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कांगड़ा रियासत में भाजपा की सियासत, गद्दी समुदाय को लुभाने किशन कपूर को मैदान में उतारा

साढ़े 13 लाख वोटर्स वाली इस संसदीय सीट में करीब तीन लाख से अधिक गद्दी समुदाय के वोट हैं. जिसे अपने पक्ष में करने के किशन कपूर को इस सीट से अपना उम्मीदवार घोषित किया है. शांता कुमार के चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा के बाद भाजपा के थिंक टैंक ऐसा दांव खेला है.

किशन कपूर, प्रत्याशी, कांगड़ा लोक सभा सीट
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Published : Mar 24, 2019, 2:11 PM IST

कांगड़ा: कांगड़ा-चंबा रियासत की सियासत जातीय और क्षेत्रीय समीकरण के बीच चलती रही है. लोकसभा चुनाव में अपनी दावेदारी पक्की कर सके, इसलिए भाजपा ने पहली बार किसी गद्दी समुदाय के नेता को अपना कैंडिडेट बनाया है. गद्दी समुदाय के वर्चस्व वाली इस संसदीय सीट पर भाजपा ने जयराम सरकार में मंत्री रहे किशन कपूर को मैदान में उतारा है.

शांता कुमार के चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा के बाद भाजपा के थिंक टैंक ने ऐसा दांव खेला है जिससे एक तीर से दो निशाने साधे जा सके. साढ़े 13 लाख वोटर्स वाली इस संसदीय सीट में करीब तीन लाख से अधिक गद्दी वोटर हैं. जिसे अपने पक्ष में करने के किशन कपूर को इस सीट से अपना उम्मीदवार घोषित किया है.

bjp candidate kangara lok sabha seat
किशन कपूर, प्रत्याशी, कांगड़ा लोक सभा सीट

किशन कपूर की बात करें तो वह शांता कुमार के करीबी माने जाते हैं विधानसभा चुनाव में भी शांत का उन्हें भरपूर मिला था. शांता और कपूर के संबंधों को देखते हुए भाजपा ने ब्राह्मण और गद्दी समुदाय के वोट अपने पक्ष में करने के लिए यह कदम उठाया है.

बता दें कि शांता कुमार ने अभी हाल ही में गद्दी समुदाय को लेकर एक टिप्पणी की थी जिस कारण कांगड़ा चंबा लोकसभा के अधिकतम गद्दी नाराज हो गए थे. भाजपा ने इसी बिगड़ती इक्वेशन को संभालने के लिए गद्दी समुदाय से संबंधित कपूर को मैदान में उतारा है. इससे ना केवल जिला कांगड़ा के गद्दी समुदाय को साथ लेकर चला जा सकता है बल्कि चंबा जिले में भी भाजपा कपूर के गद्दी होने की दुहाई दे सकती है.

किशन कपूर के संक्षिप्त राजनीतिक सफर पर एक नजर डालें तो वह पहली बार 1990 में धर्मशाला से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे. प्रदेश में 1998 से लेकर 2002 और 2007 से 2012 तक प्रेम कुमार धूमल की सरकार में कपूर मंत्री रहे. साल 2017 में चौथी बार धर्मशाला से विधायक बनने के बाद भाजपा सरकार में तीसरी बार मंत्री बने किशन कपूर गद्दी समुदाय से पहले लोकसभा उम्मीदवार होंगे. ऐसा माना जा रहा है कि अब किशन कपूर चंबा में अपनी ससुराल होने की दुहाई देकर वोटबैंक को अपने पक्ष में करने का प्रयास करेंगे.

कांगड़ा: कांगड़ा-चंबा रियासत की सियासत जातीय और क्षेत्रीय समीकरण के बीच चलती रही है. लोकसभा चुनाव में अपनी दावेदारी पक्की कर सके, इसलिए भाजपा ने पहली बार किसी गद्दी समुदाय के नेता को अपना कैंडिडेट बनाया है. गद्दी समुदाय के वर्चस्व वाली इस संसदीय सीट पर भाजपा ने जयराम सरकार में मंत्री रहे किशन कपूर को मैदान में उतारा है.

शांता कुमार के चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा के बाद भाजपा के थिंक टैंक ने ऐसा दांव खेला है जिससे एक तीर से दो निशाने साधे जा सके. साढ़े 13 लाख वोटर्स वाली इस संसदीय सीट में करीब तीन लाख से अधिक गद्दी वोटर हैं. जिसे अपने पक्ष में करने के किशन कपूर को इस सीट से अपना उम्मीदवार घोषित किया है.

bjp candidate kangara lok sabha seat
किशन कपूर, प्रत्याशी, कांगड़ा लोक सभा सीट

किशन कपूर की बात करें तो वह शांता कुमार के करीबी माने जाते हैं विधानसभा चुनाव में भी शांत का उन्हें भरपूर मिला था. शांता और कपूर के संबंधों को देखते हुए भाजपा ने ब्राह्मण और गद्दी समुदाय के वोट अपने पक्ष में करने के लिए यह कदम उठाया है.

बता दें कि शांता कुमार ने अभी हाल ही में गद्दी समुदाय को लेकर एक टिप्पणी की थी जिस कारण कांगड़ा चंबा लोकसभा के अधिकतम गद्दी नाराज हो गए थे. भाजपा ने इसी बिगड़ती इक्वेशन को संभालने के लिए गद्दी समुदाय से संबंधित कपूर को मैदान में उतारा है. इससे ना केवल जिला कांगड़ा के गद्दी समुदाय को साथ लेकर चला जा सकता है बल्कि चंबा जिले में भी भाजपा कपूर के गद्दी होने की दुहाई दे सकती है.

किशन कपूर के संक्षिप्त राजनीतिक सफर पर एक नजर डालें तो वह पहली बार 1990 में धर्मशाला से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे. प्रदेश में 1998 से लेकर 2002 और 2007 से 2012 तक प्रेम कुमार धूमल की सरकार में कपूर मंत्री रहे. साल 2017 में चौथी बार धर्मशाला से विधायक बनने के बाद भाजपा सरकार में तीसरी बार मंत्री बने किशन कपूर गद्दी समुदाय से पहले लोकसभा उम्मीदवार होंगे. ऐसा माना जा रहा है कि अब किशन कपूर चंबा में अपनी ससुराल होने की दुहाई देकर वोटबैंक को अपने पक्ष में करने का प्रयास करेंगे.

Intro:कांगड़ा चम्बा लोकसभा में भाजपा ने क्षेत्रीय और जातीय समीकरणों की ऐसी इक्वेशन बनाई है जिससे भाजपा हर समुदाय से वोट बटोर सके। कांगड़ा से भाजपा ने पहली बार किसि गद्दी समुदाय के नेता को प्रत्याशी बनाया है। साढ़े 13 लाख वोटर वाली इस संसदीय सीट में करीब तीन लाख से अधिक गद्दी वोटर हैं। लिहाज़ा भाजपा ने जातीय और क्षेत्रीय समीकरण देखते हुए जयराम सरकार में मंत्री रहे किशन कपूर को मैदान में उतारा है।


Body:शांता कुमार द्वारा चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा के बाद भाजपा के थिंक टैंक ने ऐसा दांव खेला है जिससे एक तीर से दो निशाने साधे जा सके। किशन कपूर की बात करें तो वह शांता कुमार के करीबी माने जाते हैं विधानसभा चुनाव में भी शांत का उन्हें भरपूर मिला था। शांता और कपूर के संबंधों को देखते हुए भाजपा ने ब्राह्मण और गद्दी समुदाय के वोट अपने पक्ष में करने के लिए यह दाव खेला है। बता दें कि शांता कुमार ने अभी हाल ही में गद्दी समुदाय को लेकर एक टिप्पणी की थी जिस कारण कांगड़ा चंबा लोकसभा के अधिकतम गद्दी नाराज हो गए थे। भाजपा ने इसी बिगड़ती इक्वेशन को संभालने के लिए गद्दी समुदाय से संबंधित कपूर को मैदान में उतारा है। इससे ना केवल जिला कांगड़ा के गद्दी समुदाय को साथ लेकर चला जा सकता है बल्कि चंबा जिले में भी भाजपा कपूर के गद्दी होने की दुहाई दे सकती है।


Conclusion:किशन कपूर की बात करें तो वह पहली बार 1990 में धर्मशाला से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। प्रदेश में 1998 से लेकर 2002 और 2007 से 2012 तक प्रेम कुमार धूमल की सरकार में कपूर मंत्री रहे। वर्ष 2017 में चौथी बार धर्मशाला से विधायक बनने के बाद भाजपा सरकार में तीसरी बार मंत्री बने किशन कपूर गद्दी समुदाय से पहले लोकसभा उम्मीदवार होंगे। अब किशन कपूर चंबा में अपने ससुराल होने की दुहाई देकर क्षेत्रवाद को भी साधने का प्रयास करेंगे।
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