धर्मशाला: प्रदेश में बरसात के दौरान हुई त्रास्दी का हिमालय नीति अभियान और अन्य सामाजिक संगठनों द्वारा अध्ययन किया गया है. वहीं, अध्ययन में सामने आए आपदा के कारणों की जानकारी देते हुए हिमालय नीति अभियान के संयोजक गुमान सिंह ने कहा कि अध्ययन के अनुसार आपदा के कारण मानवजनित हैं, जिस कारण यह आपदा व्यापक तौर पर प्रदेश में फैली और भारी नुकसान हुआ. वहीं, अभियान में शामिल पदाधिकारियों का कहना है कि बरसात में 10 हजार करोड़ से ज्यादा का नुकसान प्रदेश में हुआ है.
दरअसल, अभियान में शामिल पदाधिकारियों का कहना है कि काफी जानें भी इस आपदा में गई हैं, ऐसे में जरूरी है कि भारत सरकार इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित करे और एनडीआरएफ के फंड से प्रदेश को हुए नुकसान की भरपाई की जाए. पदाधिकारियों ने कहा कि जिन लोगों के घर और खेती बरसात में उजड़ी है, इनके लिए प्रदेश सरकार को फॉरेस्ट कंजर्वेशन एक्ट में छूट के लिए आवेदन करना चाहिए.
पदाधिकारियों ने कहा कि बरसात में घर और कृषि भूमि खो चुके लोगों को वन विभाग की भूमि पर घर और कृषि के लिए भूमि अलॉट की जानी चाहिए. अभियान के पदाधिकारियों का कहना है कि आपदा के लिए फोरलेन भी एक कारण बना और हाइडल प्रोजेक्ट का प्रबंधन गलत तरीके से हुआ और डैम सेफ्टी नियमों को सही ढंग से फॉलो नहीं किया गया. यही नहीं सीडब्ल्यूसी के प्रोविजन नहीं माने गए, उनकी अवहेलना हुई, जिसकी वजह से भी बहुत नुकसान हुआ. दो माह के अध्ययन में वैज्ञानिकों और एक्टिविस्ट ने यह आकलन किया है.