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पश्चिम बंगाल में हिंसा को रोकने का राष्ट्रपति शासन ही एकमात्र विकल्प: विपन नेहरिया

भाजपा जनजाति मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष विपन नेहरिया ने पश्चिम बंगाल में तृणमूल सरकार के संरक्षण में हो रही हिंसा की कड़ी निंदा की है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार हिंसा के प्रति कोई कार्रवाई नहीं कर रही है. वहीं, पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन ही इन हिंसक घटनाओं पर रोका लगा सकता है.

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Published : May 8, 2021, 4:06 PM IST

धर्मशाला: भाजपा जनजाति मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष विपन नेहरिया ने पश्चिम बंगाल में तृणमूल सरकार के संरक्षण में हो रही हिंसा की कड़ी निंदा की है. उन्होंंने कहा कि हिंसा के इस तांडव को रोकने के लिए वहां राष्ट्रपति शासन ही एकमात्र विकल्प रह गया है.

शनिवार को जारी एक प्रेस बयान में नेहरिया ने कहा कि बीते दो मई को पश्चिम बंगाल के चुनाव परिणामों में तृणमूल कांग्रेस की जीत हुई है. जिसके बाद से ही तृणमूल सरकार के संरक्षण में गुंडों द्वारा हिंसा का तांडव व खून की होली खेल जीत का जश्न मनाया जा रहा है.

राष्ट्रपति शासन ही लगा सकता है हिंसा पर रोक

उनका कहना है कि ममता बनर्जी सरकार के कार्यकाल में पश्चिमी बंगाल में अब तक 140 से अधिक भाजपा कार्यकर्ताओं की निर्मम हत्या हो चुकी है, कई जगहों पर भाजपा के जिला व स्थानीय कार्यालयों को आग के हवाले किया गया. लेकिन राज्य सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की. पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाकर ही इन हिंसक घटनाओं पर रोका लगाई जा सकती है.

कांग्रेस और वामपंथी दलों की चुप्पी पर साधा निशाना

वहीं, भाजपा नेता ने पश्चिमी बंगाल हिंसा पर कांग्रेस और वामपंथी दलों की चुप्पी पर भी सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि पर्दे के पीछे इन दलों की चुप्पी से सपष्ट है कि वह भी ममता सरकार और बांग्लादेश घुसपैठियों के समर्थन में खड़े हैं. उन्होंने प्रदेश भाजपा जनजाति मोर्चा की तरफ से ऐसे लोगों को बेनकाब करने के लिए हिंसक घटनाओं की केंद्रीय एजेंसियों से जांच की मांग की है.

ये भी पढ़ें- CBSE के मापदंड पर प्रमोट होंगे एचपी बोर्ड के विद्यार्थी, निर्देश जारी

धर्मशाला: भाजपा जनजाति मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष विपन नेहरिया ने पश्चिम बंगाल में तृणमूल सरकार के संरक्षण में हो रही हिंसा की कड़ी निंदा की है. उन्होंंने कहा कि हिंसा के इस तांडव को रोकने के लिए वहां राष्ट्रपति शासन ही एकमात्र विकल्प रह गया है.

शनिवार को जारी एक प्रेस बयान में नेहरिया ने कहा कि बीते दो मई को पश्चिम बंगाल के चुनाव परिणामों में तृणमूल कांग्रेस की जीत हुई है. जिसके बाद से ही तृणमूल सरकार के संरक्षण में गुंडों द्वारा हिंसा का तांडव व खून की होली खेल जीत का जश्न मनाया जा रहा है.

राष्ट्रपति शासन ही लगा सकता है हिंसा पर रोक

उनका कहना है कि ममता बनर्जी सरकार के कार्यकाल में पश्चिमी बंगाल में अब तक 140 से अधिक भाजपा कार्यकर्ताओं की निर्मम हत्या हो चुकी है, कई जगहों पर भाजपा के जिला व स्थानीय कार्यालयों को आग के हवाले किया गया. लेकिन राज्य सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की. पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाकर ही इन हिंसक घटनाओं पर रोका लगाई जा सकती है.

कांग्रेस और वामपंथी दलों की चुप्पी पर साधा निशाना

वहीं, भाजपा नेता ने पश्चिमी बंगाल हिंसा पर कांग्रेस और वामपंथी दलों की चुप्पी पर भी सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि पर्दे के पीछे इन दलों की चुप्पी से सपष्ट है कि वह भी ममता सरकार और बांग्लादेश घुसपैठियों के समर्थन में खड़े हैं. उन्होंने प्रदेश भाजपा जनजाति मोर्चा की तरफ से ऐसे लोगों को बेनकाब करने के लिए हिंसक घटनाओं की केंद्रीय एजेंसियों से जांच की मांग की है.

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