कांगडा: सरकार नियमों के आधार पर खनन की इजाजत देती है, जिससे विकास कार्यों को भी अमलीजामा पहनाया जाए और प्रकृति से छेड़छाड़ भी ना हो, लेकिन आज के दौर में नियमों को ताक पर रखकर अवैध खनन किया जा रहा है. आज इसी अवैध खनन के चलते सड़कों पर बने पुलों, जलशक्ति विभाग की कई परियोजनाओं के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है.
हिमाचल के कांगड़ा जिले में लंबे समय से अवैध खनन एक समस्या बना हुआ है. कई सरकारें आई और कई चली गई, लेकिन अवैध खनन पर लगाम नहीं लग पाई. स्थानीय लोग कई बार इसके खिलाफ आवाज भी उठा चुके हैं, लेकिन ना सरकार लोगों की आवाज सुनती है और ना प्रशासन. कुछ इमानदार अफसरों ने अगर अवैध खनन पर कार्रवाई करने की कोशिश की भी तो उसका ट्रांसफर रसूखदारों ने करवा दिया.
पंजाब की सीमा से सटे नूरपुर, इंदौरा,ज्वाली विधामसभा क्षेत्रों में आज भी धड़ले से अवैध खनन किया जा रहा है. नूरपुर क्षेत्र की बात करें तो जहां कई चक्की खड्ड में क्रशर लगाए गए हैं जो दिन रात इन खड्डों को सीना छलनी कर रहे हैं. यही चक्की खड्ड जो इसके साथ लगती पंचायतों के लिए कभी जीवनदायिनी थी. इसी चक्की खड्ड के पानी से जहां कभी फसलें लहलहाती थी आज वही चक्की खड्ड अपनी हालत पर आंसू बहा रही है.
जलस्तर गिरने से कई परियोजनाएं प्रभावित
खनन माफियाओं ने भारी मशीनरी से 20 से 25 फीट तक गहरे गड्ढे कर दिए और दिन रात हजारों ट्रक कच्चा माल उठाते हैं. जहां कभी कूहलें चलती थीं आज वो खेत ही खड्ड से 20 फीट ऊंचे पहुंच गए हैं. इसी चक्की खड्ड में जलशक्ति विभाग की कई परियोजनाएं हैं, लेकिन लगातर जलस्तर गिरने से यह परियोजनाएं अब दम तोड़ रही हैं.
नहीं सुनी जा रही शिकायत
खन्नी क्षेत्र की बीडीसी सदस्य संदीपलता,भारतीय किसान संघ के जिला अध्यक्ष होशयार सिंह सहित कई महिला मंडलों और युवा मंडलों ने चक्की खड्ड में हो रहे अवैध खनन को लेकर शासन प्रशासन को कई बार चेताया, लेकिन किसी के भी कान पर कोई जूं नहीं रेंगी. यह अवैध खनन पहले भी जारी था और वर्तमान में भी जारी है.
अवैध खनन की रफ्तार हुई चौगुनी
मुख्यमंत्री हेल्पलाइन में भी शिकायत दर्ज कराने के बाद भी इनकी शिकायत का आज तक निवारण नहीं हो पाया है. इन स्थानीय लोगों की मानें तो जब से कोरोना महामारी का दौर चला है तब से इस खनन माफिया ने अवैध खनन की रफ्तार को भी चौगुना कर दिया है. स्थानीय लोगों ने शासन प्रशासन से एक बार फिर गुहार लगाई है कि इस अवैध कारोबार पर रोक लगाई जाए और इनकी भूमि जो बंजर होने की कगार पर है उसे बचाया जाए.
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