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जान हथेली पर रखकर जर्जर घर में रहने को मजबूर गरीब परिवार, आज तक नहीं मिली मदद

गरीब परिवार अभी भी बड़ी संख्या में पुराने और कच्चे मकानों में जान हथेली पर रखकर रहने को मजबूर हैं. ऐसा ही कुछ ज्वालामुखी क्षेत्र के खुंडिया तहसील के अंतर्गत भटवाल गांव में देखने को मिला है, जहां प्रकाश चंद अपनी 74 वर्षीय बीमार मां रोशनी देवी के साथ कच्चे मकान में रहने को मजबूर है.

poor family in bhatwal village
भटवाल गांव
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Published : Jun 13, 2021, 3:50 PM IST

ज्वालामुखी: केंद्र व प्रदेश सरकार भले ही गरीबों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर दिलाने का दावा कर रही है, लेकिन अभी भी बड़ी संख्या में गरीब परिवार पुराने और कच्चे मकानों में जान हथेली पर रखकर रहने को मजबूर हैं. ऐसा ही कुछ ज्वालामुखी क्षेत्र के खुंडिया तहसील के अंतर्गत भटवाल गांव में देखने को मिला है, जहां प्रकाश चंद अपनी 74 वर्षीय बीमार मां रोशनी देवी के साथ कच्चे मकान में रहने को मजबूर है.

घर के गिरने का खतरा

बीपीएल में शामिल इस परिवार को आज तक प्रधानमंत्री आवास योजना या दूसरी किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिला है. यहां तक कि घर में शौचालय तक नहीं है. घर की दीवारें इतनी कमजोर हैं कि बरसात में हर समय गिरने का खतरा बना रहता है. प्रकाश चंद को चलने में दिक्कत है. वहीं, उनकी मां ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित हैं. इन दोनों के अलावा इनके घर पर कोई भी नहीं है.

दूसरों के घरों में काम कर चलता है गुजारा

प्रकाश चंद के पिता तहल सिंह का 13 साल पहले निधन हो गया था. इसके बाद ये परिवार जैसे तैसे लोगों के घरों में काम करके दो वक्त के खाने का गुजारा करता है. इतने सालों से कई सरकारें आई और गई, लेकिन आज दिन तक किसी ने इनकी सुध नहीं ली और न ही कोई इनकी मदद करने के लिए कोई आगे आया है.

वीडियो.

किसी ने नहीं ली सुध

प्रकाश चंद ने बताया कि आज तक कोई अधिकारी किसी योजना की जानकारी देने नहीं आया. इसलिए उन्हें पता ही नहीं चलता कि किसी योजना का लाभ मिल रहा है या नहीं. किसी योजना का लाभ नहीं मिलने के कारण आए दिन इन लोगों को बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

सरकार से मदद का अनुरोध

मामला सामने आने के बाद ज्वालामुखी विकास सभा के महासचिव राकेश ने सोशल मीडिया के जरिए सरकार को एक पत्र लिखा और इस परिवार की मदद करने के लिए अनुरोध किया है, ताकि इस परिवार के लिए घर बन सके. साथ ही ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित रोशनी देवी की मदद हो सके.

ग्राम पंचायत देहरू प्रधान आशा देवी ने कहा कि इस परिवार की प्राथमिकता के आधार पर मदद की जाएगी. साथ ही परिवार को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत जोड़ने की कोशिश की जाएगी, ताकि जल्द ही इन्हें रहने के लिए नया आशियाना मिल सके.

ये भी पढ़ें- यूं ही कोई वीरभद्र सिंह नहीं हो जाता, पक्ष-विपक्ष में भी समान रूप से लोकप्रिय हैं राजनीति के राजा

ज्वालामुखी: केंद्र व प्रदेश सरकार भले ही गरीबों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर दिलाने का दावा कर रही है, लेकिन अभी भी बड़ी संख्या में गरीब परिवार पुराने और कच्चे मकानों में जान हथेली पर रखकर रहने को मजबूर हैं. ऐसा ही कुछ ज्वालामुखी क्षेत्र के खुंडिया तहसील के अंतर्गत भटवाल गांव में देखने को मिला है, जहां प्रकाश चंद अपनी 74 वर्षीय बीमार मां रोशनी देवी के साथ कच्चे मकान में रहने को मजबूर है.

घर के गिरने का खतरा

बीपीएल में शामिल इस परिवार को आज तक प्रधानमंत्री आवास योजना या दूसरी किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिला है. यहां तक कि घर में शौचालय तक नहीं है. घर की दीवारें इतनी कमजोर हैं कि बरसात में हर समय गिरने का खतरा बना रहता है. प्रकाश चंद को चलने में दिक्कत है. वहीं, उनकी मां ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित हैं. इन दोनों के अलावा इनके घर पर कोई भी नहीं है.

दूसरों के घरों में काम कर चलता है गुजारा

प्रकाश चंद के पिता तहल सिंह का 13 साल पहले निधन हो गया था. इसके बाद ये परिवार जैसे तैसे लोगों के घरों में काम करके दो वक्त के खाने का गुजारा करता है. इतने सालों से कई सरकारें आई और गई, लेकिन आज दिन तक किसी ने इनकी सुध नहीं ली और न ही कोई इनकी मदद करने के लिए कोई आगे आया है.

वीडियो.

किसी ने नहीं ली सुध

प्रकाश चंद ने बताया कि आज तक कोई अधिकारी किसी योजना की जानकारी देने नहीं आया. इसलिए उन्हें पता ही नहीं चलता कि किसी योजना का लाभ मिल रहा है या नहीं. किसी योजना का लाभ नहीं मिलने के कारण आए दिन इन लोगों को बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

सरकार से मदद का अनुरोध

मामला सामने आने के बाद ज्वालामुखी विकास सभा के महासचिव राकेश ने सोशल मीडिया के जरिए सरकार को एक पत्र लिखा और इस परिवार की मदद करने के लिए अनुरोध किया है, ताकि इस परिवार के लिए घर बन सके. साथ ही ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित रोशनी देवी की मदद हो सके.

ग्राम पंचायत देहरू प्रधान आशा देवी ने कहा कि इस परिवार की प्राथमिकता के आधार पर मदद की जाएगी. साथ ही परिवार को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत जोड़ने की कोशिश की जाएगी, ताकि जल्द ही इन्हें रहने के लिए नया आशियाना मिल सके.

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