धर्मशाला: निर्वासित तिब्बती संसद सत्र के तीसरे दिन तिब्बत के भीतर महत्वपूर्ण परिस्थितियों पर आधिकारिक एकजुटता प्रस्ताव पर बहस जारी रखने के साथ सत्र सुबह 9:30 बजे शुरू हुआ. सुबह के सत्र में कुछ अन्य महत्वपूर्ण मुद्दे भी देखने को मिले जिसमें चीन द्वारा युवा तिब्बतियों के ब्रेनवॉश करने की कोशिश, युवा तिब्बतियों को शिक्षा के नाम पर चीन में भेज देना अनिश्चित आजीविका और अपर्याप्त जीवन कौशल के बिना तिब्बती पारंपरिक खानाबदोशों का पुनर्वास आदि प्रमुख रूप से रहे.
इको-फ्रेंडली बांध बनाने के दावे का किया विरोध
26 सांसदों ने बीजिंग शीतकालीन ओलंपिक को बायकॉट करने की बात भी कही गई. तिब्बत में पर्यावरण के मुद्दों पर चर्चा करते हुए सांसदों ने चीन के तिब्बत में यरलुंग त्सांगपो में एक तथाकथित इको-फ्रेंडली बांध बनाने के दावे का विरोध किया, जिसे मेटोक कहा जाता है. इसी तरह, निर्वासित तिब्बतियों की युवा पीढ़ी के बीच देशभक्ति की कमी और उन्हें शिक्षित करने की आवश्यकता, धार्मिक गतिविधियों और समारोहों पर प्रतिबंध आदि जैसे अन्य मामलों पर चर्चा की गई.
तिब्बत नीति संस्थान के काम की सराहना
कुछ सांसदों ने भारत और अन्य देशों के राष्ट्रीय टेलीविजन पर तिब्बत मुद्दे के व्यापक प्रसारण की भी सराहना की जिन्होंने व्यापक जागरूकता फैलाने में तिब्बत की मदद की है. कई सांसदों ने शोध और रिपोर्टों में तिब्बत नीति संस्थान के काम की सराहना की, जबकि उनमें से कुछ ने तिब्बती कानून स्नातकों, तिब्बती महिला डॉक्टरेट और अन्य तिब्बती विद्वानों को अवसर प्रदान करने के लिए तिब्बत नीति संस्थान को अपने सुझाव दिया. केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के तहत विभिन्न विभागों और कार्यालयों के 2021-2022 बजट पर चर्चा कल के सत्र में जारी रहेगा.
पढ़ें: दूसरी बार मंडी से सांसद बने थे रामस्वरूप शर्मा, ऐसा रहा राजनीतिक सफर