धर्मशाला: मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय आपदा मोचन निधि से जारी की गई राशि का ब्यौरा दिया. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में इस मानसून सीजन के दौरान भारी बारिश, बादल फटने और बाढ़ की अनेक घटनाएं हुई, जिसके कारण जान और माल को भारी क्षति पहुंची. इस आपदा से 500 से अधिक लोगों की जान चली गई, जिसकी भरपाई कर पाना असंभव है. प्रदेश सरकार द्वारा 9,905 करोड़ का घाटे का ज्ञापन (Memorandum of Losses) 23.09.2023 भारत सरकार को भेजा गया. भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय आपदा मोचन निधि से अंतरिम राहत के रूप में 200 करोड़ रुपये की राशि दिनांक 16.09.2023 को जारी की गई.
भारत सरकार द्वारा 11 जुलाई 2023 को अधिसूचित राहत नियमावली के प्रावधानों के अनुसार 9,905 करोड़ के घाटे का ज्ञापन के आधार पर यदि न्यूनतम दरों के आधार पर यदि भी राष्ट्रीय आपदा मोचन निधि से राहत राशि प्रदेश को प्रदान की जाती तो भी, कम से कम 1,658 करोड़ की राशि प्रदेश को स्वीकृत की जानी थी, लेकिन भारत सरकार द्वारा केवल 633.73 करोड़ रुपये की राशि 19.12.2023 को स्वीकृत की गई है. इस राशि में से भी 200 करोड़ रुपये पहले ही अंतरिम राहत के रूप में प्राप्त हो चुके हैं, जो कि सभी जिलों व संबंधित विभागों को राहत एवं बचाव कार्यों हेतु जारी कर दिये गए हैं. केंद्र सरकार द्वारा 19.12.2023 को प्रदेश को कुल 397.98 करोड़ की राशि जारी की गई है, जो प्रदेश में आपदा से हुई तबाही की क्षतिपूर्ति के लिए पर्याप्त नहीं है. यह राशि प्रदेश में हुए नुकसान का केवल 6.40 प्रतिशत है.
इसके अतिरिक्त प्रदेश सरकार द्वारा राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सहयोग से प्रदेश में आपदा के बाद मूल्यांकन की आवश्यकता (Post Disaster Needs Assessment) का आकलन करवाया गया है, जो 9,020 करोड़ रुपये आया है. इसकी रिपोर्ट 25.11.2023 को भारत सरकार को भेजी गई है और इसकी स्वीकृति भारत सरकार से अपेक्षित है. प्रदेश में हुई अप्रत्याशित तबाही के मद्देनजर राज्य सरकार को भारत सरकार से उदार आर्थिक सहायता की उम्मीद थी. इस बाबत प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार से 2000 हजार करोड़ की आर्थिक सहायता की उम्मीद थी और प्रदेश विधानसभा ने भी एक प्रस्ताव पारित कर हिमाचल प्रदेश में हुई आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने बारे अनुरोध भेजा था, लेकिन भारत सरकार ने NDRF से भी प्रदेश को मापदंडों के अनुसार भी राहत राशि स्वीकृत नहीं की है, जिससे प्रदेश को क्षति की हानीपूर्ती में समस्या पैदा होगी.
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