धर्मशाला: हिमाचल प्रदेश के जिला कांगड़ा में सूरजपुर स्थित ट्यूलिप फॉर्मूलेशन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बिना किसी अनुमति के रेमडेसिविर इंजेक्शन बना रही थी. रेमडेसिविर की इस कालाबाजारी के मामले का खुलासा मध्य प्रदेश की इंदौर क्राइम ब्रांच की टीम ने किया था. इंदौर क्राइम ब्रांच ने इस मामले में एक शख्स को भी हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है.
पुलिस सूत्रों के मुताबिक,आरोपी के पास से नकली रेमडेसिविर के 16 बॉक्स मिले हैं. इसमें एक बॉक्स में 25 के करीब इंजेक्शन थे. आरोपी शख्स पेशे से डॉक्टर है और मध्य प्रदेश के इंदौर से ताल्लुक रखता है. आरोपी ने लॉकडाउन के बाद ट्यूलिप फॉर्म्युलेशन कम्पनी में प्रोडक्शन शुरू कर दी थी.
इंजेक्शन की प्रोडक्शन की नहीं मिली थी अनुमति
इसी बीच साल 2020 के दिसम्बर माह में यहां रेमडेसिविर इंजेक्शन बनाने के लिये धर्मशाला स्थित असिस्टेंट ड्रग कंट्रोलर और लाइसेंस अथॉरिटी आशीष रैना के पास आकर अनुमति भी मांगी गई थी. इसके लिये आरोपी शख्स ने कम्पनी के मैनेजर पिंटू कुमार कुमार को उनके पास भेजा था, लेकिन उन्हें इंजेक्शन की प्रोडक्शन करने की अनुमति नहीं मिली.
ट्यूलिप फॉर्मूलेशन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी पिछले साल लॉकडाउन लगने के बाद से बंद थी. अगस्त 2020 को इंदौर के रहने वाले आरोपी ने ही कंपनी में फिर से उत्पादन शुरू करवाया था और स्टाफ को हर महीने सैलरी भी वही दे रहा था. कंपनी में वर्तमान में सात कर्मचारी काम कर रहे हैं. इनमें दो सिक्योरिटी गार्ड भी शामिल हैं. इस पूरे मसले को लेकर असिस्टेंट ड्रग कंट्रोलर धर्मशाला आशीष रैना से बात करनी चाही , तो उनके धर्मशाला स्थित कार्यालय में ताला लटका मिला, जबकि उनका मोबाइल फोन लगातार स्विच ऑफ आ रहा था.
इंजेक्शन बनाने के लिए नहीं था विशेषज्ञ
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक असिस्टेंट ड्रग कंट्रोलर धर्मशाला आशीष रैना अपने सहयोगी इंस्पेक्टर प्यार चंद के साथ आज कंपनी के प्लांट पर पहुंचे हुए थे. वहां उन्होंने गहनता से छानबीन करने पर पाया कि सूरजपुर स्थित ट्यूलिप फॉर्मूलेशन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को रेमडेसिविर इंजेक्शन बनाने की अनुमति तो है, लेकिन इन्हें बनाते वक्त किसी विशेषज्ञ का होना जरूरी है, लेकिन यह इंजेक्शन बिना विशेषज्ञ की उपस्थिति में ही बना दिये गए. उन्होंने नूरपुर के ड्रग इंस्पेक्टर प्यार चंद को मामले की जांच करने के आदेश दिए थे. अब मामले की जांच पूरी होने तक फैक्ट्री में कामकाज पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. साथ ही किसी भी कर्मचारी को अंदर आने की अनुमति नहीं है.
अलर्ट पर विभाग
इस मामले में कांगड़ा के डीसी राकेश प्रजापति ने कहा कि इंदौरा उपमंडल में इस तरह का वाकया सामने आया है. सम्बन्धित अधिकारियों और पुलिस विभाग को इस बाबत अलर्ट कर दिया है. उन्होंने कहा कि जैसे ही उनके पास पूरे मामले की जानकारी मिलेगी, वे उसे जरूर सार्वजनिक करेंगे.
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