कांगड़ा: देश और दुनिया इस वक्त कोरोना वायरस से जूझ रही है. कोरोना संक्रमण के चलते हर कारोबार को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है. आम आदमी की जेब से लेकर सरकारी खजाने पर भी इसका असर पड़ा है.
लॉकडाउन ने धर्मशाला नगर निगम की भी चिंताएं बढ़ा दी हैं. कोविड-19 और लॉकडाउन ने व्यापार जगत के साथ-साथ नगर निगम धर्मशाला को भी बड़ा आर्थिक नुकसान पहुंचाया है. लॉकडाउन के दौरान एमसी धर्मशाला को करीब दो करोड़ का घाटा हुआ है.
नगर निगम धर्मशाला ने शहर की जनता को परेशानी से बचाने के लिए लॉकडाउन में कई छुट दी, लेकिन इसका खामियाजा अब एमसी धर्मशाला को खुद भुगतना पड़ रहा है. अब एमसी ने फैसला लिया है कि नगर निगम को हुए घाटे को नया टेक्स लगाकर वसूल नहीं किया जाएगा. जबकि निगम अपने संसधानों का उचित प्रयोग करके इस घाटे की भरपाई करेगा.
नगर निगम को राजस्व घाटा भी हुआ है. निगम की जो अपनी दुकानें थी उनका 3 महीने से किराया नहीं लिया गया. नगर निगम धर्मशाला ने तीन महीने तक शहर के होटल कारोबारियों, दुकानदारों से प्रॉपर्टी टैक्स माफ कर दिया था. साथ ही नगर निगम के जो अन्य आय के साधन थे.वह भी लॉकडाउन के चलते घाटे में चले गए.
अब बड़ा सवाल ये उठता है कि इस घाटे से उभरने के लिए नगर निगम क्या कदम उठाता है. एमसी धर्मशाला के मेयर दवेंद्र जगी का कहना है कि नगर निगम शहर के लोगों से भविष्य में वसूले जाने वाले प्रॉपर्टी टैक्स से कुछ हद तक घाटे की भरपाई करेंगें. वहीं नगर निगम अपनी कुछ वेंकेट प्रॉपर्टी को लीज पर देकर अपनी इनकम बढ़ाने की कोशिश करेगा.
धर्मशाला एक जाना माना पर्यटन स्थल है. पर्यटन कारोबार से हर साल नगर निगम को अच्छा मुनाफा होता था, लेकिन लॉकडाउन से सारे कारोबार ध्वस्त हो गए हैं. इस बात में कोई दोराय नहीं है कि लॉकडाउन के चलते निगम को हो रहा नुकसान कहीं ना कहीं आम जनता की जेब पर भारी पड़ सकता है. भले ही नगर निगम अपने स्तर पर घाटे की भरपाई करने की बात कह रहा हो, लेकिन अगर वक्त रहते हाताल सामान्य नहीं होते तो एमसी धर्मशाला को आने वाले दिनों में और नुकसान का सामना करना पड़ सकता है.