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CAA पर सेंट्रल यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर का बयान, कहा- साजिश के तहत किया जा रहा विरोध - धर्मशाला न्यूज

डॉ. कुलदीप चंद अग्रिहोत्री ने कहा कि नागरिकता संशोधन बिल को लेकर विश्वविद्यालयों में जो माहौल बन रहा है, उसमें छात्र कितने हैं, पहले इसका पता किया जाना चाहिए. यह जो विरोध हो रहा है, वो सोची-समझी साजिश के तहत हो रहा है.

CU VC statement on CAA
सीयू वीसी का सीएए पर बयान
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Published : Dec 21, 2019, 7:52 PM IST

धर्मशाला: सेंट्रल यूनिवर्सिटी हिमाचल प्रदेश के वाइस चांसलर डॉ. कुलदीप चंद अग्रिहोत्री ने शनिवार को धर्मशाला कॉलेज के ऑडिटोरियम में आयोजित भाषण प्रतियोगिता में बतौर मुख्यातिथि शिरकत की. कार्यक्रम का आयोजन एबीवीपी और विवेकानंद संस्थान द्वारा संयुक्त रूप से किया गया था.

इस दौरान उन्होंने कहा कि नागरिकता संशोधन बिल को लेकर विश्वविद्यालयों में जो माहौल बन रहा है, उसमें छात्र कितने हैं, पहले इसका पता किया जाना चाहिए. यह जो विरोध हो रहा है, वो सोची-समझी साजिश के तहत हो रहा है. उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि कुछ विदेशी शक्तियां भारत को तरक्की करते हुए नहीं देखना चाहती.

डॉ. कुलदीप चंद अग्रिहोत्री ने कहा कि स्वामी विवेकानंद को आधुनिक संदर्भ में शायद राष्ट्रीय नायक मानना चाहिए. उन्होंने कहा कि जिस समय भारत संक्रमण काल से गुजर रहा था और भारत के ज्ञान-विज्ञान और अस्मिता पर प्रश्नचिन्ह लगा हुआ था, तो स्वामी विवेकानंद पहले महापुरुष थे, जिन्होंने जहां से यह प्रश्नचिन्ह लगने शुरू हुए थे यानी अमेरिका में जाकर इसका उत्तर दिया था.

वर्तमान में उन उत्तरों को जानने की देश की युवा पीढ़ी को बहुत जरूरत है. स्वामी विवेकानंद पर करवाई जा रही प्रतियोगिता के माध्यम से मुझे लगता है कि युवा पीढ़ी स्वामी विवेकानंद पर दोबारा अध्ययन कर रही है.

वाइस चांसलर डॉ. कुलदीप चंद अग्रिहोत्री ने कहा कि आज जो नागरिकता विधेयक को लेकर विवाद चल रहा है, उसको स्वामी विवेकानंद के विचारों को जानना अति आवश्यक है. विवेकानंद कहते थे कि हिंदू समाज की रीढ़ की हड्डी दलित समाज ही है. इतने लंबे समय से पाकिस्तान में रहने के बावजूद हिंदू समाज ने अपनी विरासत नहीं छोड़ी है. आज वो वर्ग संकट में है और भारत सरकार उन्हें संकट से निकालने का प्रयास कर रही है.

वीडियो रिपोर्ट

ये भी पढ़ें: न्यू पेंशन स्कीम के विरोध में सड़क पर उतरे शिक्षक, सरकार के खिलाफ नारेबाजी

धर्मशाला: सेंट्रल यूनिवर्सिटी हिमाचल प्रदेश के वाइस चांसलर डॉ. कुलदीप चंद अग्रिहोत्री ने शनिवार को धर्मशाला कॉलेज के ऑडिटोरियम में आयोजित भाषण प्रतियोगिता में बतौर मुख्यातिथि शिरकत की. कार्यक्रम का आयोजन एबीवीपी और विवेकानंद संस्थान द्वारा संयुक्त रूप से किया गया था.

इस दौरान उन्होंने कहा कि नागरिकता संशोधन बिल को लेकर विश्वविद्यालयों में जो माहौल बन रहा है, उसमें छात्र कितने हैं, पहले इसका पता किया जाना चाहिए. यह जो विरोध हो रहा है, वो सोची-समझी साजिश के तहत हो रहा है. उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि कुछ विदेशी शक्तियां भारत को तरक्की करते हुए नहीं देखना चाहती.

डॉ. कुलदीप चंद अग्रिहोत्री ने कहा कि स्वामी विवेकानंद को आधुनिक संदर्भ में शायद राष्ट्रीय नायक मानना चाहिए. उन्होंने कहा कि जिस समय भारत संक्रमण काल से गुजर रहा था और भारत के ज्ञान-विज्ञान और अस्मिता पर प्रश्नचिन्ह लगा हुआ था, तो स्वामी विवेकानंद पहले महापुरुष थे, जिन्होंने जहां से यह प्रश्नचिन्ह लगने शुरू हुए थे यानी अमेरिका में जाकर इसका उत्तर दिया था.

वर्तमान में उन उत्तरों को जानने की देश की युवा पीढ़ी को बहुत जरूरत है. स्वामी विवेकानंद पर करवाई जा रही प्रतियोगिता के माध्यम से मुझे लगता है कि युवा पीढ़ी स्वामी विवेकानंद पर दोबारा अध्ययन कर रही है.

वाइस चांसलर डॉ. कुलदीप चंद अग्रिहोत्री ने कहा कि आज जो नागरिकता विधेयक को लेकर विवाद चल रहा है, उसको स्वामी विवेकानंद के विचारों को जानना अति आवश्यक है. विवेकानंद कहते थे कि हिंदू समाज की रीढ़ की हड्डी दलित समाज ही है. इतने लंबे समय से पाकिस्तान में रहने के बावजूद हिंदू समाज ने अपनी विरासत नहीं छोड़ी है. आज वो वर्ग संकट में है और भारत सरकार उन्हें संकट से निकालने का प्रयास कर रही है.

वीडियो रिपोर्ट

ये भी पढ़ें: न्यू पेंशन स्कीम के विरोध में सड़क पर उतरे शिक्षक, सरकार के खिलाफ नारेबाजी

Intro:धर्मशाला- नागरिकता संशोधन बिल को लेकर विश्वविद्यालयों में जो माहौल बन रहा है, उसमें छात्र कितने हैं, पहले इसका पता किया जाना चाहिए। यह जो विरोध हो रहा है, वो सोची-समझाी साजिश के तहत हो रहा है। विरोध करने वालों में बाहर से आए लोग कितने हैं और छात्र कितने हैं। मेरा मानना है कि कुछ विदेशी शक्तियां भारत को तरक्की करते हुए नहीं देखना चाहती। यह बात सेंट्रल यूनिवर्सिटी हिमाचल प्रदेश के वाइस चांसलर डा. कुलदीप चंद अग्रिहोत्री ने एबीवीपी और विवेकानंद संस्थान द्वारा संयुक्त रूप से धर्मशाला कालेज के ऑडिटोरियम में आयोजित भाषण प्रतियोगिता में बतौर मुख्यातिथि शिरकत करते हुए कही।


Body: स्वामी विवेकानंद को आधुनिक संदर्भ में शायद राष्ट्रीय नायक मानना चाहिए। जिस समय भारत संक्रमण काल से गुजर रहा था और भारत के ज्ञान-विज्ञान और अस्मिता पर प्रश्नचिन्ह लगा हुआ था तो स्वामी विवेकानंद पहले महापुरुष थे, जिन्होंने जहां से यह प्रश्नचिन्ह लगने शुरू हुए थे यानी अमेरिका में जाकर इसका उत्तर दिया था। वर्तमान में उन उत्तरों को जानने की देश की युवा पीढ़ी को बहुत जरूरत है। स्वामी विवेकानंद पर करवाई जा रही प्रतियोगिता के माध्यम से मुझे लगता है कि युवा पीढ़ी स्वामी विवेकानंद पर दोबारा अध्ययन कर रही है।
Conclusion:वही सेंट्रल यूनिवर्सिटी हिमाचल प्रदेश के वाइस चांसलर डा. कुलदीप चंद अग्रिहोत्री ने कहा किआज जो नागरिकता विधेयक को लेकर विवाद चल रहा है, उसको स्वामी विवेकानंद के विचारों को जानना अति आवश्यक है। पाकिस्तान में जो हिंदू समाज बचा हुआ है, जिन्होंने इस्लाम ग्रहण नहीं किया, उनमें से 95 फीसदी हिंदू समाज जो है वो दलित समाज है। स्वामी विवेकानंद कहते थे कि हिंदू समाज की रीढ़ की हडडी दलित समाज ही है। इतने लंबे समय से पाकिस्तान में रहने के बावजूद हिंदू समाज ने अपनी विरासत नहीं छोड़ी है। आज वो वर्ग संकट में है और भारत सरकार उन्हें संकट से निकालने का प्रयास कर रही है। वर्ष 1947 से पहले वो सभी हिंदू थे, जिनकी इंडियन सिटीजनशिप थी, वो ब्रिटिश सरकार की संसद द्वारा पारित इंडियन इंडीपेंडेंस एक्ट के तहत छीन ली गई थी, आज भारत सरकार उन्हें वो नागरिकता पुन: दे रही है, यदि वो लेना चाहें तो, लेकिन हमारे देश में उसका कुछ लोग विरोध कर रहे हैं।
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