धर्मशाला: पंचायती राज संस्थाओं के भावी चुनावों को लेकर जिला प्रशासन कमर कस चुका है. इस बार जिला प्रशासन के समक्ष जिले की दो नगर पंचायतों और दो निगमों में सफल चुनाव करवाना भी बड़ी चुनौती रहेगा. दरअसल कांगड़ा में इस बार दो नगर पंचायतें और एक नई नगर निगम का गठन हुआ है. जिसमें से शाहपुर और ज्वाली को नगर पंचायत बनाया गया है जबकि पालमपुर को नगर निगम का दर्जा दिया गया है. इसके साथ ही जिले में सौ नई पंचायतों का भी गठन हुआ है.
इन सबको मद्देनजर रखते हुए जिला प्रशासन इस वक्त इन नए आयामों को संगठित करने के लिए सीमांकन का कार्य कर रहा है. सीमांकन का कार्य करना ही जिला प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती है इसलिये क्योंकि इन नई बनी पंचायतों, नगर पंचायतों और निगम में बहुत से इलाके ऐसे हैं, जो इनका विरोध भी कर रहे हैं और वो इन अदायरों में नहीं आना चाहते बावजूद इसके अब इनके सीमांकन का कार्य जोरों-शोरों से चल रहा है.
वहीं, यह जगजाहिर है कि बीते कई दशकों से पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव हर पांच साल बाद दिसंबर माह में ही होते आए हैं. मगर अबकी बार लंबे अरसे के बाद ऐसा होता हुआ प्रतीत नहीं हो रहा है. इसलिए भी क्योंकि कोरोना वाइरस की वजह से जहां कई सरकारी संस्थानों की कार्यप्रणाली गड़बड़ा चुकी है, तो वहीं उसके तहत होने वाले कामकाज भी गहरा असर पड़ा है.
इन सब परिस्थितियों को मद्देनजर रखते हुए अब सरकारी तंत्र चुनावों को तय वक्त में करवाने के लिए रात-दिन मेहनत तो कर रहा है, बावजूद इसके चुनाव दिसंबर माह में ही करवाए जा सकें ऐसा सफल होता प्रतीत नहीं हो रहा.
हालांकि डीसी कांगड़ा राकेश प्रजापति मानते हैं कि जल्द ही पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव होंगे. मगर दूसरी ओर वो यह भी कह रहे हैं कि वो नए अदायरों को दुरुस्त करने का काम कर रहे हैं और चुनाव कब करवाए जाएंगे. ये राज्य निर्वाचन आयोग पर उत्तरदायी है, वो जैसा फैसला लेगा जिला प्रशासन उसके मुताबिक अपनी मुस्तैदी दिखाएगा.
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