धर्मशाला: कांगड़ा जिले के ज्वालामुखी के खुंडियां क्षेत्र में आर्जीमोन प्वाइजनिंग से एक व्यक्ति की मौत का मामला सामने आया है. यूं तो व्यक्ति की मौत 4 नवंबर को हुई थी, लेकिन प्रशासनिक तौर पर इसकी पुष्टि 18 नवंबर को हुई है. प्रशासन के मुताबिक व्यक्ति ने आर्जीमोन सीड मिले हुए सरसों के तेल का सेवन किया था, जिस वजह से उसकी मौत हुई है. वहीं, व्यक्ति की मृत्यु होने के बाद उपायुक्त कांगड़ा निपुण जिंदल (DC Kangra Nipun Jindal) ने लोगों से खुली सरसों तथा उससे निकलवाए तेल का उपयोग करने से परहेज की अपील की है. उन्होंने आग्रह किया कि पिछले दिनों जिस किसी ने भी खुले बाजार से सरसों खरीदी हो वे उसका या उससे निकलवाए तेल का उपयोग न करें.
ऐसे हुआ मामले का खुलासा: इस मामले का खुलासा तब हुआ जब परिवार के अन्य सदस्यों को भी इस बीमारी के लक्षण दिखाई दिए. सीएमओ कांगड़ा डॉ. गुरदर्शन गुप्ता ने बताया कि परिवार ने बजार से सरसों के खुले बीजों को खरीदकर उसका तेल निकलवाया था. परिवार काफी समय से इस तेल का इस्तेमाल कर रहा था. तभी एक दिन परिवार के 59 वर्षीय सदस्य विजय कुमार की तबीयत बिगड़ गई. जिसके बाद परिजनों ने उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया. जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई. (Person died due to consumption of mustard oil).
वहीं, विजय कुमार की मौत के बाद परिजनों में भी आर्जीमोन प्वाइजनिंग के कुछ लक्षण दिखाई दिए. जिसके बाद मृतक व्यक्ति की बहू और बेटा अपना इलाज करवाने के लिए एक निजी अस्पताल में गए. जहां उन्हें आर्जीमोन प्वाइजनिंग का पता चला. इस दौरान सारी घटना की सूचना स्वास्थ्य विभाग को भी प्राप्त हुई. जब परिवार की शिकायत पर तेल टेस्ट करवाया गया तो उसमें आर्जीमोन पाया गया. ऐसे जाकर इस पूरे मामले का खुलासा हुआ. सीएमओ ने बताया कि जब मामला स्वास्थ्य विभाग के ध्यान में आया तो उन्होंने जिला प्रशासन की मदद से एक टीम का गठन किया. जिसने अपनी जांच शुरू कर दी है तथा उस तेल के सैंपल को शिमला स्थित कंडाघाट प्रयोगशाला में जांच के लिए भेज दिया गया है.
क्या है आर्जीमोन प्वाइजनिंग: सीएमओ कांगड़ा डॉ. गुरदर्शन गुप्ता ने बताया कि आर्जीमोन प्वाइजनिंग एक प्रकार की फूड पॉइजनिंग है, जो मिलावटी सरसों के तेल से हो सकती है. प्रारंभिक जांच में यह पाया गया है कि परिवार ने अगस्त माह में स्थानीय दुकानदार से सरसों के बीज खरीदी थे, जिसका तेल निकलवाकर वे इस्तेमाल कर रहे थे. इस तेल के इस्तेमाल के बाद उनको दस्त, उल्टियां और शरीर के अंगों में सूजन तथा टांगों में लालगी जैसे लक्षण दिखाई दिए.(person died after consuming mustard oil).
मानव शरीर के लिए घातक है आर्जीमोन: सीएमओ ने बताया कि आर्जीमोन एक तरह की खरपतवार है जो खेतों में सरसों के साथ पाई जाती है. उन्होंने कहा कि जहां सरसों का कलर ब्राउन होता है, वही आर्जीमोन ब्लैक कलर का होता है. जिससे इसके बारे में आसानी से पता नहीं चल पाता है. उन्होंने कहा कि यह खरपतवार मानव शरीर के लिए घातक होता है और इसके सेवन से डायरिया, घुटनों में सूजन, उल्टी, लालपन, सांस लेने में दिक्कत, आंखों की रोशनी और यहां तक कि दिल का दौरा पड़ने की संभावना भी बढ़ जाती है. उन्होंने कहा कि यदि किसी को भी इस प्रकार के लक्षण दिखाई दें तो वह तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य संस्थान में संपर्क करें. उन्होंने कहा कि इसमें डरने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन सावधानी अति आवश्यक है.
विषैले सरसों तेल से होती है ड्रॉप्सी नामक बीमारी: उपायुक्त कांगड़ा डॉ. निपुण जिंदल ने बताया कि इस विषैले सरसों के बीज या उससे निकले तेल के सेवन से ड्रॉप्सी नामक बीमारी भी होती (Dropsy in Humans) है. उन्होंने कहा कि शरीर में विशेषकर पैरों, एड़ियों और टांगों में सूजन आना इसके लक्षण हैं. उन्होंने कहा कि संबंधित क्षेत्रों में यदि किसी भी व्यक्ति ने खुली सरसों या उससे निकलवाये तेल का पिछले दिनों सेवन किया है और उनके शरीर में ऐसे लक्षण दिख रहे हैं, तो वह तुरंत अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में जाकर अपना उपचार करवाएं. उन्होंने कहा कि स्वास्थ विभाग और अधिकारियों को इसके उपचार संबंधित निर्देश दे दिए गए हैं.
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