कांगड़ा: ऐतिहासिक काठगढ़ मंदिर का जिला स्तरीय महाशिवरात्रि महोत्सव शुक्रवार से शुरू हो चुका है. महाशिवरात्रि महोत्सव का आगाज भव्य शोभा यात्रा और पूजा अर्चना के साथ हुआ. कार्यक्रम में पशुपालन मंत्री चंद्र कुमार मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए. आइए एक नजर काठगढ़ मंदिर के इतिहास पर भी डालते हैं. बता दें कि देवभूमि की ऐतिहासिक एवं समृद्व सांस्कृतिक गौरवशाली पृष्ठभूमि को समेटे जिला कांगड़ा शुरू से ही धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रहा है. इसकी मान्यताएं, धारणाएं एवं परम्पराएं आदिकाल से ही जनमानस में अपना अस्तित्व बनाए हुए हैं.
शिव महापुराण के अनुसार शिव भगवान ही एकमात्र ऐसे देवता हैं, जो निराकार एवं सकल दोनों हैं यही कारण है कि शिव भगवान का पूजन, लिंग एवं मूर्ति दोनों में समान रूप से किया जाता है. जिला कांगड़ा के इंदौरा उपमंडल मुख्यालय से 6 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित शिव मंदिर, काठगढ़ का अपना अलग महात्म्य है. शिवरात्रि के महापर्व पर इस मंदिर में प्रदेश के अलावा सीमांत राज्यों, पंजाब एवं हरियाणा से भी असंख्य श्रद्वालु विशेष रूप से भोले के दर्शन करने आते हैं.
शिवरात्रि पर श्रद्धालुओं की बम-बम भोले के जयकारों और घंटियों की आवाज से मंदिर की शोभा देखते ही बनती है इस बार यहां पर जिला स्तरीय शिवरात्रि महोत्सव का आयोजन 17 से 19 फरवरी तक किया जा रहा है पर्यटन की दृष्टि से यह स्थान अति महत्वपूर्ण बन गया है वर्ष 1986 से पहले, यहां केवल शिवरात्रि महोत्सव ही मनाया जाता था अब शिवरात्रि के साथ-साथ रामनवमी, कृष्ण जन्माष्टमी, श्रावण मास महोत्सव, शरद नवरात्रि तथा अन्य सभी धार्मिक समारोह आयोजित किए जाते हैं. आदिकाल से स्वयंभू प्रकट, सात फीट से अधिक ऊंचा, 6 फीट 3 इंच की परिधि में भूरे रंग के रेतीले पाषाण रूप में, यह शिवलिंग ब्यास दरिया और छौंछ खड्ड के संगम स्थान के दाईं ओर टीले पर विराजमान है. यह शिवलिंग दो भागों में विभाजित है छोटे भाग को मां पार्वती तथा ऊंचे भाग को भगवान शिव के रूप में माना जाता है. इसे अर्धनारीश्वर शिवलिंग भी कहा जाता है.
प्रचलित मान्यताओं के अनुसार मां पार्वती और भगवान शिव के इस अर्धनारीश्वर के मध्य का हिस्सा नक्षत्रों के अनुरूप घटता-बढ़ता रहता है और शिवरात्रि पर दोनों का मिलन हो जाता है शिवलिंग के रूप में पूजन किये जाने वाले भगवान शिवलिंग की ऊंचाई लगभग 7-8 फीट है, जबकि मां पार्वती के रूप में आराध्य हिस्सा 5-6 फीट ऊंचा है. यह पावन शिवलिंग अष्टकोणीय तथा काले-भूरे रंग का है.
मंदिर के उत्थान के लिए वर्ष 1984 में प्राचीन शिव मंदिर प्रबन्धकारिणी सभा, काठगढ़ का गठन किया गया सन् 1986 में इस सभा का पंजीकरण होने के बाद मंदिर में आने वाले श्रद्वालुओं की सुविधा के लिए कई विकास कार्य आरम्भ किये गए सभा के सदस्यों की कड़ी मेहनत और लग्न व लोगों के योगदान से सभा द्वारा वर्ष 1995 में प्राचीन शिव मंदिर के दायीं ओर भव्य श्री राम दरबार मंदिर का निर्माण करवाया गया मंदिर कमेटी का वर्तमान में जिम्मा संभाल रहे प्रधान ओम प्रकाश कटोच ने बताया कि श्रद्धालुओं की रोजाना बढ़ती संख्या को देखते हुए कमेटी ने लंगर हॉल, सराए भवन, भव्य सुंदर पार्क, पेयजल की व्यवस्था और सुलभ शौचालयों का निर्माण करवाया है.
इसके अलावा सरकार और लोगों की सहभागिता से कमेटी द्वारा निर्माण कार्य निरंतर जारी है. मंदिर में आने वाले श्रद्वालुओं की सुविधा के लिए कमेटी प्रतिदिन तीन बार निःशुल्क लंगर की व्यवस्था उपलब्ध करवा रही है. इसके अतिरिक्त कमेटी निःशुल्क चिकित्सा शिविरों का आयोजन भी करवाती है. कमेटी धार्मिक एवं सामाजिक कार्यों के अलावा हर साल जनवरी महीने में मेधावी छात्रवृति परीक्षा का आयोजन भी करवाती है. इस वर्ष 22 जनवरी को संचालित मेधावी छात्रवृति परीक्षा जोकि हिमाचल व पंजाब प्रदेश के 16 परीक्षा केंद्रों में लगभग 2600 बच्चों ने ओएमआर प्रणाली के तहत परीक्षा दी थी. जिसमें पांचवीं, दसवीं, व बाहरवीं कक्षा के 68 बच्चों को मेरिट के आधार पर चुना गया है. इन बच्चों को 17 फरवरी के दिन महाशिवरात्रि महोत्सव के अवसर पर नगद राशि, प्रशस्ति पत्र व स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया जाएगा. वहीं, इसके अलावा गरीब बच्चों की पढ़ाई और गरीब परिवारों की लड़कियों की शादी का खर्च भी सभा अपने स्तर पर देती है.
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