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धर्मशाला में कृषि कानून के विरोध में सीटू का प्रदर्शन, केंद्र सरकार से की ये मांग - Effect on bharat bandh in dharamshala

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के आह्वान पर धर्मशाला में किसान सभा व सीटू के कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को भारत बंद के समर्थन में विरोध प्रदर्शन किया. सीटू नेताओं का कहना है कि इन कानूनों के चलते किसानों का जमीन से रिश्ता टूट जाएगा ओर देश की 90 प्रतिशत आबादी जो सरकारी डिपुओं पर निर्भर है. वह भूखे मरने के कगार पर पहुंच जाएगी.

CITU Protest.
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Published : Dec 8, 2020, 6:57 PM IST

धर्मशाला: देशभर में जहां किसानों के आंदोलन के समर्थन में भारत बंद का आह्वान किया गया वहीं धर्मशाला में भी भतर बंद का असर दिखाई दिया. अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के आह्वान पर धर्मशाला में किसान सभा व सीटू के कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को भारत बंद के समर्थन में विरोध प्रदर्शन किया. विरोध प्रदर्शन कर रहे मजदूर किसानों ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा थोपे तीनों कानूनों को केंद्र सरकार तत्काल प्रभाव से रद्द करे यह कानून किसानों के भविष्य के लिए मौत का कारण बनेंगे.

कृषि काननू के खिलाफ प्रदर्शन

सीटू नेताओं ने कहा कि इन कानूनों के जरिए मोदी सरकार अडानी, अंबानी के लिए कृषि क्षेत्र को सौंपना चाहती है ओर कृषि क्षेत्र में कृषि उत्पादन व मंडियों का निजीकरण करके न्यूनतम समर्थन मूल्य की शर्त को खत्म किया गया है जिससे अब कॉरपोरेट अपनी मर्जी से किसानों से उत्पाद खरीदेंगे ओर भविष्य में कॉरपोरेट खेती की तरफ देश को धकेला जाएगा.

'किसानों की बढ़ेगी परेशानी'

सीटू नेताओं का कहना है कि इन कानूनों के चलते किसानों का जमीन से रिश्ता टूट जाएगा ओर देश की 90 प्रतिशत आबादी जो सरकारी डिपुओं पर निर्भर है. वह भूखे मरने के कगार पर पहुंच जाएगी.

ये भी पढ़ें: किसान आंदोलन के समर्थन में शिमला में कांग्रेस का हल्ला बोल, राठौर ने केंद्र पर बोला हमला

धर्मशाला: देशभर में जहां किसानों के आंदोलन के समर्थन में भारत बंद का आह्वान किया गया वहीं धर्मशाला में भी भतर बंद का असर दिखाई दिया. अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के आह्वान पर धर्मशाला में किसान सभा व सीटू के कार्यकर्ताओं ने मंगलवार को भारत बंद के समर्थन में विरोध प्रदर्शन किया. विरोध प्रदर्शन कर रहे मजदूर किसानों ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा थोपे तीनों कानूनों को केंद्र सरकार तत्काल प्रभाव से रद्द करे यह कानून किसानों के भविष्य के लिए मौत का कारण बनेंगे.

कृषि काननू के खिलाफ प्रदर्शन

सीटू नेताओं ने कहा कि इन कानूनों के जरिए मोदी सरकार अडानी, अंबानी के लिए कृषि क्षेत्र को सौंपना चाहती है ओर कृषि क्षेत्र में कृषि उत्पादन व मंडियों का निजीकरण करके न्यूनतम समर्थन मूल्य की शर्त को खत्म किया गया है जिससे अब कॉरपोरेट अपनी मर्जी से किसानों से उत्पाद खरीदेंगे ओर भविष्य में कॉरपोरेट खेती की तरफ देश को धकेला जाएगा.

'किसानों की बढ़ेगी परेशानी'

सीटू नेताओं का कहना है कि इन कानूनों के चलते किसानों का जमीन से रिश्ता टूट जाएगा ओर देश की 90 प्रतिशत आबादी जो सरकारी डिपुओं पर निर्भर है. वह भूखे मरने के कगार पर पहुंच जाएगी.

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