धर्मशाला/कांगड़ा: हिमाचल प्रदेश में बाढ़ और भूस्खलन से लोगों की मुसीबतें कम नहीं हो रही हैं. दरअसल, कांगड़ा जिले के ज्वाली के कोटला के साथ लगती पहाड़ी अचानक दरकने से लोगों में अफरा-तफरी मच गई. एकाएक घरों में मलबा घुस गया. जिसके बाद लोग घरों को छोड़कर सुरक्षित स्थानों की तरफ भागने लगे. बताया जा रहा है कि कुछ लोगों ने तो घरों का सामान पिकअप में भरकर अपने रिश्तेदारों के घर ले गए. वहीं, कुछ लोग घरों को खुला छोड़कर ही भाग गए. दरअसल, पंचायत में करीब सैकड़ों की संख्या में घर हैं, जिनमें रहने वाले लोग अपनी-अपनी जान को बचाने के लिए कोटला बाजार में आकर खड़े हो गए. हालांकि विधानसभा ज्वाली के नियांगल में पहाड़ी दरकने से मकानों के जमींदोज होने का सिलसिला थमा भी नहीं था कि अब कोटला में पहाड़ी दरकने से लोगों के मकानों पर खतरे के बादल मंडराने शुरू हो गए हैं.
नालों में तबदील हुई सड़कें: पहाड़ों का मकानों में आ जाने से भारी नुकसान हुआ है. इन घरों में रह रहे लोगों को बाहर निकाल कर अपनी जान बचानी पड़ी. पहाड़ों का मलबा सड़कों पर आने से रास्ते नालों में तबदील हो गए, जिससे लोगों की परेशानियां ओर बढ़ गई. घरों में रह रहे लोगों ने बताया कि अचानकतेज बारिश शुरू हुई और देखते ही देखते घरों के ऊपर की पहाड़ी से मलबा गिरने लगा जो उनके घरों में घुस गया. घरों में मिट्टी, पत्थर और पानी आने से घरों के भीतर रखा सामान खराब हो गया, जिससे लोगों को आर्थिक तौर पर भी भारी नुकसान हुआ है.
पहाड़ी दरकने से अचानक बढ़ा जलस्तर: कोटला पंचायत के उप प्रधान मंगल सिंह ने बताया कि पहाड़ी दरकने से अचानक पानी का जलस्तर बढ़ गया और पहाड़ी का मलबा लोगों के घरों में घुस गया. जिससे लोगों के घरों को भारी नुकसान पहुंचा है और लोग बेघर हो चुके हैं. उन्होंने बताया कि लोगों को सामुदायिक भवन और पंचायत भवन के कमरों में ठहराया गया है और लोगों ने एक दूसरे की मदद से राहत कार्य शुरू कर दिए हैं. मंगल सिंह ने कहा कि फिलहाल चार से पांच घरों को खाली करवा लिया गया है और कुछ घर तो पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुके हैं. उन्होंने कहा कि विभिन्न संस्थाएं राहत कार्य में जुटी रही. वहीं, घटना की सूचना मिलने पर प्रशासन की ओर से भी मौके पर पहुंच कर राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिए गए हैं.
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