है कि उन्हें हर महीने 15 हजार वेतन और सभी का बीमा करावाया जाए.

Private bus drivers and operators union members on strike in Kangra
धरने पर बैठे निजी बस चालक परिचालक.
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Published : May 31, 2020, 3:14 PM IST

कांगड़ा: कल से प्रदेश में एचआरटीसी सहित निजी बसों का संचालन किया जाएगा. इससे पहले ही कांगड़ा के निजी बस चालक और परिचालक यूनियन धरने पर बैठ गया है. धरने पर बैठे इन लोगों का कहना है कि जब से लॉकडाउन लगा है तबसे इनके मालिकों ने इनकी सुध तक नहीं ली है. इन्हें तीन महीने से कोई वेतन नही दिया गया जिससे इन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा।

चालक और परिचालकों का कहना है कि इन लोगों को ना ही 15 हजार वेतन दिया जा रहा है और ना ही इनका इन्श्योरेंस करवाया गया है. यूनियन की मांग है कि प्रदेश सरकार इस मामले में निजी बस संचालकों को आदेश दें. इस बारे यूनियन के सदस्य एवं बस चालक स्वर्ण सिंह, संजय कपूर और संजय कुमार ने बताया कि लॉक डाउन लगने के बाद इनकी मुसीबतें बढ़नी शुरू हो गई थी. मालिकों ने वेतन देने से इनकार कर दिया ऐसे में तीन महीने से आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है.

वीडियो रिपोर्ट

अब सरकार ने 60 फीसदी ऑक्यूपेंसी के साथ बसें चलाने की अनुमति दी है, लेकिन इससे ना तो बस के ईंधन का खर्च निकलेगा और न ही मालिको को कोई पैसा मिलेगा. ऐसे में एक बार फिर इन्हें वेतन के लिए तरसना पड़ेगा. इनका कहना है कि मालिक महीने की शुरुआत में इनके खातों में वेतन डालने का प्रावधान करें. अन्यथा यह लोग ना तो धरने से हटेंगे और ना ही कल से बसें चलाएंगे.

राजेश ठाकुर ने बताया कि सरकार ने हर तबके के लिए कुछ न कुछ दिया है लेकिन इनकी अनदेखी की गई है. दूसरी और बस मालिक भी इन्हें अनदेखा कर रहे हैं. अगर बस मालिक उनकी इंश्योरेंस कराते हैं और उनकी जिम्मेदारी उठाते हैं तभी एक जून से बसें चलेंगी.

कांगड़ा: कल से प्रदेश में एचआरटीसी सहित निजी बसों का संचालन किया जाएगा. इससे पहले ही कांगड़ा के निजी बस चालक और परिचालक यूनियन धरने पर बैठ गया है. धरने पर बैठे इन लोगों का कहना है कि जब से लॉकडाउन लगा है तबसे इनके मालिकों ने इनकी सुध तक नहीं ली है. इन्हें तीन महीने से कोई वेतन नही दिया गया जिससे इन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा।

चालक और परिचालकों का कहना है कि इन लोगों को ना ही 15 हजार वेतन दिया जा रहा है और ना ही इनका इन्श्योरेंस करवाया गया है. यूनियन की मांग है कि प्रदेश सरकार इस मामले में निजी बस संचालकों को आदेश दें. इस बारे यूनियन के सदस्य एवं बस चालक स्वर्ण सिंह, संजय कपूर और संजय कुमार ने बताया कि लॉक डाउन लगने के बाद इनकी मुसीबतें बढ़नी शुरू हो गई थी. मालिकों ने वेतन देने से इनकार कर दिया ऐसे में तीन महीने से आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है.

वीडियो रिपोर्ट

अब सरकार ने 60 फीसदी ऑक्यूपेंसी के साथ बसें चलाने की अनुमति दी है, लेकिन इससे ना तो बस के ईंधन का खर्च निकलेगा और न ही मालिको को कोई पैसा मिलेगा. ऐसे में एक बार फिर इन्हें वेतन के लिए तरसना पड़ेगा. इनका कहना है कि मालिक महीने की शुरुआत में इनके खातों में वेतन डालने का प्रावधान करें. अन्यथा यह लोग ना तो धरने से हटेंगे और ना ही कल से बसें चलाएंगे.

राजेश ठाकुर ने बताया कि सरकार ने हर तबके के लिए कुछ न कुछ दिया है लेकिन इनकी अनदेखी की गई है. दूसरी और बस मालिक भी इन्हें अनदेखा कर रहे हैं. अगर बस मालिक उनकी इंश्योरेंस कराते हैं और उनकी जिम्मेदारी उठाते हैं तभी एक जून से बसें चलेंगी.

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