धर्मशाला: सेंट्रल यूनिवर्सिटी हिमाचल प्रदेश के वाइस चांसलर डॉ. कुलदीप चंद अग्रिहोत्री ने शनिवार को धर्मशाला कॉलेज के ऑडिटोरियम में आयोजित भाषण प्रतियोगिता में बतौर मुख्यातिथि शिरकत की. कार्यक्रम का आयोजन एबीवीपी और विवेकानंद संस्थान द्वारा संयुक्त रूप से किया गया था.
इस दौरान उन्होंने कहा कि नागरिकता संशोधन बिल को लेकर विश्वविद्यालयों में जो माहौल बन रहा है, उसमें छात्र कितने हैं, पहले इसका पता किया जाना चाहिए. यह जो विरोध हो रहा है, वो सोची-समझी साजिश के तहत हो रहा है. उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि कुछ विदेशी शक्तियां भारत को तरक्की करते हुए नहीं देखना चाहती.
डॉ. कुलदीप चंद अग्रिहोत्री ने कहा कि स्वामी विवेकानंद को आधुनिक संदर्भ में शायद राष्ट्रीय नायक मानना चाहिए. उन्होंने कहा कि जिस समय भारत संक्रमण काल से गुजर रहा था और भारत के ज्ञान-विज्ञान और अस्मिता पर प्रश्नचिन्ह लगा हुआ था, तो स्वामी विवेकानंद पहले महापुरुष थे, जिन्होंने जहां से यह प्रश्नचिन्ह लगने शुरू हुए थे यानी अमेरिका में जाकर इसका उत्तर दिया था.
वर्तमान में उन उत्तरों को जानने की देश की युवा पीढ़ी को बहुत जरूरत है. स्वामी विवेकानंद पर करवाई जा रही प्रतियोगिता के माध्यम से मुझे लगता है कि युवा पीढ़ी स्वामी विवेकानंद पर दोबारा अध्ययन कर रही है.
वाइस चांसलर डॉ. कुलदीप चंद अग्रिहोत्री ने कहा कि आज जो नागरिकता विधेयक को लेकर विवाद चल रहा है, उसको स्वामी विवेकानंद के विचारों को जानना अति आवश्यक है. विवेकानंद कहते थे कि हिंदू समाज की रीढ़ की हड्डी दलित समाज ही है. इतने लंबे समय से पाकिस्तान में रहने के बावजूद हिंदू समाज ने अपनी विरासत नहीं छोड़ी है. आज वो वर्ग संकट में है और भारत सरकार उन्हें संकट से निकालने का प्रयास कर रही है.
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