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मानवता शर्मसार! मां के शव को कंधे पर उठाकर अकेला श्मशानघाट पहुंचा बेटा, विक्रमादित्य ने बताया शर्मनाक

भंगवार पंचायत की पूर्व उपप्रधान की कोरोना से मौत हो गई. कोरोना संक्रमित महिला की मौत के बाद उसको कंधा देने के लिए भी कोई आगे नहीं आया. मजबूरन पुत्र अपनी मां के शव को कंधे पर उठाकर श्मशानघाट पहुंचा और अंतिम संस्कार किया. बताया जा रहा है कि पुत्र मां के शव को कंधे पर उठाकर ले जा रहा था तो उसके पीछे डेढ़ साल के बच्चे को कंधे से लगाए और दूसरे हाथ में अपनी सास के अंतिम संस्कार में उपयोग होने वाली सामग्री को लेकर उसकी पत्नी चली हुई थी.

KANGRA
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Published : May 14, 2021, 6:59 AM IST

Updated : May 14, 2021, 10:20 AM IST

धर्मशाला: कोरोना महामारी के दौरान रानीताल से एक दिल दहला देने वाली तस्वीर सामने आई है. जहां एक बेटे ने अपनी मां के शव को कंधे पर उठाकर अकेले श्मशानघाट पहुंचाया. उनकी मदद के लिए कोई भी आगे नहीं आया. महिला की कोरोना से मौत हुई थी.

कोरोना संक्रमण से पूर्व पंचायत उपप्रधान की मौत

कोरोना संक्रमित महिला की मौत के बाद उसको कंधा देने के लिए भी कोई आगे नहीं आया. मजबूरन पुत्र अपनी मां के शव को कंधे पर उठाकर श्मशानघाट पहुंच गया और अंतिम संस्कार किया. जानकारी के अनुसार ये मामला रानीताल के समीपवर्ती गांव भंगवार का है. जहां वीरवार को एक कोरोना संक्रमित महिला की मौत हो गई, जो कि भंगवार पंचायत की पूर्व में उपप्रधान भी रह चुकी हैं.

सिर्फ पत्नी ने दिया साथ

बताया जा रहा है कि पुत्र मां के शव को कंधे पर उठाकर ले जा रहा था तो उसके पीछे डेढ़ साल के बच्चे को कंधे से लगाए और दूसरे हाथ में अपनी सास के अंतिम संस्कार में उपयोग होने वाली सामग्री को लेकर उसकी पत्नी चली हुई थी. रानीताल में हुए इस वाक्या ने सच में मानवता को शर्मसार करके रख दिया है. सोशल मीडिया पर कोरोना संक्रमित लोगों को सहायता प्रदान करने लिए बहुत बड़ी-बड़ी बातें की जाती हैं, लेकिन जब सहायता का समय आता है तो ऐसे में वो सभी बातें धरातल पर शून्य हो जाती हैं.

क्या कहना है भंगवार पंचायत के प्रधान का

भंगवार पंचायत के प्रधान सूरम सिंह का कहना है कि मुझे बुखार था इसलिए मैं खुद पीड़ित परिवार के घर नहीं जा सका, लेकिन फिर भी प्रशासन से पीपीई किट और हरसंभव सहायता के बारे में बात की थी, लेकिन पीड़ित वीर सिंह ने पीपीई किट के लिए मना कर दिया. उसने कहा कि मेरे रिश्तेदार पीपीई किट लेकर आ रहे हैं.

सूरम सिंह का कहना है आशा वर्कर ने भी पीड़ित परिवार से संपर्क किया और हर संभव सहायता के लिए कहा था. मैंने दो ट्रैक्टर चालकों से भी शव को लेकर जाने की बात की, लेकिन दोनों ट्रैक्टर चालकों ने मना कर दिया. प्रधान का कहना है कि गांव के कुछ लोगों ने मदद की है और वो लकड़ियां काटने के लिए पहले ही जंगल चले गए थे. पीड़ित वीर सिंह ने शव को अकेले ले जाकर बहुत ही जल्दबाजी दिखाई. उसने न तो मुझे और न ही किसी और बुद्धिजीवी को इस बारे में बताया कि शव को कोई कंधा नहीं लगा रहा है.

कांग्रेस विधायक विक्रमादित्य सिंह ने दी प्रतिक्रिया

वहीं, इस मामले पर शिमला ग्रामीण से कांग्रेस विधायक विक्रमादित्य सिंह ने प्रतिक्रिया दी है. विक्रमादित्य सिंह ने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा, देवभूमि हिचाल की संस्कृति तो हमें यह नहीं सिखाती, यह हम सब के लिए शर्म की बात है."

ये भी पढ़ें: फार्मा उद्योग के प्रमुखों के साथ सीएम की वर्चुअल बैठक, ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए जताया धन्यवाद

धर्मशाला: कोरोना महामारी के दौरान रानीताल से एक दिल दहला देने वाली तस्वीर सामने आई है. जहां एक बेटे ने अपनी मां के शव को कंधे पर उठाकर अकेले श्मशानघाट पहुंचाया. उनकी मदद के लिए कोई भी आगे नहीं आया. महिला की कोरोना से मौत हुई थी.

कोरोना संक्रमण से पूर्व पंचायत उपप्रधान की मौत

कोरोना संक्रमित महिला की मौत के बाद उसको कंधा देने के लिए भी कोई आगे नहीं आया. मजबूरन पुत्र अपनी मां के शव को कंधे पर उठाकर श्मशानघाट पहुंच गया और अंतिम संस्कार किया. जानकारी के अनुसार ये मामला रानीताल के समीपवर्ती गांव भंगवार का है. जहां वीरवार को एक कोरोना संक्रमित महिला की मौत हो गई, जो कि भंगवार पंचायत की पूर्व में उपप्रधान भी रह चुकी हैं.

सिर्फ पत्नी ने दिया साथ

बताया जा रहा है कि पुत्र मां के शव को कंधे पर उठाकर ले जा रहा था तो उसके पीछे डेढ़ साल के बच्चे को कंधे से लगाए और दूसरे हाथ में अपनी सास के अंतिम संस्कार में उपयोग होने वाली सामग्री को लेकर उसकी पत्नी चली हुई थी. रानीताल में हुए इस वाक्या ने सच में मानवता को शर्मसार करके रख दिया है. सोशल मीडिया पर कोरोना संक्रमित लोगों को सहायता प्रदान करने लिए बहुत बड़ी-बड़ी बातें की जाती हैं, लेकिन जब सहायता का समय आता है तो ऐसे में वो सभी बातें धरातल पर शून्य हो जाती हैं.

क्या कहना है भंगवार पंचायत के प्रधान का

भंगवार पंचायत के प्रधान सूरम सिंह का कहना है कि मुझे बुखार था इसलिए मैं खुद पीड़ित परिवार के घर नहीं जा सका, लेकिन फिर भी प्रशासन से पीपीई किट और हरसंभव सहायता के बारे में बात की थी, लेकिन पीड़ित वीर सिंह ने पीपीई किट के लिए मना कर दिया. उसने कहा कि मेरे रिश्तेदार पीपीई किट लेकर आ रहे हैं.

सूरम सिंह का कहना है आशा वर्कर ने भी पीड़ित परिवार से संपर्क किया और हर संभव सहायता के लिए कहा था. मैंने दो ट्रैक्टर चालकों से भी शव को लेकर जाने की बात की, लेकिन दोनों ट्रैक्टर चालकों ने मना कर दिया. प्रधान का कहना है कि गांव के कुछ लोगों ने मदद की है और वो लकड़ियां काटने के लिए पहले ही जंगल चले गए थे. पीड़ित वीर सिंह ने शव को अकेले ले जाकर बहुत ही जल्दबाजी दिखाई. उसने न तो मुझे और न ही किसी और बुद्धिजीवी को इस बारे में बताया कि शव को कोई कंधा नहीं लगा रहा है.

कांग्रेस विधायक विक्रमादित्य सिंह ने दी प्रतिक्रिया

वहीं, इस मामले पर शिमला ग्रामीण से कांग्रेस विधायक विक्रमादित्य सिंह ने प्रतिक्रिया दी है. विक्रमादित्य सिंह ने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा, देवभूमि हिचाल की संस्कृति तो हमें यह नहीं सिखाती, यह हम सब के लिए शर्म की बात है."

ये भी पढ़ें: फार्मा उद्योग के प्रमुखों के साथ सीएम की वर्चुअल बैठक, ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए जताया धन्यवाद

Last Updated : May 14, 2021, 10:20 AM IST
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