नूरपुर: फोरलेन संघर्ष समिति के तमाम पदाधिकारी सरकार के तुगलकी फरमान के विरोध में नूरपुर सचिवालय में एसडीएम नूरपुर को 154 राष्ट्रीय उच्च मार्ग कंडवाल से सियूनी तक के प्रभावित भू अधिग्रहण की दरों की कटौती की घोषणा के संदर्भ में ज्ञापन सौंपा.
समिति के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सुदर्शन शर्मा ने कहा कि प्रभावितों के साथ रोहिंग्या जैसा व्यवहार किया जा रहा है. बड़ी शर्म की बात है कि सरकार द्वारा आधिकारिक सूचना को नकार रहे हैं. तमाम पीड़ितों के साथ सरकारी धोखा करार दिया. हम अपने भविष्य के लिए अब आर पार की लड़ाई लड़ने को तैयार हैं.
धरना प्रदर्शन की रणनीति बनाने के लिए तैयार हैं
प्रशासन द्वारा अधिकृत एनएचआई के नापनपाई के कार्य को प्रभावित रोकने जा रहे है. जब तक पारदर्शिता के आधार पर मुआवजा राशि, भवन निर्माण की राशि का लिखित रूप से 2019 की अधिकृत सूचना के अनुसार भुगतान का पत्र जारी नहीं करते है. हम अपने हक की खातिर सड़कों पर धरना प्रदर्शन की रणनीति बनाने के लिए तैयार हैं.
समिति के महासचिव विजय सिंह हीर ने कहा कि राष्ट्रीय उच्च मार्ग बनने का हम इंकार नही कर रहे हैं. ये मार्ग बनना चाहिए पर 2018 में जो एलओ थे. उन्होंने हमारे जहां के रेट जो थे किसी गांव का सात हजार किसी का आठ हजार और किसी का 6 हजार जो अनुसंशा के लिए जिलाधीश महोदय के पास भेजे थे.
महंगाई के युग में यदि हमें वो रेट मिल जाता है तो हमारा पुनर्वास ठीक ढंग से हो सकता
जिलाधीश महोदय ने थोड़ा कम करके कही सात हजार कहीं पांच हजार और कहीं चार हजार रेट किया था. उनका भी हम फैक्टर दो मांग रहे थे. इस महंगाई के युग में यदि हमें वो रेट मिल जाता है तो हमारा पुनर्वास ठीक ढंग से हो सकता है. हीर ने कहा कि सरकार द्वारा नए रेट हमें मंजूर नहीं है.
इसके लिए हम धरना प्रदर्शन करेंगे. यहां तक कि चक्का जाम भी किया जाएगा. एसडीएम नूरपूर डॉ. सुरेन्द्र ठाकुर ने बताया कि एनएचआई ओथोरटी द्वारा यहां सड़क निर्माण हेतू जमीनें हमारे माध्यम से ली जा रही हैं. इसमें नूरपूर एसडीएम को शमिल किया और हमने नियमों के आधार पर कैलकुलेशन 31 हजार रुपये पर मरला रेट बनाया, उसको मंजूर नहीं किया. इस पर एतराज जताया है.
अब हम जांच करके उच्च अधिकारियों से बात करेंगे व साथ में ही एनएचआई अथॉरिटी से बात करने के बाद निर्णय लेने और पिछले तीन सालों से कितनी रजिस्ट्रियां, किस हाई रेट में हुई है उसको मालूम करेंगे साथ में ही मार्किट रेट भी देखेंगे. तब कोई निर्णय लेंगे, ताकि जिनकी जमीनें हाईवे में आ रही हैं वह लोग संतुष्ट हो सकें.