ज्वालामुखी: गोरख डिब्बी मंदिर प्रबंधन और ज्वालामुखी मंदिर प्रशासन के बीच का भूमि विवाद तूल पकड़ता जा रहा है, हालांकि मामले की जानकारी पता चलते ही ज्वालामुखी मंदिर प्रशासन और नगर परिषद ने गोरख डिब्बी को नोटिस दिया है. वहीं, गोरख डिब्बी प्रबंधन ने नोटिस लेना भी जरूरी नहीं समझा.
ज्वालामुखी मंदिर के पुजारी ने गोरख डिब्बी प्रबंधन पर ज्वालामुखी की भूमि पर अवैध तरीके से कब्जा कर ट्रस्ट को गुमराह करने की बात कही है. पुजारियों का कहना है कि गोरख डिब्बी मंदिर के प्रबंधन मनमानी कर ज्वालामुखी मंदिर की भूमि को अवैध ढंग से हड़पने का काम कर रहे हैं.
पुजारियों का कहना है कि मंदिर के सरकारीकरण का मतलब यही था कि यहां कि सभी व्यवस्थाएं सरकार देखेगी और पुजारी पूजा पाठ की व्यवस्थाएं सही तरीके से चलाएंगे, लेकिन प्रशासन के होने के बावजूद भी गोरख डिब्बी मंदिर के प्रबंधन अपनी मनमानी कर रहे है.
बता दें कि ज्वालामुखी मंदिर प्रबंधन और नगर परिषद की कार्रवाई के बाद स्थानीय विधायक ने उपायुक्त कांगड़ा को इस मामले को देखने की बात कही. वहीं, ज्वालामुखी प्रशासन ने बीते 27 जून को विवादित भूमि की निशानदेही के फरमान जारी किए, लेकिन गोरख डिब्बी प्रबंधन ने यह कहकर राहत मांगी की गोरख डिब्बी के मुख्य संचालक बीमारी के वजह से तय समय में निशानदेही को उपलब्ध नहीं हो सकते, जिसके चलते प्रशासन को निशानदेही टालनी पड़ी थी.
उपायुक्त कांगड़ा राकेश प्रजापति ने कहा कि मामला विधायक रमेश धवाला के माध्यम से उनके संज्ञान में आया है. इस जमीन की निशानदेही के निर्देश कर दिए गए थे. कुछ कारणों से निशानदेही तय समय पर नहीं हो सकी. स्थानीय प्रशासन को इस मामले में शीघ्र रिपोर्ट देने को कहा गया है.
क्या है मामला...
गोरख डिब्बी प्रबंधन ने ज्वालामुखी मंदिर की भूमि पर अवैध निर्माण शुरू कर दिया था. कुछ प्रत्यक्ष दर्शियों ने मंदिर ट्रस्ट व प्रशासन सहित नगर परिषद ज्वालामुखी तक यह बात पहुंचाई. वहीं, मंदिर पुजारी ने भी ज्वालामुखी मंदिरके पीछे गोरख डिब्बी प्रबंधन की ओर से निर्माण कार्य पर रोष प्रकट किया.
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