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सूखने की कगार पर आस्था की प्रतीक डल झील, हर साल हो रहा रिसाव चिंताजनक

धौलाधार की पहाड़ियों के नीचे बसा नड्डी गांव अपनी खूबसूरती के लिया जाना जाता है. वहीं, इस गांव के पास देवदारों के वृक्षों के बीच स्थित डल झील इसकी सुंदरता को चार चांद लगाती है, लेकिन पिछले कई सालों से इस झील के पानी का रिसाव हो रहा है और यह झील निंरतर सूखती जा रही है. डल झील को आस्था का प्रतीक भी माना जाता है. कहा जाता है की जो लोग मणिमहेश नहीं जा सकते वे डल लेक में स्नान कर सकते हैं और अपनी मन्नत को मांग सकते हैं.

Etv bharat special report on dal lake of dharamshala
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Published : Oct 1, 2020, 7:37 PM IST

धर्मशाला: धौलाधार की पहाड़ियों के नीचे बसा नड्डी गांव अपनी खूबसूरती के लिया जाना जाता है. वहीं, इस गांव के पास देवदारों के वृक्षों के बीच स्थित डल लेक इसकी सुंदरता को चार चांद लगाती है, लेकिन डल लेक की सुंदरता को नजर सी लग रही चुकी है.

पिछले कई सालों से इस लेक के पानी का रिसाव हो रहा है और यह झील निंरतर सूखती जा रही है. डल झील को आस्था का प्रतीक भी माना जाता है. कहा जाता है की जो लोग मणिमहेश नहीं जा सकते वे डल लेक में स्नान कर सकते हैं और अपनी मन्नत को मांग सकते हैं.

वीडियो.

हर साल शिवरात्रि के दौरान यहां पर शाही स्नान का आयोजन किया जाता है. डल लेक की धार्मिक मान्यता भी है. अगर डल लेक सूख जाती है और इसका बचाव नहीं किया जा सका तो स्थानीय लोगों को भी दिक्कत हो जाएगी, क्योंकि पर्यटन जो है वो बिलकुल कम हो जायेगा.

वहीं, नड्डी के स्थानीय निवासी करनैल सिंह का कहना है कि डल लेक का ऐतिहासिक महत्व है. उन्होंने कहा कि इस डल लेक को छोटा मणिमहेश कहा जाता था, क्योंकि पहले जो लोग मणिमहेश नहीं जा पाते थे वो डल लेक नड्डी में आकर स्नान करते थे.

उन्होंने कहा कि सन 2008 में इसके सौंदर्यीकरण का कार्य शुरू हुआ था, लेकिन वो कार्य आगे बढ़ सका. वहीं अब इसे दोबारा शुरू किया गया है वो भी काफी धीमा है. स्थानीय निवासी करनैल सिंह का कहना है कि हमारी मांग यही की जब तक इसका कार्य चल रहा है तब तक झील में मौजूद मछलियों को निकालकर किसी बेहतर स्थान में शिफ्ट किया जाए.

वहीं, राजेश कुमार कहते है कि जब से इस लेक का कार्य शुरू किया गया है तब से इस लेक का यही हाल है. पहले जब यह नेचुरल लेक थी तब यह ठीक थी. उन्होंने कहा कि झील से जो ये लीकेज हो रही है इसे ठीक नहीं किया जा रहा जिससे हर साल सैंकड़ों मछलियां मर रही हैं. उन्होंने कहा कि इस स्थान को छोटा मणिमहेश कहा जाता है, लेकिन इसके हालात ठीक नहीं हैं. उन्होंने कहा कि 2008 से इसका कार्य चल रहा है और तभी से इसके यह हाल है.

वहीं, संदीप गुरंग कहते हैं कि मछलियों की हालत काफी खराब है. उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा जो सौंदर्यीकरण का किया जा रहा कार्य काफी धीमा है. हम चाहते हैं कि इस कार्य में तेजी लाई जाए.

वहीं, राजेश राणा ठेकेदार कहते हैं कि एसडीएम धर्मशाला दोबारा निर्देश मिले हैं कि उस जगह को ट्रेस किया जाए जहां पर पानी की लीकेज हो रही है. उन्होंने कहा कि जहां से झील लीक हो रही है उस जगह को ट्रेस कर लिया है और बाकी कार्य शुरू कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि मछलियों को ध्यान में रख कर कार्य किया जाएगा और झील को दो फॉन्ट में बांटा दिया जाएगा. जिसमें एक में मछलियों को रखा जाएगा.

वहीं, जिला पर्यटन अधिकारी सुनैना शर्मा ने कहा कि जानकारी मिली है कि डल लेक का पानी लीक हो रहा है. उन्होंने कहा कि विभाग द्वारा जो सौंदर्यीकरण का कार्य किया जा रहा है उसके बाद लीकेज के लिए टेक्निकल टीम का सर्वे करवाया जाएगा और उसके बाद ही उसको ठीक किया जाएगा.

धर्मशाला: धौलाधार की पहाड़ियों के नीचे बसा नड्डी गांव अपनी खूबसूरती के लिया जाना जाता है. वहीं, इस गांव के पास देवदारों के वृक्षों के बीच स्थित डल लेक इसकी सुंदरता को चार चांद लगाती है, लेकिन डल लेक की सुंदरता को नजर सी लग रही चुकी है.

पिछले कई सालों से इस लेक के पानी का रिसाव हो रहा है और यह झील निंरतर सूखती जा रही है. डल झील को आस्था का प्रतीक भी माना जाता है. कहा जाता है की जो लोग मणिमहेश नहीं जा सकते वे डल लेक में स्नान कर सकते हैं और अपनी मन्नत को मांग सकते हैं.

वीडियो.

हर साल शिवरात्रि के दौरान यहां पर शाही स्नान का आयोजन किया जाता है. डल लेक की धार्मिक मान्यता भी है. अगर डल लेक सूख जाती है और इसका बचाव नहीं किया जा सका तो स्थानीय लोगों को भी दिक्कत हो जाएगी, क्योंकि पर्यटन जो है वो बिलकुल कम हो जायेगा.

वहीं, नड्डी के स्थानीय निवासी करनैल सिंह का कहना है कि डल लेक का ऐतिहासिक महत्व है. उन्होंने कहा कि इस डल लेक को छोटा मणिमहेश कहा जाता था, क्योंकि पहले जो लोग मणिमहेश नहीं जा पाते थे वो डल लेक नड्डी में आकर स्नान करते थे.

उन्होंने कहा कि सन 2008 में इसके सौंदर्यीकरण का कार्य शुरू हुआ था, लेकिन वो कार्य आगे बढ़ सका. वहीं अब इसे दोबारा शुरू किया गया है वो भी काफी धीमा है. स्थानीय निवासी करनैल सिंह का कहना है कि हमारी मांग यही की जब तक इसका कार्य चल रहा है तब तक झील में मौजूद मछलियों को निकालकर किसी बेहतर स्थान में शिफ्ट किया जाए.

वहीं, राजेश कुमार कहते है कि जब से इस लेक का कार्य शुरू किया गया है तब से इस लेक का यही हाल है. पहले जब यह नेचुरल लेक थी तब यह ठीक थी. उन्होंने कहा कि झील से जो ये लीकेज हो रही है इसे ठीक नहीं किया जा रहा जिससे हर साल सैंकड़ों मछलियां मर रही हैं. उन्होंने कहा कि इस स्थान को छोटा मणिमहेश कहा जाता है, लेकिन इसके हालात ठीक नहीं हैं. उन्होंने कहा कि 2008 से इसका कार्य चल रहा है और तभी से इसके यह हाल है.

वहीं, संदीप गुरंग कहते हैं कि मछलियों की हालत काफी खराब है. उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा जो सौंदर्यीकरण का किया जा रहा कार्य काफी धीमा है. हम चाहते हैं कि इस कार्य में तेजी लाई जाए.

वहीं, राजेश राणा ठेकेदार कहते हैं कि एसडीएम धर्मशाला दोबारा निर्देश मिले हैं कि उस जगह को ट्रेस किया जाए जहां पर पानी की लीकेज हो रही है. उन्होंने कहा कि जहां से झील लीक हो रही है उस जगह को ट्रेस कर लिया है और बाकी कार्य शुरू कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि मछलियों को ध्यान में रख कर कार्य किया जाएगा और झील को दो फॉन्ट में बांटा दिया जाएगा. जिसमें एक में मछलियों को रखा जाएगा.

वहीं, जिला पर्यटन अधिकारी सुनैना शर्मा ने कहा कि जानकारी मिली है कि डल लेक का पानी लीक हो रहा है. उन्होंने कहा कि विभाग द्वारा जो सौंदर्यीकरण का कार्य किया जा रहा है उसके बाद लीकेज के लिए टेक्निकल टीम का सर्वे करवाया जाएगा और उसके बाद ही उसको ठीक किया जाएगा.

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